पलामू/लातेहार : नई दिल्ली- रांची राजधानी स्पेशल एक्सप्रेस गुरुवार को करीब सात घंटे डालटनगंज रेलवे स्टेशन पर खड़ी रही। जिला प्रशासन ने 647 यात्रियों को 25 बसों से उन्हें रवाना किया। पलामू, लातेहार व रांची जिले के शेष यात्री अपने साधनों से पहले ही गंतव्य के लिए रवाना हो गए थे। ट्रेन में कुल 930 यात्री थे। बताया जा रहा है कि ब्रिटिश शासन के दौरान ली गई जमीन लौटाने और लगान माफी की मांग को लेकर टाना भगतों ने गढ़वा रोड- बरकाकाना रेल मार्ग के टोरी जंक्शन पर टै्रक जाम कर दिया था, जिससे राजधानी सहित कई गुड्स ट्रेनें फंसी रहीं।

सुबह 6.40 बजे पहुंची थी ट्रेन

राजधानी एक्सप्रेस सुबह 6.40 बजे ट्रेन डालटनगंज स्टेशन पहुंची। रेलवे ने यात्रियों को टोरी जंक्शन पर ट्रैक जाम होने की जानकारी दी। बताया गया कि आंदोलनरत टाना भगतों से वार्ता चल रही है। दो घंटे बीतने के बावजूद रेलवे स्पष्ट नहीं कर पाया कि वास्तविक स्थिति क्या है। कई यात्री आक्रोशित होकर स्टेशन प्रबंधक कार्यालय के समक्ष हंगामा करने लगे। उन्हें वैकल्पिक व्यवस्था कर गंतव्य तक भेजने का भरोसा दिया गया। तब शांत हुए। पलामू के डीसी शशि रंजन और एसपी अजय ¨लडा ने स्टेशन पहुंचकर यात्रियों को बसों से भेजने का निर्देश दिया। रेलवे ने उनके भोजन-पानी का प्रबंध किया।

बुधवार से ही आंदोलन

यात्रियों का कहना था कि जब आंदोलन बुधवार से ही जारी है तो रेलवे को मार्ग बदलकर ट्रेन परिचालन करना चाहिए था। डीसी व एसपी के निर्देश पर बड़ी संख्या में अधिकारी व पुलिस जवान सक्रिय रहे। कई जवान यात्रियों का सामान उठाने में मदद करते नजर आए। अपराह्न 3.30 बजे डेहरी गया मार्ग से ट्रेन रांची रवाना हुई। उधर, टोरी जंक्शन पर आंदोलन जारी है।

आंदोलन पर अड़े

लातेहार में बुधवार से ही टाना भगत रेलवे ट्रैक जामकर आंदोलन पर अड़े हुए हैं। गुरुवार को दिन भर नारेबाजी करते रहे। ट्रेनों का परिचालन पूरी तरह ठप रहा। गुरुवार सुबह साढ़े दस बजे आंदोलन स्थल पर पहुंचे लातेहार अपर समाहर्ता आलोक शिकारी कच्छप व सीओ मुमताज असंारी ने उन्हें उनकी भाषा में समझाने का प्रयास किया। दोपहर बाद चंदवा थाना प्रभारी मदन कुमार शर्मा ने उनके नेता जिता टाना भगत से वार्ता कर जायज तरीके से मांग रखने का आग्रह किया। एसडीपीओ लातेहार वीरेंद्र राम ने भी अगल से वार्ता करा समझाने की कोशिश की, लेकिन टाना भगत सुनने को तैयार नहीं हुए। दो टूक जवाब दिया- मरेंगे या सड़ेंगे लेकिन अधिकार लेकर रहेंगे। इस आंदोलन में रांची, पलामू, हजारीबाग और सिंहभूम समेत आठ जिलों के टाना भगत शामिल हैं।

करोड़ों का नुकसान

इस आंदोलन से रेलवे को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है। सिर्फ टोरी-शिवपुर रेल लाइन के शिवपुर से हर दिन कम से कम दस रैक कोयला बाहर जाता है। एक रैक का भाड़ा 65 लाख रुपये होता है। इसके अलावा बरकाकाना-बरवाडीह रेलखंड के अन्य क्षेत्रों से कोयला मालगाड़ी, लोहा चदरा व सीमेंट समेत अन्य मालगाडि़यों का परिचालन होता है। रेलवे के अनुसार, 16 मालगाडि़यों का परिचालन एक दिन में बाधित हुआ है। बताया गया कि अब बीराटोली-महुआमिलान तीसरी लाइन से भुरकुंडा-रांची होते हुए मालगाडि़यों को चलाया जा रहा है।

क्या है टाना भगत की मांग

टाना भगतों का कहना है कि छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम 1947 (धारा 145) टेनेन्सी एक्ट दफा 81, पारा ए के मुताबिक छोटानागपुर भूमि का मालिक व लगान पाने का हक टाना भगतों को है। ये अधिकार उनको मिलना चाहिए। देश की आजादी में पूर्वजों ने भागीदारी निभाई। लेकिन किसी भी सरकार ने उनकी नहीं सुनी। जमीन पर उन्हें मालिकाना हक आज तक नहीं दिया गया। उनकी जमीन को लगान मुक्त नहीं किया गया। जल, जंगल व जमीन पर उन्हें मालिकाना हक का लिखित पत्र दिया जाए।