रांची(ब्यूरो)। ग्राउंड वाटर रिचार्ज करने के लिए तालाबों को सबसे सशक्त माध्यम माना जाता है। जहां तालाब होते हैं उसके आसपास इलाके की बोरिंग जल्दी नहीं सूखती है। लेकिन विडंबना यह है कि वाटर रिचार्ज करने के इस माध्यम का वजूद ही मिटाने की साजिश रच दी गई है। राजधानी रांची में सैकड़ों तालाबों का अस्तित्व मिट चुका है। वहीं कई तालाब ऐसे हैं जो बर्बादी के कगार पर हैं। वार्ड संख्या 31 स्थित देवी मंडप तालाब का वजूद भी समाप्ति की ओर है। यदि इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो आने वाले समय में यहां तालाब के स्थान पर ऊंची-ऊंची बिल्डिंग्स खड़ी नजर आएंगी। देवी मंडप तालाब में पानी एक बूंद नहीं है, पानी की जगह यहां जंगली पौधों ने ले ली है। पूरे क्षेत्र में जंगली पौधे निकल आए हैं। कभी इस तालाब में लबालब पानी हुआ करता था। इसकी गहराई भी आठ से दस फीट तक थी। लेकिन धीरे-धीरे इसकी गहराई कम होती जा रही है।

ठंडे बस्ते में ब्यूटीफिकेशन प्लान

देवी मंडप तालाब के सौंदर्यीकरण की योजना साल 2016 में ही तैयार की गई थी। इसके लिए करीब एक करोड़ रुपए प्रस्तावित हुआ था। लेकिन यह योजना धरी की धरी रह गई। जमीन रैयती का हवाला देते हुए है यह योजना पूरी नहीं हो सकी, सौंदर्यीकरण पर ग्रहण लग गया। बीते आठ सालों से दिनों दिन तालाब का अस्तित्व मिटता जा रहा है। जिम्मेवार विभाग इस ओर ध्यान नहीं दे रहे। तालाब के आसपास ऊंची-ऊंची बिल्डिंग्स बन गई हैं। जिससे तालाब में पानी पहुंचने के सारे रास्ते बंद हो चुके हैं। बारिश का पानी भी यहां जमा तो होता है, लेकिन वह भी कुछ दिन में ही सूख जाता है। आसपास के लोग पहले तालाब में नहाने जाते थे। यहां मछली पालन भी होता था। लेकिन आज तालाब की हालत दयनीय हो चुकी है।

आसपास नशेडिय़ों का जमावड़ा

तालाब के आस-पास नशेडिय़ों का जमावड़ा लग रहा है। किनारे पर बैठ कर नशेड़ी शराब और गांजा का सेवन करते हैं, जिससे लोकल लोग भी काफी परेशान हैं। कई बार स्थानीय नागरिकों और नशेडिय़ों के बीच नोकझोंक और मारपीट की नौबत भी आ चुकी है। लोगों का कहना है कि थाने में शिकायत करके थक चुके हैं, लेकिन पुलिस भी उनकी नहीं सुनती। कभी पुलिस पेट्रोलिंग गाड़ी भी इधर नहीं आती। जबकि यह क्षेत्र अब घनी आबादी वाला बन चुका है। तालाब किनारे वाली सड़क लोगों के आने-जाने का जरिया है। महिलाएं, लड़कियां, बच्चे सभी इधर से आना-जाना करते हैं। फिर भी प्रशासन ध्यान नहीं दे रहा।

भू-माफिया निगल गए तालाब

राजधानी रांची में 400 से अधिक तालाब थे। लेकिन आज महज 42 तालाब ही रह गए हैं। इनमें अधिकतर तालाब भू-माफिया और भ्रष्ट अधिकारियों ने मिलकर बर्बाद कर दिया। सरकारी हो या निजी सभी तालाबों पर भू माफिया की नजर लग गई है। वे बेखौफ तालाबों को भरकर बेच रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट की रोक के बावजूद शहरों में तालाबों को भर कर बहुमंजिली इमारतें खड़ी कर दी गई हैं। अब भू-माफिया शहर के आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों के सरकारी और निजी तालाबों को भर कर प्लॉटिंग कर बेच रहे हैं। पर जिम्मेवार अधिकारी-कर्मचारी बेखबर हैं। कर्मचारियों की मिलीभगत से ही नदी-तालाबों का अतिक्रमण किया जा रहा है और उन्हें भरकर बेचा जा रहा है। भू-राजस्व विभाग के पास उपलब्ध नक्शों पर आज भी तालाबों व अन्य जल स्रोतों की पूरी जानकारी मौजूद है, लेकिन धरातल पर कहीं कोई तालाब नहीं है।

क्या कहती है पब्लिक

रांची में नदी और तालाब धीरे-धीरे गायब होते जा रहे हैं, जो तालाब या नदी बचे हैं, वहां भी अतिक्रमण कर लिया गया है। सरकार और प्रशासन आंखें बंद किए हुए हैं। आने वाले समय में पानी के लिए और ज्यादा मारामारी होगी।

- विकास कुमार

तालाबों के सौंदर्यीकरण के नाम पर सरकार ने करोड़ों रुपए खर्च किए। लेकिन कहीं कोई खास काम नजर नहीं आता। कुछ स्थानों पर बाउंड्री और सीढ़ी का निर्माण हुआ है, लेकिन पानी से लबालब रहे, इस दिशा में कोई काम नहीं हुए हैं।

- विनोद चौधरी