रांची (ब्यूरो): इस बार अपने शहर की रैंकिंग को सुधारने में आम पब्लिक का भी अहम योगदान होगा। लोगों की एक्टिविटी पर भी नंबरों का मिलना और कटना निर्भर करेगा। शहर के लोगों की आदत इधर-उधर थूकने की बैड हैबिट है। लोग किसी की परवाह किए वगैर सडक़ पर चलते हुए कहीं भी, ऑफिस में, स्कूल, कॉलेज व अन्य पब्लिक प्लेसेस में थूक देते हैं। आम लोगों की यह आदत शहर की रैंकिंग पर असर डालेगी। दरअसल इस बार हो रहे स्वच्छता सर्वेक्षण में सार्वजनिक स्थानों की साफ-सफाई पर भी नंबर रखा गया है। पान-गुटखा खाकर सार्वजनिक स्थानों पर थूकने पर 75 नंबर कट जाएंगे। इसके अलावा, साफ-सफाई और दूसरी एक्टिविटी में भी नंबर है।

प्लास्टिक मुक्त बनाने पर भी दिए जाएंगे 150 नंबर

प्लास्टिक मुक्त शहर के लिए अलग से 150 नंबर मिलेंगे। मालूम हो कि पिछले वर्ष के सर्वेक्षण में रांची को 38 रैंक मिला था। शहरों के लिए वेस्ट मैनेजमेंट को अनिवार्य बनाने के लिए भारत सरकार ने स्वच्छता सर्वेक्षण-2023 की थीम ही &वेस्ट टू वेल्थ&य घोषित कर दिया है। स्वच्छता सर्वेक्षण-2023 कुल 9500 अंकों की प्रतियोगिता होगी, जो पिछले सर्वेक्षण से 2000 अंक अधिक है। स्वच्छता को लोगों की आदत बनाने के लिए पहली बार &रेड स्पॉट&य का पैरामीटर्स में जोड़ा गया है। मतलब नगर निकाय क्षेत्र में जहां-तहां पान-गुटखा खाकर थूकने वालों पर सख्ती करनी होगी।

बन गया है रेड-येलो स्पॉट

रांची में जहां-तहां पान-गुटखा खाकर लोगों को थूकने की बूरी आदत है। सिटी में सडक़ से लेकर कलेक्ट्रेट-सचिवालय, राजभवन की बाउंड्री तक रेड-येलो स्पॉट बन गया है। सभी सरकारी ऑफिसों की तस्वीर भी ऐसी ही है। आप कहीं से भी गुजरें पान-गुटखा के दाग हर जगह दिख जाएंगे। नगर निगम, कलेक्ट्रेट सहित सभी सरकारी कार्यालयों की दीवार, सीढ़ी में पान-गुटखा की पीक दिखेगी। सडक़ों के बीच बने डिवाइडर का रंग काला-सफेद से लाल नजर आने लगा है, क्योंकि लोग सबसे अधिक पीक यहीं फेंकते हैं। इस बार टॉप रैंक लाना बड़ी चुनौती होगी। लोगों को अवेयर करने करना काफी जरूरी है। इस बार के सर्वेक्षण में लोगों को अपनी जिम्मेवारी भी प्रमुखता से निभानी होगी।

थ्री आर यानी रिसाइकल, रियूज व रिडयूस

इस बार यह सर्वेक्षण तीन की बजाय चार राउंड का रखा है। 7500 के स्थान पर 9500 अंकों का होगा। स्वच्छ सर्वेक्षण की थीम कचरे से समृद्धि है। ऐसे में थ्री आर यानी रिसाइकल, रियूज व रिडयूस के सिद्धांत पर काम करते हुए कचरे से शहर की समृद्धि पर फोकस करना ही इस सर्वेक्षण का मुख्य उद्देश्य है। थीम के अनुरूप ही इस बार 48 प्रतिशत अंक यानी 4525 अंक अकेले सर्विस लेवल प्रोग्रेस यानी कूड़े को लेकर सेग्रीगेशन, प्रोसेसिंग व डिस्पोजल पर आधारित रहेंगे। 26 प्रतिशत यानी 2500 अंक सर्टिफिकेशन के होंगे और 26 प्रतिशत यानी 2475 अंक सिटीजन वाइस के होंगे।

निकलता है 500 टन कूड़ा

शहर में करीब 500 टन कूड़ा हर रोज निकलता है। इस कचरे को झिरी डंपिंग यार्ड में डंप किया जा रहा है। कचरे का सेग्रीगेशन होना चाहिए, लेकिन वह नहीं हो पा रहा है। ऐसे में नगर परिषद के सामने इस सर्वेक्षण में यह सबसे बड़ी चुनौती है। इसके बाद डपिंग स्टेशन पर कूड़े के डिस्पोजल को लेकर भी बड़ी समस्या है। कूड़े के निस्तारण को लेकर प्लांट लगाना था, जिसपर कोई काम नहीं हुआ है।

स्वच्छता सर्वेक्षण के पैरामीटर्स के अनुसार रांची नगर निगम क्षेत्र में काम हो रहा है। घरों से कूड़ा उठाव में सुधार आया है। डिस्पोजल प्लांट का काम चल रहा है। स्वच्छता रैंकिंग में लोगों का सहयोग जरुरी है।

शशि रंजन

नगर आयुक्त