रांची (ब्यूरो): भारत की न्यू एजुकेशन पॉलिसी को लेकर देशभर में चर्चा हो रही है। अब नई शिक्षा नीति लागू होने के साथ ही पढ़ाई का पैटर्न भी पूरी तरह बदल जाएगा। नई शिक्षा नीति को लेकर जितने उत्साहित छात्र हैं, उससे कहीं अधिक उत्साहित स्कूलों के प्रिंसिपल और टीचर हैं। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की ओर से शुक्रवार को नई शिक्षा नीति को लेकर एक डिस्कशन का आयोजन किया गया, जिसमें सिटी के कई स्कूलों के प्रिंसिपल्स ने अपनी बातें रखीं। कई प्रिंसिपल ने इसकी खूूबियों को बताया कि स्टूडेंट्स को इस नई नीति से कैसे लाभ होगा, तो कई प्रिंसिपल ने इसके इंप्लीमेंटेशन की परेशानियां बताईं। वहीं ज्यादातर प्रिंसिपल ने नई शिक्षा नीति में टेक्नोलॉजी का उपयोग और स्किल्ड बनाने की योजना की सराहना की है।

क्या कहा शिक्षाविदों ने

परिवर्तन प्रकृति का नियम है। अभी जो शिक्षा पद्धति चल रही है वह परिवर्तन मांग रही थी। अब नई शिक्षा नीति की जरूरत आ गई थी। पढऩे के लिए नई पद्धति की जरूरत है। बच्चे पहले आट्र्स लेते थे तो वह साइंस की पढ़ाई नहीं कर पाते थे, लेकिन अब वह साइंस की पढ़ाई भी कर सकते हैं। जिस तरह से अब इस दुनिया में बदलाव हो रहा है न्यू एजुकेशन पॉलिसी की जरूरत छात्रों को पडऩे लगी है।

एसके सिन्हा, प्रिंसिपल, डीएवी गांधीनगर

नई शिक्षा नीति की सबसे खास बात है कि छात्रों को प्रैक्टिकल करने पर बढ़ावा देना है। अभी स्कूलों में छात्रों को पढ़ाया जाता है लेकिन प्रैक्टिकल पर बहुत जोर नहीं होता है। अब क्लास सिक्स से हीं इंटर्नशिप की बात की गई है। साथ ही छात्रों को स्किल्ड भी बनाया जाएगा, वह हर ट्रेड के स्किल की जानकारी रखेंगे।

अमित सिंह, प्रिंसिपल, सफायर इंटरनेशनल स्कूल

न्यू एजुकेशन पॉलिसी की सबसे खास बात यह है कि ब'चों को उनकी भाषा में पढ़ाया जाएगा। अगर ब'चा रीजनल लैंग्वेज में पढ़ाई करना चाहता है तो उसके लिए यह व्यवस्था भी उपलब्ध होगी। अभी लोकल भाषा को बढ़ावा नहीं मिल रहा था। अब जब अपने रा'य के ब'चे अपनी रा'य की भाषा में पढ़ेंगे तो उनके लिए करियर भी सही मिलेगा और सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से भी वह जुड़ा हुआ महसूस करेंगे।

श्वेता त्रिपाठी, प्रिंसिपल, चिरंजवी कांसेप्ट स्कूल

नई शिक्षा नीति में सिर्फ पढ़ाई पर ही फ ोकस नहीं किया गया है, बल्कि छात्रों के संपूर्ण विकास की बात की गई है। जब जब देश में शिक्षा नीति बनाई गई कुछ न कुछ बदलाव किया जाता रहा है। अब जब नई शिक्षा नीति बनाई गई है तो इसमें भी कई तरह के बदलाव किए गए हैं। इंडस्ट्री में किस तरह के लोगों की जरूरत है उस को ध्यान में रखकर छात्रों को पढ़ाया जाएगा।

पीएस कालरा, प्रिंसिपल, विकास विद्यालय रांची

नई शिक्षा नीति की सबसे खास बात यह है कि जो ड्रॉपआउट ब'चे हैं, जो कुछ दिन तो स्कूल गए लेकिन वह दोबारा नहीं पढ़ पाए, उनके लिए यह बेहतरीन मौका देगा। छात्र अगर बीच में अपनी पढ़ाई को किसी कारण पूरा नहीं कर पाते हैं तो उनके पास एक मौका होगा कि वह अपनी पढ़ाई पूरी कर लें। साथ ही वह पढ़ाई के दौरान स्किल्ड भी हो जाएंगे।

