रांची (ब्यूरो) । मधुकर गंगाधर नई कहानी दौर के बेहद महत्वपूर्ण कथाकार थे, हालांकि वे किसी आंदोलन को नहीं मानते थे। यही वजह थी कि उन्होंने नई कहानी की शव परीक्षा शीर्षक लेख लिखा था, जो काफी चर्चित हुई थी। मधुकर गंगाधर की कहानियों में जहां लोकराग की जीवंतता है, वहीं वैचारिकता की उष्मा भी है। मधुकर के साहित्य पर आयोजित गोष्ठी में प्रोफेसर डा नरेन्द्र झा ने उक्त बातें कही।

विडंबनाओं का वर्णन

वहीं दूरदर्शन के पूर्व निदेशक प्रमोद कुमार झा ने कहा कि रेणु की माटी के कथाकार मधुकर गंगाधर की कहानियों में सामाजिक अंतर्विरोध, आर्थिक विषमताएं, शोषित वर्ग के प्रति संवेदनशीलता और सांस्कृतिक विडंबनाओं का प्रत्यक्ष वर्णन मिलता है। ढिंबरी कहानी से अपनी पहचान स्थापित करने वाले मधुकर ने मनुष्य की चेतना और संघर्ष को सहज भाषा में शिल्प के नए पन के साथ पेश किया। ढिबरी, केंचुल और गंध, बरगद, बैल का विद्रोह, खून, हिरना की आंखें आदि मधुकर गंगाधर की चर्चित एवं प्रतिनिधि कहानियां हैं। वहीं डा कृष्णमोहन झा मोहन ने कहा कि मधुकर जीवन के अंतिम क्षण तक साहित्य सृजन मे व्यस्त रहे और कहानियों के अलावा उन्होंने कई उपन्यास एवं कविता, नाटक, समीक्षा, रेडियो रूपक आदि का भी सृजन किया। मोतियों वाले हाथ, यही सच है, फिर से कहो, सातवीं बेटी, सुबह होने तक, गर्म पहलुओं वाला मकान आदि उनके दस उपन्यास प्रकाशित हैं। उनका अंतिम उपन्यास नीलकोठी कोरोना काल के दौरान लिखा गया था।

दायित्व का प्रतिदान

मैथिली के वरिष्ठ लेखक केदार कानन ने कहा कि कोसी अंचल के साहित्य और साहित्यकारों पर शोधपूर्ण आलोचना के लिए विख्यात डॉ। वरुण कुमार तिवारी ने मधुकर गंगाधर के साहित्य का समग्र मूल्यांकन करते हुए अत्यंत विचारोत्तेजक कृति मधुकर गंगाधर का समग्र मूल्यांकन का प्रणयन किया है। यह अपने अग्रज रचनाकारों के साहित्यिक दायित्व का प्रतिदान है, जिसे सफलतापूर्वक डॉ तिवारी ने पूरा किया है।

गोष्ठी में उपस्थित मैथिली के चर्चित कथाकार अमरनाथ झा ने कहा कि ग्रामीण अनुभव की पूंजी और लोक जीवन की संवेदना के कथाकार मधुकर गंगाधर के साहित्य पर यह आलोचनात्मक कृति हिंदी साहित्य के पाठकों, छात्रों, अध्यापकों एवं आलोचकों के लिए भी महत्वपूर्ण है। कोसी अंचल की नई पीढ़ी के पाठकों को अपने पूर्वज रचनाकार मधुकर गंगाधर के साहित्य के विषय मे इतना मूल्यवान मूल्यांकन पढ़कर अतिरिक्त आनंद की अनुभूति होगी। हरमू स्थित विद्यापति दालान में बुधवार को आयोजित इस वैचारिक गोष्ठी में शहर के कई साहित्य प्रेमी उपस्थित थे।