रांची (ब्यूरो) । गुरुद्वारा श्री गुरुनानक सत्संग सभा द्वारा सिख पंथ के दूसरे गुरु श्री गुरु अंगद देव जी महाराज के पावन प्रकाश पर्व पर सोमवार को सुबह 07.30 बजे से विशेष दीवान सजाया गया। मोगा,पंजाब से शिरकत करने पहुंची बीबी हरप्रीत कौर जी (वाहेनुर) ने कथावाचन कर साध संगत को बताया कि श्री गुरु अंगद देव जी का मूल नाम लहना था। उनका विवाह माता खिवी से हुआ था। उनके दो बेटे थे, दातू और दासू। बीबी अमरो उनकी बेटी थीं। भाई लेहना ने आसा दी वार के शबद सुने और गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं से प्रभावित हुए।

गुरु की सेवा में रहे

वह करतारपुर में गुरु नानक देव जी से मिले और उसके बाद लगभग तेरह वर्षों तक गुरु की सेवा में रहे। गुरु नानक देव जी से मिलने पर उन्हें एहसास हुआ कि मूर्तियों का जीवन में कोई मतलब नहीं है। गुरु के प्रति उनके प्रेम ने उन्हें गुरु का एक आदर्श शिष्य बनने के लिए प्रेरित किया। गुरु नानक देव जी ने 7 सितंबर, 1539 को भाई लहना को उनकी भक्ति और आज्ञाकारिता के कारण गुरु पद के लिए चुना और उनका नाम गुरु अंगद रखा गया।

सरोपा देकर सम्मानित किया

लुधियाना की बीबी अमनदीप कौर जी ने जे सऊ चंदा उगवह सूरज चहि हजार, एते चानण होदिआं गुर बिन घोर अंधारएवं वसतू अंदरि वसतु समावै दूजी होवै पासि, साहिब सेती हुकमु न चलै कही बणै अरदासि शबद कीर्तन से साध संगत को गुरवाणी से जोड़ा। श्री अनंद साहिब जी के पाठ,अरदास एवं हुक्मनामा के साथ दीवान की समाप्ति सुबह 10 बजे हुई। सत्संग सभा के अध्यक्ष द्वारका दास मुंजाल एवं सचिव अर्जुन देव मिढ़ा ने बीबी हरप्रीत कौर एवं बीबी अमनदीप कौर को गुरु घर का सरोपा देकर सम्मानित किया। मंच संचालन मनीष मिढ़ा ने किया। दीवान समाप्ति के उपरांत सभा द्वारा गुरु का अटूट लंगर चलाया गया। दीवान में सुरेश मिढ़ा,हरगोबिंद सिंह,मोहन काठपाल,जीवन मिढ़ा,महेंद्र अरोड़ा,अनूप गिरधर,बिनोद सुखीजा,हरीश मिढ़ा,रमेश पपनेजा,इंदर मिढ़ा,कमल अरोड़ा,राकेश गिरधर,कमल मुंजाल,अमरजीत मुंजाल,जीतू काठपाल,जितेंद्र मुंजाल,रौनक ग्रोवर,पीयूष मिढ़ा,करण अरोड़ा,विनीत खत्री,जीत सिंह,हर्षित बजाज,गीता कटारिया,मनोहरी काठपाल,बबली दुआ,शीतल मुंजाल,मनजीत कौर,बिमला मिढ़ा,रमेश गिरधर,रेशमा गिरधर,नीता मिढ़ा,ममता थरेजा, नीतू किंगर, इंदु पपनेजा समेत अन्य शामिल थे।