RANCHI: भक्तों के कष्ट हरने मां दुर्गा इस साल नाव पर सवार होकर आएंगी। इसका फल बहुत शुभ है और इससे शस्य वसुंधरा होगी। वहीं उनका गमन डोला पर होगा। इसका फल छत्र भंग है। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, महालया की शुरुआत आश्रि्वन महीने की अमावस्या पर होती है। महालया के साथ ही दुर्गापूजा और नवरात्रि की भी शुरुआत होती है। नवरात्रि इस वर्ष ख्क् सितंबर से शुरू होकर ख्9 सितंबर तक चलेगी।

 

पंडित रामदेव पांडेय ने बताया कि महालया दुर्गा पूजा का पहला दिन होता है। महालया के दिन लोग पूर्वजों को श्रद्धांजलि देते हैं। बांग्ला मान्यता के अनुसार, महालया के दिन मां की मूर्ति बनानेवाले मूर्तिकार मां दुर्गा की आंखों को बनाते हैं, जिसे चक्षुदान भी कहते हैं। इसका मतलब आंखें प्रदान करना होता है। सौर आश्विन के कृष्ण पक्ष का नाम महालया है। मां दुर्गा के आगमन के इस दिन को महालया के रूप में मनाया जाता है। महालया के अगले दिन मां दुर्गा के नौ दिनों की पूजा के लिए कलश स्थापना की जाती है। इसके साथ ही देवी के नौ रूपों की पूजा के साथ नवरात्रि पूजा शुरू हो जाती है। इस साल महालया ख्0 सितंबर को है और उसके बाद ख्क् सितंबर को कलश स्थापना की जाएगी। इसके बाद माता शैलपुत्री से लेकर माता सिद्धिदात्री तक की पूजा की जाएगी।