रांची(ब्यूरो)। यूनिफॉर्म में ही कश लगा रहे बच्चे। जी हां, स्कूल-कॉलेज हो या कोचिंग सेंटर, आसपास स्थित चाय की दुकान या गुमटी में यूनिफॉर्म पहने बच्चे कश लगाते हुए नजर आ रहे हैं। यह हाल तब है जबकि टोबैको प्रोहिबिटेड को लेकर राजधानी रांची में बीते चार मई से ड्राइव चलाया जा रहा है। लेकिन अब तक इसका कोई खास असर देखने को नहीं मिला है। अभियान के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति हो रही है।

15 दिनों में कोई कार्रवाई नहीं

बीते 15 दिनों के अभियान में न तो किसी तंबाकू विक्रेता पर कार्रवाई हुई और न ही किसी की दुकान या गोदाम में छापेमारी हुई है। यह अभियान 31 मई तक चलेगा। इसी प्रकार सिर्फ खानापूर्ति कर अभियान की इतिश्री कर दी जाएगी। यही कारण कि मार्केट से टोबैको आइटम न खत्म हो रहा है और न ही इस पर प्रतिबंध लग पा रहा है। आज भी हर गली, हर नुक्कड़, चौक-चौराहे, सरकारी कार्यालय समेत शैक्षणिक संस्थानों के आसपास भी टोबैको उत्पाद खुलेआम बिक रहे हैं।

तीसरा चरण शुरू, नहीं दिख रहा असर

चार चरणों में चलने वाले इस अभियान का दो चरण संपन्न हो चुका है। पहला चरण सात मई को समाप्त हुआ, इसके तहत शैक्षणिक संस्थानों के आसपास बिक रहे टोबैको आईटम्स पर प्रतिबंध लगाना था, ऐसा कर रहे व्यक्ति पर कोटपा एक्ट के तहत कार्रवाई के आदेश दिए गए थे। लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं। कर्मियों की लापरवाही और विभाग के उदासीन रवैये के कारण ही सिटी में तंबाकू उत्पाद की बिक्री बंद नहीं हो पा रही है, जिस उद्देश्य से अभियान चलाए जाते है वह सिर्फ आईवॉश बन कर रहा जाता है। इन दिनों अभियान का तीसरा चरण चालू है। इसके तहत जिला प्रखंड स्तर पर तंबाकू निषेध विषय पर बैठक करनी है, जिसमें इसके विकल्प पर चर्चा करने की योजना है। 23 से 30 मई तक अभियान का चौथा और अंतिम चरण होगा। इस दौरान कोटपा अधिनियम एवं तंबाकू निषेध से संबंधित सभी नियमों-अधिनियमों का प्रचार-प्रसार किया जाएगा। साथ ही जांच अभियान चलाने की भी योजना है। लेकिन जिस प्रकार दो चरण बीत गए, उसी तरह शेष दो चरण न बीत जाए, इसका ख्याल रखना होगा।

स्कूल-कॉलेज के पास दुकान

जिस स्थान को केंद्र में रख योजनाएं बनाई जाती हैं, वहां भी इसका कोई खास असर नहीं दिख रहा है। प्रमुख रूप से शैक्षणिक संस्थानों के आसपास तंबाकू उत्पाद, सिगरेट, बीड़ी, गुटखा समेत अन्य सभी प्रकार के नशीले सामानों की बिक्री पर प्रतिबंध लगाना मुख्य उद्देश्य है, लेकिन इसकी पूर्ति नहीं हो रही है। नियमानुसार शैक्षणिक संस्थानों के सौ मीटर के दायरे में किसी प्रकार के तंबाकू उत्पाद की बिक्री करने पर मनाही है। लेकिन सौ मीटर तो दूर की बात बीड़ी-सिगरेट की दुकान तो स्कूल-कॉलेज, कोचिंग सेंटर के दस मीटर के दायरे में ही मौजूद हैं।

बिगड़ रहे हैं स्कूली बच्चे

हर साल 31 मई को विश्व तंबाकू निषेध दिवस पर बड़े-बड़े कार्यक्रम और गोष्ठियां होते हैं। सरकारी स्तर से लेकर प्राइवेट एनजीओ और संस्थान की ओर से भी तंबाकू निषेध दिवस पर कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। लेकिन इसका असर कहीं नहीं दिखता है। इन दिनों स्कूल-कॉलेज गोइंग गल्र्स और ब्वॉयज का जमावड़ा चाय और सिगरेट की दुकान पर बढ़ता जा रहा है। यूनिफार्म में ही स्टूडेंट्स सिगरेट के कश लगाते नजर आ रहे हैं। लालपुर, पुरुलिया रोड, जेल मोड़, मोरहाबादी, डोरंडा समेत अन्य इलाकों में ऐसा नजारा बिल्कुल सामान्य सी बात हो गई है। न तो दुकानदार इन बच्चों को सिगरेट-बीड़ी देने से मना करते हैं और न ही प्रशासन ऐसे दुकानदारों पर कोई कार्रवाई कर रहा है। ऐसे में तंबाकू निषेध अभियान महज खानापूर्ति के अलावा कुछ नहीं रह गया है।

30 मई तक तंबाकू निषेध अभियान चलाया जा रहा है। अलग-अलग चरणों में कार्यक्रम होंगे। लोगों को इसके प्रति अवेयर भी किया जाएगा। 31 मई को सभी सरकारी केंद्रों पर मधुमेह, हृदय रोग एवं कैंसर की जांच होगी।

-डॉ भुवनेश्वर प्रताप सिंह, अभियान निदेशक, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन