रांची(ब्यूरो)। झारखंड बिजली वितरण निगम ने बिजली टैरिफ बढ़ाने का प्रस्ताव झारखंड विद्युत नियामक आयोग को दिया है। विभाग की मानें तो लगातार हो रहे रेवेन्यू लॉस को पाटने के लिए बिजली दर बढ़ाना जरूरी है। यानी आम लोगों को बिजली का झटका लगने वाला है। जबकि विभागीय आंकड़ों की मानें तो बिजली विभाग को घाटा में डालने वालों में आम लोग नहीं बल्कि सरकारी विभाग ही ज्यादातर जिम्मेवार है। जी हां, सरकारी विभागों पर करोड़ों रुपए बिल का बकाया है। यहां तक कि राजधानी रांची स्थित दो स्टेडियम का भी करोड़ों रुपए बिल बकाया है। इनमें एक मोरहाबादी स्थित बिरसा मुंडा फुटबॉल स्टेडियम शामिल है जिसका 78 लाख का बिल बकाया है तो दूसरा मरांग गोमके जयपाल सिंह एस्ट्रोटर्फ हॉकी स्टेडियम का भी 58 लाख का बिल बकाया है। इसके बावजूद बिजली विभाग इनसे बिल की वसूली करने में सक्षम नहीं है। विभाग सिर्फ आम लोगों से बिल वसूलना और उन्हीं पर कार्रवाई करना जानता है।

नेशनल-इंटरनेशनल मैच

राजधानी रांची स्टेडियम के कारण हमेशा सुर्खियों में रहता है। नेशनल इंटरनेशनल मैच होते हैं। रांची के दो ऐसे स्टेडियम है जहां 16 महीनों से बिजली बिल बकाया है। दोनों स्टेडियम मिलाकर यह आकंड़ा लगभग 1.36 करोड़ पहुंच गया है, जो अक्टूबर 2023 तक का है। रांची के मोरहाबादी में स्थित बिरसा मुंडा फुटबॉल स्टेडियम का लगभग 78 लाख का बिजली बिल बकाया है। इस स्टेडियम के अलग-अलग परिसर में झारखंड खेल विभाग, झारखंड ओलंपिक एसोसिएशन और भारतीय खेल प्राधिकरण के कार्यालय भी हैं। इसके अलावा मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा एस्ट्रोटर्फ हॉकी स्टेडियम का भी लगभग 58 लाख का बिजली बिल बकाया है। दोनों स्टेडियम झारखंड खेल प्राधिकरण के अंतर्गत आते हैं।

एचईसी की कटी थी बिजली

जेबीवीएनएल ने इसी के तहत एचईसी का बिजली काट दिया था। एचईसी पर बिजली बिल मद में 160 करोड़ रुपए बकाया है। जमशेदपुर और धनबाद में भी सरकारी विभागों पर 575 करोड़ से ज्यादा का बकाया हो गया है। बार-बार रिमाइंडर के बाद भी सरकारी विभाग बकाया बिजली बिल का भुगतान नहीं कर रहे हैं। दूसरी तरफ आम उपभोक्ताओं पर अगर बिजली बिल मद में 10 हजार रुपए बकाया हो जाता है तो उनका तुरंत कनेक्शन काट दिया जाता है। मगर सरकारी विभागों पर करोड़ों बकाया होने के बाद भी बिजली का कनेक्शन नहीं कटता है।

1000 करोड़ बकाया

झारखंड के 31 सरकारी विभागों में उपभोक्ताओं की संख्या 15061 है। इन विभागों का बकाया बिजली बिल 1000 करोड़ से ज्यादा है। इसमें सबसे ज्यादा नगर विकास विभाग पर 174.70 करोड़, पेयजल विभाग पर 119.30 करोड़ व स्वास्थ्य विभाग पर 27.05 करोड़ बकाया है। निगम द्वारा कहा गया है कि वित्तीय वर्ष 2022-23 से सभी सरकारी विभागों को बिजली बिल का भुगतान अपने स्तर से किया जाना है। पूर्व में राज्य सरकार द्वारा एकमुश्त राशि का भुगतान किया जाता था, इसके बाद से बिजली बिल मद में किसी भी विभाग द्वारा भुगतान नहीं किया गया है। बकाया राशि में निरंतर बढोतरी हो रही है। जेबीवीएनएल के अफसरों का कहना है कि लंबे समय से एचईसी का बिजली बिल बकाया है। समय-समय पर भुगतान करने के लिए कहा गया, लेकिन बिल नहीं जमा किया जा रहा है।