सुखनाथ महतो, प्रिंसिपल, छोटानागपुर पब्लिक स्कूल

शिक्षा एक अनवरत प्रक्रिया है। पहली शिक्षा नीति 1968 में लागू की गई। उस समय की स्थितियां अलग थीं, अब नई शिक्षा नीति लागू की गई है, जिसमें टेक्नोलॉजी और स्किल्ड को छात्रों की पढ़ाई के साथ जोड़ा गया है। नई शिक्षा नीति में कई बदलाव किए गए हैैं, जिसकी जरूरत थी। अब इंटीग्रेटेड एजुकेशन को बढ़ाने पर जोर दिया गया है।

डॉ दीपक कुमार, डायरेक्टर, संत माइकल स्कूल

नई शिक्षा नीति में जो बदलाव किया गया है वह छात्रों के लिए बेहतर है। अब टेन प्लस टू की व्यवस्था को इसमें दरकिनार किया गया है। ग्रेजुएशन की समय सीमा भी 4 साल कर दी गई है। बीएड की पढ़ाई भी इंटीग्रेटेड करके 4 साल का बना दिया गया है। यह अभी के समय की जरूरत है। पहले के एजुकेशन और अब नई नीति के तहत उसमें काफ अंतर है।

शिवव्रता दास, टीचर, कैंब्रियन पब्लिक स्कूल

स्टूडेंट्स के डेवलपमेंट पर फोकस्ड है न्यू एजुकेशन पॉलिसी

नई शिक्षा नीति की सबसे खास बात यह है कि छात्र अब पढ़ाई को लेकर फ्लैक्सिबल होंगे। अभी की जो स्थिति है उसमें अगर कोई छात्र आट्र्स सब्जेक्ट ले लेता है तो उसे साइंस सब्जेक्ट में बदलने में परेशानी होती थी, लेकिन अब अगर वह आट्र्स से पढ़ाई कर रहा है और आगे चलकर साइंस सब्जेक्ट में पढ़ाई करना चाहता है तो उसके पास ऑप्शन होगा।

प्रमिला कुमारी, टीचर, राइज एकेडमी

नई शिक्षा नीति में स्किल को जोड़ा गया है। जो छात्र पढ़ाई के बाद भी नौकरी नहीं कर पाते हैं, उनको अब यह परेशानी नहीं होगी। पढ़ाई के दौरान ही उनको हर ट्रेंड के स्किल के बारे में जानकारी मिलेगी। अब ब'चों को पढ़ाई के दौरान ही सब कुछ सीखा दिया जाएगा। उनको अब परेशानी नही होगी, नई टेक्नोलॉजी के साथ पढ़ाया जाएगा।

डॉ विमल कुमार साहू, संत पॉल्स कॉलेज

नई शिक्षा नीति जो लागू की गई है, इसमें इस एजुकेशन को बढ़ावा दिया गया है। साथ ही ब'चों को पढ़ाई के साथ-साथ स्किल्ड बनाने पर भी जोर दिया गया है। यह बहुत जरूरी था। हम ब'चों को पढ़ाते तो हैं लेकिन वह प्रैक्टिकल नहीं कर पाते हैं, जिसके कारण उनको परेशानी होती है। अब नई एजुकेशन पॉलिसी में ब'चों को सब्जेक्ट नहीं प्रैक्टिकल चीजें इंक्लूड की गई हैं।

गुंजन भसीन, हेडमिस्ट्रेस, स्वामी शहजानंद ब्रिजफोर्ड स्कूल

नई शिक्षा नीति की सबसे खास बात यह है कि अब ब'चों को अपने रीजनल लैंग्वेज में भी पढ़ाई करनी होगी। यह बहुत जरूरी था। सिर्फ हिंदी, इंग्लिश और संस्कृत में पढ़ाई करने से दूसरे लैंग्वेज से रूबरू नहीं हो पाते थे। कई रा'य हैं जहां का अपना लोकल लैंग्वेज है, लेकिन छात्र उस लैंग्वेज में पढ़ाई नहीं कर पाते थे।

