रांची: कोरोना काल में ज्यादातर लोगों को हॉस्पिटल की जरूरत पड़ रही है। महामारी और दूसरी बीमारी की वजह लोगों को हॉस्पिटल्स का चक्कर लगाना पड़ रहा है। अप्रैल और मई महीने में जब कोरोना पूरी तरह से चरम पर था उस दौरान सिटी के सभी हॉस्पिटलों में बेड के लिए अफरा-तफरी मची हुई थी। सभी हॉस्पिटल के बेड फुल थे। लेकिन चिंता की बात यह है कि जहां शहर के लोग अपने इलाज और बेहतर स्वास्थ्य की उम्मीद लिये आते हैं वहीं लापरवाही भी देखने को मिल रही है। शहर के 70 परसेंट हॉस्पिटल ऐसे हैं जिनके पास फायर डिपार्टमेंट का एनओसी ही नहीं है। फायर सेफ्टी के नॉ‌र्म्स को पूरा नहीं करने के कारण इन हॉस्पिटल्स ने डिपार्टमेंट से एनओसी ही नहीं लिया। कई बार डिपार्टमेंट की ओर से रिमाइंडर देने के बावजूद हॉस्पिटल प्रबंधन इसे गंभीरता से नहीं ले रहा। हॉस्पिटल में हर दिन सैकड़ों लोग आते हैं किसी भी तरह की अनहोनी होने पर बड़ी घटना हो सकती है।

सिर्फ 22 के पास एनओसी

डिस्ट्रिक्ट एडमिनिस्ट्रेशन के सर्वे के अनुसार, सिटी में 114 हॉस्पिटल हैं, जिनमें सिर्फ 22 ने ही नियम का पालन करते हुए और फायर फाइटिंग नॉ‌र्म्स को मानकर एनओसी लिया है। जबकि 92 हॉस्पिटल प्रबंधन ने इसकी जरूरत न समझते हुए एनओसी ही नहीं लिया है। हालांकि इन हॉस्पिटल ने आग लगने पर उसे बुझाने के लिए सिलेंडर की व्यवस्था कर रखी है। लेकिन नॉ‌र्म्स के अनुसार सिर्फ सिलेंडर लगा लेना नाकाफी है। एनओसी लेने के लिए फायर डिपार्टमेंट द्वारा जारी सभी मानक को पूरा करना अनिवार्य है। लिस्ट के अलावा गली-मुहल्लों में भी सैकड़ों निजी क्लीनिक बिना किसी सुरक्षा व्यवस्था के ही संचालित हो रहे हैं। सरकारी और निजी अस्पतालों में आग बुझाने के संसाधन और एनओसी की अनिवार्यता को लेकर बार-बार आदेश जारी किए गए हैं। लेकिन हॉस्पिटल प्रबंधन इसे लेकर बेपरवाह है।

हॉस्पिटल में एनओसी जरूरी

किसी भी हॉस्पिटल को चालू करने से पहले फायर डिपार्टमेंट से एनओसी लेना जरूरी है। बिल्डिंग निर्माण के समय ही सर्टिफिकेट लेना होता है। लेकिन हॉस्पिटल संचालक बिना किसी एनओसी के बिल्डिंग निर्माण करा कर वहां हॉस्पिटल शुरू कर देते हैं। विभाग की ओर से जब कार्रवाई होती है प्रबंधन की ओर फायर डिपार्टमेंट में इसके लिए ऑफलाइन अप्लाई कर देता है। जबकि साल 2018 से ही एनओसी की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन कर दी गई है। ऑनलाइन अप्लाई से लेकर सर्टिफिकेट भी ऑनलाइन ही जारी किया जाता है।

कार्रवाई में बाधक मैन पॉवर की कमी

एनओसी नहीं लेने पर अग्निशमन विभाग को सख्त कार्रवाई का अधिकार है। लेकिन विभाग की अपनी अलग ही मजबूरी है। विभाग के कर्मचारी बताते हैं कि डिपार्टमेंट में मैन पॉवर की कमी है, जिस कारण इंस्पेक्शन का काम सही तरीके से नहीं हो पाता है। शिकायत मिलने पर विभाग की ओर से नोटिस भेजा जाता है लेकिन यह सिर्फ पत्राचार बन कर रह जाता है। कार्रवाई नहीं होने की वजह से ही हॉस्पिटल संचालक फायर फाइटिंग की एनओसी को गंभीरता से नहीं लेते।

हो चुकी हैं घटनाएं

हाल ही में मेन रोड स्थित राज हॉस्पिटल में शॉर्ट सर्किट से आग लग गई थी, जिसके बाद हॉस्पिटल कैंपस में अफरातफरी मच गई। आग की लपटें हॉस्पिटल के नौवें फ्लोर तक पहुंच गई, जिसके बाद आनन-फानन में सभी मरीजों को वार्ड से बाहर निकाला गया। आग पर काबू पाने में आधे घंटे का समय लग गया। एक्सपर्ट बताते हैं कि हॉस्पिटल में कई ऐसे केमिकल और दूसरे तत्व मौजूद होते हैं जिससे आग की लपटों को तेज होने में ज्यादा समय नहीं लगता। समय पर आग पर काबू नहीं पाया जाए तो हादसा बड़ा हो सकता है।