- रांची के तीन स्कूलों में 24 संक्रमित, बच्चों के साथ टीचर्स भी इन्फेक्टेड

- सरकारी-प्राइवेट स्कूलों में तेजी से हुअ संक्रमण का प्रसार

- अब तक हाई स्कूल के ब<स्हृद्द-क्तञ्जस्>चों को नहीं हो रहा था संक्रमण

- नए ट्रेंड से बढ़ी परेशानी, अभिभावकों के लिए उहापोह की स्थिति

- जिला प्रशासन की ओर से स्कूलों को नहीं दी गई कोई जानकारी

रांची में प्राइवेट और सरकारी स्कूलों में कोरोना की एंट्री हो चुकी है। अभी आठवीं से लेकर 12वीं के ब<स्हृद्द-क्तञ्जस्>चों को स्कूल बुलाकर क्लास ली जा रही है। इस बीच 31 मार्च को जिन स्कूलों के स्टूडेंट्स और टीचर्स का सैंपल लिये गए थे, उनकी रिपोर्ट आनी शुरू हो चुकी है। अभी तक रांची के छह स्कूलों के ब<स्हृद्द-क्तञ्जस्>चों और टीचर्स में कोरोना वायरस के संक्रमण की पुष्टि हो चुकी है। मंगलवार को रांची के तीन स्कूलों में करीब 24 स्टूडेंट्स में संक्रमण की बात सामने आई, लेकिन जिला प्रशासन की ओर से इसकी सूचना स्कूलों को नहीं दी गई है। स्कूल में जिन ब<स्हृद्द-क्तञ्जस्>चों का सैंपल लिया गया था, उनमें से जो इन्फेक्टेड पाए जा रहे हैं, उन्हें अलग-अलग माध्यमों से बताया जा रहा है कि उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई है और उन्हें इलाज की जरूरत है। इस बीच पेरेंट्स टेंशन में हैं और उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि वे अपने ब<स्हृद्द-क्तञ्जस्>चों को स्कूल भेजें या नहीं।

20 स्कूलों में लिया गया था सैंपल

रांची के बीस स्कूलों में कोरोना टेस्ट के लिए सैंपल लिए गए थे। इनकी रिपोर्ट अभी तक वेबसाइट में अपलोड नहीं हुई है। केवल पॉजिटिव केसेज के मामले में फोन कर इसकी जानकारी संबंधित स्टूडेंट्स को दी जा रही है। अभी तक रांची के सेंट एंथोनी स्कूल-डोरंडा, जिला स्कूल, मारवाड़ी स्कूल, डीएवी बरियातू, सेंट जेवियर स्कूल-डोरंडा, बिशप वेस्टकॉट ग‌र्ल्स स्कूल में कोरोना स्टूडेंट्स, टीचर्स व स्टाफ में कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई है। अनाधिकारिक तौर पर ब<स्हृद्द-क्तञ्जस्>चों तथा पेरेंट्स से जो सूचनाएं मिल रही हैं, उसके अनुसार केवल मंगलवार को ही 24 स्टूडेंट्स इन्फेक्टेड पाए गए। हालांकि, इसकी पुष्टि स्कूल प्रबंधन की ओर से नहीं की जा रही है, क्योंकि अभी तक प्रशासन की ओर से कोई आधिकारिक जानकारी स्कूलों के प्रिंसिपल्स को नहीं दी गई है।

बिशप से हुई थी शुरुआत

रांची के बिशप वेस्टकॉट ग‌र्ल्स स्कूल में पेरेंट्स टीचर मीटिंग के बाद कोरोना जांच करायी गयी थी, जिसमें एक साथ 16 शिक्षकों और स्टाफ के कोरोना पॉजिटिव पाये जाने के बाद स्कूल को सील कर दिया गया था। इसके दो दिन पूर्व रा<स्हृद्द-क्तञ्जस्>य सरकार की ओर से बुंडू में संचालित आवासीय बालिका विद्यालय के 20 से अधिक ब<स्हृद्द-क्तञ्जस्>चे कोरोना से संक्रमित पाए गए थे। इस बीच स्कूलों ने एहतियात के तौर पर अपने यहां ब<स्हृद्द-क्तञ्जस्>चों को छुट्टी दे दी है।

पढ़ाई से ज्यादा जान बचाना जरूरी

पेरेंट्स ने कहा, स्कूलों को अभी बंद रखना ही उचित

हाई स्कूलों में पढ़ रहे ब<स्हृद्द-क्तञ्जस्>चों के पेरेंट्स इस बात को लेकर काफी चिंतित हैं कि कोरोना की एंट्री स्कूलों में हो चुकी है। उनके अनुसार राज्य सरकार ने अभी जो फैसला लिया है, वह वक्त की मांग है। स्कूलों को अगले आदेश तक बंद करना उचित है। अभी पढ़ाई से ज्यादा जरूरी जान बचाना है। भले ही सेशन लेट हो, लेकिन ब<स्हृद्द-क्तञ्जस्>चों का सुरक्षित रहना जरूरी है। जितने एग्जाम हैं अभी सभी को कैंसिल कर देना चाहिए। यहां प्रस्तुत है सिटी के कुछ पेरेंट्स के विचार:

कोरोना वायरस का संक्रमण लगातार बढ़ता ही जा रहा है और इस स्थिति में स्कूलों को खुला रखना कहीं से भी उचित नहीं था। जिस तरह लॉकडाउन में ऑनलाइन क्लासेज चला करती थीं, उसी तरह अब भी ऑनलाइन क्लासेज ली जा सकती हैं। अब तो सरकार ने भी फैसला ले लिया है, इसलिए सभी को इसे मानना ही होगा।