विजय शर्मा, डायरेक्टर, राइज एकेडमी

इस नई शिक्षा नीति से ब'चों को बेहतर करियर बनाने में मदद मिलेगी। ब'चों को पहले ही कह दिया जाता था कि अगर वह आट्र्स सब्जेक्ट की पढ़ाई करते हैं तो साइंस स्ट्रीम में नहीं जा सकते, लेकिन इस नई नीति से आट्र्स के बाद आगे की पढ़ाई साइंस से भी कर सकेंगे। इससे उनका नॉलेज दोनों सब्जेक्ट में बढ़ेगा। इस नीति में प्रैक्टिकल पर भी ध्यान दिया गया है। साथ ही छात्रों को पढ़ाई के साथ स्किल्ड भी बनाया जाएगा।

सुनील कुमार सिंह, प्रिंसिपल, राम टहल चौधरी स्कूल

राष्ट्रीय शिक्षा नीति में शिक्षा के आठ डोमेन हैैं। हर डोमिन की अपनी विशेषता है। इस नई शिक्षा नीति में कई तरह की नई पद्धति से छात्रों को पढ़ाया जाएगा। नई-नई जानकारियां हासिल करेंगे। अगर बेहतरीन तरीके से इंप्लीमेंट किया जाएगा तो आने वाले दिनों में भारत का भविष्य बहुत उ'जवल होगा। अब इस नई पद्धति के साथ पढक़र निकलने वाले छात्र बहुत बेहतर करेंगे।

एसके मिश्रा, प्रिंसिपल, एसआर डीएवी पब्लिक स्कूल, पुंदाग

हर चीज में बदलाव हमेशा बेहतर के लिए होता है। इसलिए अब नई शिक्षा नीति में भी देखने को मिलेगी। अभी तक छात्र जो पुरानी पद्धति से पढ़ाई कर रहे थे, उसमें बदलाव बहुत महसूस की जा रही थी। जिस तरह से हर दिन टेक्नोलोजी बढ़ रही है, प्रैक्टिकल जानकारी जरूरी है। अब छात्रों को उसी अनुसार से तैयार करना होगा। स्कूल लेवल से ही छात्रों को स्किल्ड बनाया जाएगा।

राजेश कुमार, टीचर, डीपीएस, रांची

इस शिक्षा नीति की सबसे खास बात यह है कि पढ़ाई में ही स्किल्ड को जोड़ा गया है। अभी छात्र पढ़ाई करने के बाद जब आगे इंडस्ट्री में जाते हैं तो उनके पास स्किल की कमी रहती है, जिसके कारण डिग्री लेने के बाद भी उन को रोजगार नहीं मिलता है। इस नई शिक्षा नीति में छात्रों के लिए स्किल बहुत महत्वपूर्ण होगा। इससे छात्रों के लिए रोजगार के रास्ते अब खुलेंगे।

राजीव कुमार सिंह, डायरेक्टर, वेंचर स्किल

नई शिक्षा नीति कई मामले में बेहतर है। पहले यह कांसेप्ट होता था कि व्हाट यू थिंक और अब हो गया है हाउ यू थिंक। यह छात्रों के भविष्य में बड़ा बदलाव लाएगा। ब'चों को अब उनके रीजनल लैंग्वेज में पढऩे का मौका मिलेगा। अपनी भाषा में पढ़ाई के दौरान ब'चे अपने कल्चर से भी रूबरू होंगे। झारखंड में ही कई लोकल लैंग्वेज हैं, जिसे बहुत सारे लोग नही जानते हैं।

जया झा, टीचर, मनन विद्या

इस शिक्षा नीति की सबसे महत्वपूर्ण बात है इस नीति में टेक्नोलॉजी की बात भी की गई है। आजकल देश दुनिया में पढ़ाई के दौरान जिस तरह टेक्नोलॉजी का उपयोग किया जा रहा है वह बहुत जरूरी हो गया है। पढ़ाई पूरी करने के बाद अधिकतर छात्रों को टेक्नालॉजी के साथ में जीवन भर काम करना पड़ता है।

डॉ तनवीर अहमद, डायरेक्टर, एमएमके स्कूल