रांची (ब्यूरो) । स्कूल बसें लगातार हादसों की वजह बन रही हैं। छोटे-छोटे बच्चों को लेकर चलने वाली स्कूल बस की स्टीयरिंग ट्रेंड हाथों में नहीं है। न तो बस के अंदर बैठे बच्चे और न ही सड़क पर चलने वाले राहगीर इससे सुरक्षित हैं। दो दिन पहले ही स्कूल बस ने एक डॉक्टर को रौंद डाला। राजधानी रांची में लगातार ऐसे मामले देखे जा रहे हैं जिसमें स्कूल बसों की वजह से हादसे हुए हैं। कई बार स्कूल प्रबंधन को प्रशासन की ओर से फटकार भी लगाई गई है। फिर भी न तो प्रबंधन और न ही बस चालक इसे गंभीरता से ले रहे हैं। बीते महीने ही बसों की सेफ्टी ऑडिट कराने का निर्देश जारी किया गया था। लेकिन अबतक इस दिशा में स्कूलों ने पहल नहीं की है। सिटी की सड़कों पर यदि आप टू व्हीलर, फोर व्हीलर से चल रहे हैं या फिर पैदल भी चल रहे हैं तो आपको खासतौर से स्कूल बस और नगर निगम के वाहनों से सर्तक रहने की जरूरत है। थोड़ी-सी भी लापरवाही बड़े हादसे को अंजाम दे सकती है।
मौत बन दौड़ रही स्कूल बस
राजधानी रांची की सड़कों पर स्कूल बसें मौत बनकर दौड़ रही हैं। हर इलाके में दुर्घटना होने की खबरें लगातार सामने आ रही हैं। कुछ महीने पहले लालपुर इलाके में भी एक स्कूल बस बेकाबू हो गई, जिसके बाद ड्राइवर और कंडक्टर दोनों बस छोड़कर फरार हो गए। आम लोगों की तत्परता से बस रुकी अन्यथा एक बड़ी घटना हो जाती। स्टापेज तक पहुंचने की जल्दी के कारण बस ड्राइवर जैसे-तैसे गाड़ी चलाते हैं। स्कूल मैनेजमेंट की ओर से बस ड्राइवरों का कभी वैरिफिकेशन नहीं किया जाता। कुछ ड्राइवर ऐसे भी हैं जो नशे में वाहन चलाते हैं। कुछ महीने पहले ही स्कूल बस के ड्राइवर को नशे की हालत में पुलिस ने गिरफ्तार किया था। इतनी बड़ी लापरवाही के बाद भी अबतक स्कूल प्रबंधन इस विषय को लेकर गंभीर नहीं है। वहीं कुछ दिन पहले ही दुष्कर्म के एक आरोपित द्वारा बस चलाने की खबर सामने आई थी।
जाम की वजह स्कूल बस
राजधानी रांची में प्राइवेट स्कूलों की बाढ़-सी आ गई है। हर गली-मुहल्ले में प्राइवेट स्कूल संचालित हो रहे हैं। शहर में जितने ज्यादा स्कूल हैं उससे चार गुणा अधिक बस और छोटे वाहन हैं। सुबह छह बजते ही सिटी की सड़कों पर स्कूल बसें दौडऩे लगती हैं। इन बसों के लिए अलग से कोई लेन नहीं होने के कारण कॉमन सड़क पर ही सभी व्हीकल्स की तरह स्कूल बसें भी चलती हैं। सुबह में व्हीकल्स कम होने से 'यादा परेशानी नहीं होती, लेकिन दोपहर 12 बजे के बाद यही स्कूल बस आफत बन जाती हैं। डीटीओ से मिली जानकारी के अनुसार, राजधानी रांची में करीब 765 स्कूल बसें चल रही हैं। इन बसों की वजह से सिटी की सड़कों पर जाम की स्थिति भी बनी रहती है।
स्कूल बसों से हुए हादसे
24 फरवरी: मेन रोड में रतन टाकीज चौक के समीप स्कूल बस की टक्कर से एक बाइक सवार गंभीर रूप से जख्मी हो गया।

17 मार्च: हरमू रोड में स्कूल बस ने नगर निगम की महिला कर्मचारी को मारी ठोकर। इलाज के दौरान महिला की मौत।

13 मई : नगड़ी थाना क्षेत्र में चलती बस में लगी आग। ड्राइवर और कंडक्टर ने कूदकर बचाई जान।

12 जून: अशोक नगर गेट नंबर दो के पास डीएवी कपिलदेव की बस और स्कूटी में टक्कर। स्कूटी सवार गंभीर रूप से घायल।

25 जुलाई: अरगोड़ा के कडरू ओवरब्रिज पर सेंट जेवियर्स स्कूल की बस की टक्कर से एक महिला आशा पांडे की मौत, बेटा भी घायल।

03 फरवरी : करमटोली चौक के समीप सेंट मैरीज स्कूल की बस ने स्कूटी पर जा रहे सर्जन डॉ सौरव कुमार शर्मा को कुचल कर मार डाला।
क्या हैं सेफ्टी रूल्स
-ट्रेंड ड्राइवर व कंडक्टर को ही बस चलाने की मिले जिम्मेवारी।
-ड्राइवर के पास ड्राइविंग लाइसेंस होना जरूरी।
-बस चालक का नाम और पता दरवाजे पर लिखा हो।
-जीपीएस और सीसीटीवी कैमरे की व्यवस्था हो।
-ड्राइवर और कंडक्टर का पुलिस वैरिफिकेशन कराना अनिवार्य।
-ड्राइवर व कंडक्टर का पूरा ब्योरा, फोन नंबर बस के अंदर और बाहर दोनों तरफ लिखा हो।
-बस की फिटनेस और परमिट दुरुस्त होनी चाहिए।
-बस का सेफ्टी ऑडिट कराना जरूरी।