RANCHI: कोरोना काल में कई महीनों से बंद स्कूलों को खोल तो दिया गया लेकिन बच्चों की संख्या कम हो गई है। हालांकि, शिक्षा विभाग ने पूरी तैयारी की है। पेरेंट्स से सहमति पत्र लेकर ही बच्चों को स्कूल बुलाने को कहा गया है। स्कूलों में भी कोरोना से बचाव के इंतजाम किए गए हैं। बच्चों के लिए मास्क, सेनेटाइजर, थर्मल स्क्रीनिंग की भी व्यवस्था कराई गई है। इन सबके बावजूद पेरेंट्स को कोरोना का भय सता रहा है। बच्चों को स्कूल भेजने के बजाय ऑनलाइन पढ़ाना ही चाह रहे हैं।

कतरा रहे पेरेंट्स

जेवीएम श्यामली स्कूल के प्रिंसिपल समरजीत का कहना है कि स्कूल शुरू हो चुका है। बच्चों को बुलाया जा रहा है, जो नजदीक के बच्चे हैं और साइकिल से आते हैं वो तो आने लगे हैं। लेकिन दूर से गाड़ी में आने वाले बच्चे नहीं आ पा रहे हैं। उनके लिए ऑनलाइन पढ़ाई कराई जा रही है। वहीं, ज्यादातर पेरेंट्स अभी बच्चों को स्कूल भेजने से कतरा रहे हैं। इसी तरह डीएवी गांधीनगर के प्रिंसिपल डॉ एसके सिन्हा कहते हैं कि अभिभावकों में कोरोना को लेकर भय व्याप्त है। ऐसे में स्कूल से ऑनलाइन क्लासेज चलाई जा रही हैं। अब ऑनलाइन परीक्षा भी कराई जा रही है। पिछले चार दिनों से कक्षा 12 तक के बच्चों के लिए स्कूल खुलने लगा है।

क्या है गाइडलाइंस

केंद्र की गाइडलाइंस के अनुसार, देश के जो राज्य 9-12वीं तक के स्कूल खोलने के इच्छुक हैं, वो एसओपी के अनुसार स्कूल खोल सकते हैं पर स्कूल खुलने के बाद अब छात्रों की उपस्थिति काफी कम है। पेरेंट्स कोरोना वायरस के डर के कारण बच्चों को स्कूल भेजने में संकोच कर रहे हैं। नए साल में कई स्कूल तो खुले लेकिन छात्र की उपस्थिति बहुत कम है।

वैक्सीन आने पर ही खुले स्कूल

पेरेंट्स राजेंद्र प्रसाद कहते हैं कि सरकार का स्कूल खोलने का निर्णय ठीक है, लेकिन यह सावधानी रखी जाए कि स्टूडेंट्स का जीवन सुरक्षित भी रहे। उनकी पढ़ाई भी जारी रहे और उनकी पढ़ाई का नुकसान न हो। जब तक कोरोना का भय है। ऑनलाइन पढ़ाई ही कराई जाए। कोरोना की रफ्तार अब कम हो रही है। कुछ महीने बाद संक्रमितों की संख्या और कम हो जाएगी, उसके बाद ही स्कूल खुलने चाहिए।

कई स्कूलों में 15 के बाद आएंगे बच्चे

राजधानी के अधिकतर स्कूल खुल चुके हैं। शुरुआत में दसवीं से लेकर 12वीं तक के स्टूडेंट्स के लिए स्कूल खुले हैं। लेकिन संख्या कम होने के कारण स्कूलों ने सिर्फ 12वीं क्लास के छात्रों को ही स्कूल बुलाने का निर्णय लिया है। कई स्कूल 15 जनवरी के बाद नौवीं और दसवीं के छात्रों को भी बुलाएंगे। पेरेंट्स अब भी वेट एंड वॉच की स्थिति में हैं। जब कोरोना का वैक्सीन आ जाएगा। लोग वैक्सीन लगवाना शुरू कर देंगे। तभी बच्चों को स्कूल भेजेंगे।

क्या है स्कूलों की व्यवस्था

-स्कूलों ने पेरेंट्स की रिटेन परमिशन के बाद ही स्टूडेंट्स को पढ़ाई के लिए आने दिया।

-बीमार स्टूडेंट्स, टीचर्स के लिए ऑनलाइन क्लासेज जरूरी।

-इंटरवल और फ्री टाइम में स्टूडेंट्स को एक जगह एकत्र होने की अनुमति नहीं।

-स्कूल कैंपस में स्टूडेंट्स व सभी स्टाफ्स को मास्क पहनना जरूरी है।

-थर्मल स्क्रीनिंग और हैंड सेनेटाइजर की व्यवस्था।

स्कूल तो खुल गए हैं, लेकिन स्टूडेंट्स उपस्थिति बहुत कम है। अभी हमारे स्कूल में 12वीं के स्टूडेंट्स ही आ रहे हैं। 15 जनवरी के बाद दूसरी क्लास के स्टूडेंट्स को बुलाया जाएगा। अभी हमारी क्लास में 50 परसेंट से भी कम बच्चों की उपस्थिति हो रही है।

-समरजीत जाना, प्रिंसिपल, जेवीएम श्यामली स्कूल

हमारे स्कूल में 40 परसेंट से भी कम बच्चों का अटेंडेंस हो रहा है। हालांकि, कई क्लास के बच्चों के लिए हम लोग ऑनलाइन क्लास अभी भी चला रहे हैं। लेकिन स्टूडेंट्स की कम उपस्थिति को लेकर पेरेंट्स को भी कन्विंस किया जा रहा है कि वे अपने बच्चों को भेजें।

-एसके सिन्हा, प्रिंसिपल, डीएवी गांधीनगर