रांची(ब्यूरो)। किसी राज्य का वह इलाका जहां उसका मुखिया रहता है, वह शहर का सबसे वीवीआईपी और सबसे ज्यादा सुरक्षित माना जाता है। लेकिन राजधानी रांची के संदर्भ में ऐसी बात नहीं है। यहां राज्य के मुखिया यानी की मुख्यमंत्री के आवास के आसपास भी चोर सेंध लगा देते हैं। सिटी से एक ऐसा ही वाकया सामने आया है, जहां चोरों ने सीएम आवास के पास से ही स्कूटी उड़ा ली। दरअसल, किशोरगंज निवासी अनुबंध कुमार ने अपनी स्कूटी सीएम आवास गेट की दूसरी ओर पार्क कर रांची कॉलेज गया था। वापस आने पर उसने इसकी लिखित शिकायत लालपुर थाना में की है। हालांकि पुलिस को अबतक इस मामले में कोई सफलता नहीं मिली है। युवक अपनी स्कूटी को लेकर परेशान है, लेकिन चोर का अबतक कोई अता-पता नहीं है। सीएम आवास के पास ऐेसी घटना का होना सुरक्षा के कई सारे सवाल खड़े करता है। जब मुख्यमंत्री आवास के आसपास ही लोग चोरों से सुरक्षित नहीं हैं। फिर अन्य इलाकों का क्या होगा, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।

डेली 4-5 वाहन चोरी

रांची में हर दिन सिटी में चार से पांच वाहन की चोरी हो जाती है। सिटी में बाइक चोर गिरोह ने उत्पात मचा रखा है। एक आंकड़े के अनुसार राजधानी में हर साल करीब 800 टू व्हीलर्स की चोरी हो जाती है। इसी हफ्ते अब तक करीब दस वाहनों की चोरी हो चुकी है। कुछ दिन पहले ही पुलिस बाइक चोर गिरोह का खुलासा करते हुए पांच चोरों को गिरफ्तार किया था। इसके बाद भी वाहनों की चोरी पर कोई कंट्रोल नहीं हुआ है। चोरी हुए वाहन ज्यादातर दूसरे जिले ले जाकर बेच दिए जाते हैं। कई अपराधी भी चोर गिरोह के सदस्यों से चोरी की गाड़ी कम दाम में खरीद लेते हैं। वे इसका इस्तेमाल छिनतई, लूट, मर्डर, अपहरण जैसी वारदातों को अंजाम देने के लिए करते हैं। अपराधी अपनी पहचान छिपाने के लिए चोरी की गाड़ी का इस्तेमाल करते हैं।

सिर्फ 10 परसेंट ही रिकवरी

सिटी में बाइक चोर गिरोह काफी सक्रिय है। लगातार चोरी की शिकायतें थाने पहुंचती हैं। सिर्फ रांची में ही हर महीने 60 बाइक चोर उड़ा ले जाते हैं। इसमें सिर्फ दस प्रतिशत की ही रिकवरी हो पाती है। जानकारी के अनुसार, लोअर बाजार, कोतवाली, बरियातू, अरगोड़ा, सुखदेव नगर, सदर, धुर्वा और जगन्नाथपुर थाना क्षेत्र में बाइक चोर गिरोह का सबसे अधिक आंतक है। इन थाना क्षेत्रों से बाइक चोरी की घटनाएं सबसे अधिक हो रही हैं। गिरोह के सदस्य व्यावसायिक इलाकों में मौजूद रहते हैं, और बाइक मालिक पर नजर रखते हैं। जैसे ही उन्हें मौका मिलता है, बाइक लेकर भाग जाते हैं। इधर, पुलिस भी बाइक चोर गिरोह से परेशान हैं। जब तक पुलिस एक गिरोह का खुलासा करती है, तब तक गिरोह दूसरे कांड को अंजाम दे देते हैं। इन गिरोह का नेटवर्क ऐसा है कि चोरी के बाद बाइक को दूसरे जिले में ले जाया जाता है। जहां पहले से तय स्थान पर मौजूद गिरोह के अन्य सदस्य उसे छिपा देते हैं। इसके बाद ग्राहक खोजकर उसे ठिकाना लगा देते हैं।

फर्जी कागजात भी तैयार

गिरोह का नेटवर्क इतना तगड़ा है कि इधर बाइक चोरी हुई नहीं कि उधर गाड़ी के फर्जी पेपर भी तैयार हो जाते हैं। इन कागजात की मदद से चोरी की गाड़ी को गांव, देहात, सुदूर इलाकों, कोयला ढोने वाले लोगों से बेच दिए जाते हैं। 15 से 20 हजार रुपए में बाइक-स्कूटी बेच दी जाती है। फर्जी कागजात बनाने की बात बीते दिनों गिरफ्तार हुए गिरोह के सदस्यों ने भी स्वीकार किया है। पूछताछ में चोरों ने बताया कि चोरी के बाद बाइक या स्कूटी का रजिस्ट्रेशन नंबर बदल कर उसका फर्जी पेपर तैयार करते थे। इसके बाद खुद ही किसी फाइनांस कंपनी का एजेंट बनकर चोरी की गाड़ी बेच देते थे।

गिरोह के सदस्यों की गिरफ्तारी हुई है। पूछताछ में और भी जानकारियां मिली हैं। जिस पर तफ्तीश चल रही है। किसी भी सुनसान जगह गाड़ी खड़ी न करें। गाड़ी में डबल लॉक लगाएं।

-चंदन कुमार सिन्हा, एसएसपी, रांची