उर्मिला उरांव

हमारे ब<स्हृद्द-क्तञ्जस्>चे स्कूल जा रहे थे, लेकिन चिंता हमेशा रहती थी कि कहीं वे संक्रमण की चपेट में न आ जाएं। सरकार का फैसला बिल्कुल सही है। अभी स्कूलों को बंद रखना ही उचित है। ज्यादातर स्कूलों में ब<स्हृद्द-क्तञ्जस्>चों के इन्फेक्टेड होने की खबर आई है। अब स्कूलों के बंद रहने से कम से कम ब<स्हृद्द-क्तञ्जस्>चे सुरक्षित रहेंगे।

देवनाथ सिंह

ब<स्हृद्द-क्तञ्जस्>चों को पूर्व की भांति स्कूलों की ओर से ऑनलाइन क्लासेज के जरिए पढ़ाया जाना उचित रहेगा। जिन स्कूलों के ब<स्हृद्द-क्तञ्जस्>चे संक्रमित पाए गए हैं, उनके क्लास के सभी ब<स्हृद्द-क्तञ्जस्>चों और यहां तक की पेरेंट्स को भी टेस्ट करा लेना चाहिए, ताकि संक्रमण को फैलने से रोका जा सके। स्कूलों को बंद रखने का फैसला सही है।

इफ्तेखार अहमद

जिस वक्त संक्रमण कम हो रहा था, उस समय स्कूलों को खेलने का फैसला किया गया था। आशंका उस वक्त भी थी कि अगर स्कूलों में इन्फेक्शन फैला, तो स्थिति भयावह होगी। अब स्कूलों को बंद करने का आदेश आ गया है, जो वक्त की मांग है। हमें ब<स्हृद्द-क्तञ्जस्>चों को सुरक्षित रखना है, इसलिए कड़े फैसले जरूरी हैं।

रविकांत एवं शिल्पी शिखा

बोर्ड का परीक्षा सामने है और कोरोना का प्रवेश स्कूलों में हो चुका है। अभी स्कूलों को बंद किया जा रहा है, लेकिन पढ़ाई की वैकल्पिक व्यवस्था क्या होगी, अभी स्पष्ट नहीं है। हालांकि, पूर्व की तरह ऑनलाइन क्लासेज चलाकर पढ़ाई पूरी की जा सकती है। एग्जाम भी ऑनलाइन लेने का कोई उपाय हो, तो करना चाहिए।

गायत्री देवी

हमने स्कूलों को एनओसी नहीं दी। ब<स्हृद्द-क्तञ्जस्>चों को स्कूल नहीं भेजने का फैसला किया। अब तो सरकार ने ही स्कूलों को बंद रखने का फैसला किया है, जो बेहद जरूरी है। पढ़ाई तो आगे भी होती रहेगी, लेकिन अभी ब<स्हृद्द-क्तञ्जस्>चों को संक्रमण से बचाना ज्यादा जरूरी है। जब तक कोरोना खत्म न हो जाए, तब तक स्कूल न खुले।

देवंती देवी

अभी तक ब<स्हृद्द-क्तञ्जस्>चों के लिए वैक्सीन की व्यवस्था नहीं की गई है। इससे पहले स्कूलों को खोलने का फैसला उचित नहीं था। जब तक सभी उम्र के लोगों के लिए टीके की व्यवस्था न हो जाए, तब तक पब्लिक प्लेस सेफ नहीं हैं। ब<स्हृद्द-क्तञ्जस्>चों को किसी भी प्रकार के भीड़-भाड़ से दूर सखना बेहद जरूरी है। अभी ऑनलाइन पढ़ाई हो।

शाहिद नुरुल्लाह

जब तक कोरोना को पूरी तरह से खत्म करने का उपाय न हो जाए, तब तक ऑनलाइन क्लासेज के जरिए ही ब<स्हृद्द-क्तञ्जस्>चों की पढ़ाई होनी चाहिए। इसके अलावा स्कूल प्रबंधन के साथ पेरेंट्स को पूरा सहयोग करना चाहिए। फीस समय पर देने के साथ ही हर तरह से सपोर्ट होगा, तो पढ़ाई भी जारी रहेगी।

रूपम चौधरी

एक नौनिहाल की माता होने के नाते आज का समय बहुत ही अनिश्चित है और यह प्रकोप छोटे ब<स्हृद्द-क्तञ्जस्>चों को मानसिक और शारीरिक रूप से नुकसान पहुंचाने में सक्षम है, इसीलिए मेरे विचार से वर्तमान समय में इस भयावह स्थिति को देखते हुए विद्यालय बंद रखने का फैसला एकदम सटीक है।

डॉ चित्रा शर्मा

एडमिशन को लेकर स्कूल प्रबंधन को ब<स्हृद्द-क्तञ्जस्>चों की उम्र में कम से कम दो साल का ग्रेस देना चाहिए। अभी स्कूल बंद रहेंगे, लेकिन जब खुलेंगे तो एडमिशन के समय ज्यादातर ब<स्हृद्द-क्तञ्जस्>चों की उम्र थोड़ी बढ़ी होगी। इस बारे में भी स्कूलों तथा सरकार को विचार करना चाहिए, ताकि कोरोना के कारण ब<स्हृद्द-क्तञ्जस्>चों का भविष्य न बर्बाद हो।

सोनी कश्यप