रांची(ब्यूरो)। राजधानी रांची के शॉपिंग मॉल में यदि आप शॉपिंग करने जा रहे हैं, तो आपको अपने सामान की रक्षा में थोड़ा ज्यादा सतर्क रहना होगा। दरअसल सिटी के शॉपिंग मॉल में नन्हें चोर घूम रहे हंै। इनकी नजर आपके पर्स, मोबाइल फोन और दूसरे कीमती सामानों पर भी है। मौका मिलते ही ये नन्हें चोर आपके सामान पर हाथ साफ कर बड़ी आसानी से रफू-चक्कर हो जाते हैं। शुक्रवार को ही मेन रोड स्थित एम बाजार में चोरी करते एक बच्चे को महिला ने पकड़ा। महिला मॉल में अपने बेटे के लिए स्वेटर खरीदने आई थी। लेकिन जब उसने पेमेंट करने के लिए पैसा निकाला तो उनका पर्स गायब था। जब महिला ने हंगामा किया तो सीसीटीवी फुटेज की जांच की, जिसमें एक बच्चा चोरी करते हुए नजर आया। मॉल कर्मियों की मदद से बच्चे को कोतवाली थाना ले जाकर पुलिस के हवाले किया गया। इस तरह के घटनाएं आए दिन राजधानी में देखी जा रही हैं।

कम उम्र के बच्चे हैैं शामिल

चोरी के इस वारदात को 12 से 16 साल के बच्चे अंजाम दे रहे हैं। ये बच्चे एक मॉल से दूसरे मॉल में घूमते रहते हैं। कांड करने के बाद ये लोग चुपचाप निकल जाते हैैं। इस काम के लिए इन्हें अच्छी तरह से ट्रेनिंग दी गई है। छोटे बच्चों के अलावा महिला चोरों का गिरोह भी शॉपिंग मॉल में चोरी की घटना को अंजाम दे रहा है। चोरों का यह गिरोह मॉल में भीड़ का फायदा उठाकर पलक झपकते ही सामान उड़ाकर गायब हो जाते हैं। मॉल में कपड़ा या दूसरे सामान पसंद करते वक्त या फिर काउंटर में पेंमेंट करते वक्त लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं। ये चोर कहां से आते हैं और अपना काम कर फिर कहां चले जाते हैं, अबतक इसका पता नहीं चल पाया है। शुक्रवार को एक बच्चा पुलिस के हाथ जरूर लगा लेकिन उससे भी कुछ खास पुलिस उगलवा नहीं सकी। महिला के पैसे वापस कर बच्चे को रिमांड होम भेज दिया गया।

लड़कियां भी शामिल

घूम-घूम कर चोरी करने वाले इस गैैंग में आधा दर्जन से अधिक बच्चे शामिल हैं। इनमें लड़के और लड़कियां दोनों हैं। खास कर शॉपिंग मॉल, मार्केट व भीड़ भाड़ वाले स्थान में ये बच्चे चोरी जैसे जघन्य अपराध को अंजाम दे रहे हैं। इसके अलावा खुले घरों और फ्लैट में घुसकर भी बच्चे सामान और कैश उड़ाकर रफूचक्कर हो रहे है।

चोरी से पहले ट्रेनिंग

छोटे-छोटे बच्चे खेलने और पढऩे की उम्र में चोरी जैसे कांड को अंजाम दे रहे हैं। इन बच्चों का भविष्य क्या होगा, यह आप भी अच्छे से समझ सकते हैं। बच्चों को इस दलदल में धकेलने के पीछे उनके अभिभावकों का भी हाथ है। अभिभावक खुद ही बच्चों को जुर्म में शामिल कर रहे हैं। कुछ ऐसे भी बच्चे हैं जिनके माता-पिता नहीं हैं, वे अपने दोस्तों के साथ गलत संगत में पड़कर अपराध कर रहे हैं। बच्चों को चोरी के लिए भेजने से पहले उन्हें ट्रेनिंग भी दी जाती है। कोड वर्ड में बात करने से लेकर पकड़े जाने पर क्या करना है, इन सबकी बकायदा ट्रेनिंग होती है।

केस स्टडी 1

9 दिसंबर

मेन रोड स्थित एम बाजार में अपने बेटे के लिए स्वेटर खरीदने आई महिला का पर्स गायब। पर्स में थे पांच हजार रुपए। सीसीटीवी में पर्स चोरी करते बच्चे की तस्वीर कैद, लोगों ने पकड़ कर पुलिस को सौंपा।

केस स्टडी 2

2 दिसंबर

रांची के एक प्रतिष्ठित मॉल में खरीदारी करने गई, पूनम कुमारी का पर्स गायब। महिला के शोर करने के बाद भी चोर का नहीं चल सका पता। पर्स में था दस हजार रुपए और मोबाइल फोन।

चोरी करता हुआ एक बच्चा पकड़ा गया है। मेन रोड स्थित शॉपिंग मॉल से स्थानीय लोगों की मदद से उसे पकड़ा गया। बच्चे को बाल सुधार गृह भेज दिया जाएगा।

-शैलेश कुमार, थाना प्रभारी, कोतवाली