रांची(ब्यूरो)। राजधानी की कैसी है पुलिस व्यवस्था, यह किसी से छिपा नहीं है। चोरी-छिनतई की घटना होती रहती है। लेकिन पुलिस सिर्फ हाथ पर हाथ धरे बैठी रहती है। वैसे तो पुलिस को खुद ही कांड के विषय में जानकारी और सबूत जुटाना रहता है। लेकिन रांची की पुलिसिंग ऐसी है कि यहां विक्टिम खुद से भी प्रूफ और सभी डॉक्यूमेंट्स पुलिस को उपलब्ध करा दे फिर भी राजधानी की पुलिस मामले को सुलझाने में टस से मस नहीं होती। डोरंडा थाना की पुलिस का व्यवहार कुछ ऐसा ही साबित करता है। करीब एक महीने पहले हुई चोरी का खुलासा करने में अबतक पुलिस को कामयाबी नहीं मिली है। खुलासा तो दूर की बात पुलिस एक सुराग तक नहीं जुटा पाई है। मामले पर पूछने में पुलिस वही वर्क इन प्रोग्रेस का घिसा-पीटा जवाब देती है। करीब एक महीने पहले डोरंडा थाना क्षेत्र के हिनू के एक मोबाइल दुकान से लगभग 40 लाख रुपए के मोबाइल की चोरी हुई थी। इस संबंध में डोरंडा थाना में मामला दर्ज कराया गया। यह घटना बीते 13 अक्टूबर की है। लेकिन एक महीने से ज्यादा का वक्त बीत चुका है पुलिस चोर को ढूंढने और गिरफ्तार करने में असफल रही है।

उधर मोबाइल हो रहा एक्टिवेट, इधर सो रही पुलिस

करीब 150 मोबाइल फोन चोरी हुए हैं। चोरी हुए एक हफ्ते भी नहीं बीता था कि मोबाइल एक्टिवेट होने भी शुरू हो गए। एक्टिवेशन का सारा रिकार्ड दुकानदार वसीम के पास मौजूद है। वसीम ने इसे महत्वपूर्ण साक्ष्य मानते हुए थाना में भी एक कॉपी जमा की है, जिसमें मोबाइल का ब्रांड, मॉडल नेम, आईएमईआई नंबर मौजूद है। मोबाइल किस दिन और कितने बजे एक्टिव हुआ है, इसकी जानकारी भी इस रिकार्ड में है। सिर्फ यह रिकार्ड ही नहीं वसीम ने पुलिस को साक्ष्य के रूप में संदिग्ध की फोटो और स्कूटी नंबर भी भी उपलब्ध कराया गया है। इतना सबूत सौंपने के बाद भी पुलिस आगे की कोई प्रक्रिया पूरी नहीं कर रही है। उल्टे पीडि़त को ही परेशान किया जा रहा है। दुकान वसीम ने बताया कि कई बार थाना चक्कर लगा चुके लेकिन हर बार जांच चल रही बोल कर भगा दिया जाता है। कई बार तो दुव्र्यव्हार भी किया गया। वसीम ने बताया कि डोरंडा थाना से लेकर एसएसपी तक अर्जी लगा चुके हैं। लेकिन डेढ़ महीने बाद भी कोई नतीजा नहीं निकला। वसीम का कहना है फेस्टिवल के समय ग्राहकों की डिमांड को देखकर हेवी इनवेस्टमेंट कर स्टॉक उठाया था। लेकिन ऐन मौके पर दुकान में चोरी गया। एक्सपेंसिव मोबाइल फोन जिसकी कीमत 40 से 50 हजार रुपए तक थी, चोरी हो गए। चोरों ने दुकान का एसबेस्टस तोड़कर मोबाइल फोन चुरा लिए थे।

हर महीने मोबाइल की चोरी

सिटी में हर महीने में सैकड़ों मोबाइल फोन की चोरी हो जाती है। कुछ दुकान से कुछ घर से तो कुछ छिनतई कर लिए जाते हैं। पीडि़त पक्ष थाने में आवेदन आता है। लेकिन सिर्फ फाइलों में दबकर रह जाता है। पीडि़त भी पुलिस स्टेशन का चक्कर लगाकर थक -हार कर छोड़ देते हैं। चोरी हुए मोबाइल की रिकवरी करने के मामले में पुलिस काफी पीछे हैं। वीआईपी या हाई प्रोफाइल मामला होने पर पुलिस दिन-रात एक ओर सारे एक्सपट्र्स लगाकर मोबाइल की खोज में जुट जाती है। मोबाइल भी ढूंढ निकाला जाता है। लेकिन आम लोगों के मामले में पुलिस इसका दस परसेंट भी एनर्जी खर्च नहीं करती। यही कारण है कि मोबाइल चोर आराम से एक के बाद एक चोरी करते रहते हैं और पुलिस सिर्फ वर्क इन प्रोग्रेस का राग अलापती रहती है।

जांच चल रही है। जल्द ही चोर पकड़ लिए जाएंगे। कुछ मोबाइल के एक्टिवेट होने की सूचना मिली है। लेकिन अभी पुलिस चोरों तक नहीं पहुंच पाई है। मोबाइल एक्टिवेशन के आधार पर जांच कराई जाएगी।

-रमेश कुमार, थाना प्रभारी, डोरंडा