रांची (ब्यूरो)। नौ सौ वाला 1500 में, एक हजार वाला 1800 में, 1300 वाला 2200 और 1700 वाला 2600 में टिकट। ये कीमत किसी मूवी के टिकट का नहीं है। बल्कि रांची में होने वाले इंडिया-न्यूजीलैंड के बीच टी-20 मैच का है। रांची में किक्रेट मैच होने की खुशी किक्रेट प्रेमियों और दर्शकों से ज्यादा बिचौलियों को होती है। जब-जब क्रिकेट के लिए रांची के जेएससीए स्टेडियम का सलेक्शन होता है, बिचौलिए एक्टिव हो जाते हैं। स्टेडियम में काम करने वाले से लेकर आसपास रहने वाले लोग टिकट की ब्लैक मार्केटिंग में जुट जाते हैं। एक बार फिर टिकट की बिक्री शुरू होते ही ब्रोकर अपने काम पर लग गए। मंगलवार से क्रिकेट के लिए टिकट की बिक्री शुरु हुई, लेकिन हैरानी की बात तो यह थी कि काउंटर खुलने से पहले ही टिकट बाहर आ गया। दरअसल, जेएससीए स्टेडियम के साउथ गेट की ओर जहां टिकट काउंटर भी नहीं बना था, उस जगह से टिकट की कालाबाजारी की जा रही थी। हंगामे के बाद पुलिस पहुंची, लेकिन तबतक टिकट बेचने वाला वहां से फरार हो चुका था। वहीं काउंटर के बाहर टिकट की कालाबाजारी करने वालों की भीड़ जुटी थी। फुछका-चाट बेचने वाले से लेकर आसपास घूम रहे युवक और यहां तक कि पुलिस के कई जवान भी टिकट की ब्लैक मार्केटिंग करते दिखे। दैनिक जागरण-आईनेक्स्ट के रिपोर्टर द्वारा तहकीकात में कई बिचौलियों के चेहरे भी कैद हुए है। काउंटर से टिकट खरीदते हुए पुलिस वालों की भी तस्वीरें कैमरे में कैद हुईं। बिचौलिए साफ-साफ कहते नजर आए कि 'जितना टिकट चाहिए उतना दिलवा देंगे, बस आप जेब ढीली करने के लिए तैयार रहें।

महिला, बच्चे, बूढ़े सभी लाइन में

टिकट लेने के लिए लाइन में ऐसे-ऐसे लोग खड़े थे, जिन्हें न तो कभी क्रिकेट से कोई सरोकार रहा और न वे क्रिकेट समझते हैं। बड़ी संख्या में महिलाओं को भी लाइन में खड़ा किया गया था। प्रत्येक महिला को बिचौलियों ने दो सौ से पांच रुपए का लालच देकर लाइन में खड़ा कर रखा था। इस बात को स्वयं महिलाओं ने भी स्वीकार किया। एक महिला तो पत्रकार के लिए भी टिकट खरीदने को तैयार हो गई, इसके लिए उसने पांच सौ रुपए देने को कहा। काउंटर से एक व्यक्ति को सिर्फ दो टिकट ही देने की छूट थी। टिकट लेने के लिए आधार कार्ड भी अनिवार्य किया गया है। इसे देखते हुए बिचौलियों ने महिलाओं को सेट किया। महिलाओं को एक टिकट के बदले 200-300 रुपए कमिशन देकर लाइन में लगा दिया गया।

काउंटर के बाहर ही ब्लैक मार्केटिंग

मंगलवार को बिचौलिए खुलेआम टिकट की कालाबाजारी करने में जुटे रहे। आलम तो ऐसा था कि काउंटर के बाहर ही आम पब्लिक को रोक कर ये लोग टिकट के बारे में पूछते दिखे। जबकि आस-पास पुलिस के जवान भी थे, पुलिस-प्रशासन की मौजूदगी में ही यह काला धंधा चल रहा था। पुलिसवाले ऐसे लोगों पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहे थे। नतीजन, बिचौलिये बेखौफ और खुलेआम टिकट की कालाबाजारी करते रहे। बिचौलियों ने बताया कि लाइन में लगे लड़के और महिलाओं को भी कमिशन देना पड़ता है। सब सुबह से ही लाइन मेें लगे हैं। इसलिए दाम भी बढ़ाकर लेना पड़ता है। ब्लैक करने वालों ने बताया कि स्टेडियम के कर्मचारी से सेटिंग है, जितना टिकट चाहिए उतना मिल जाएगा। ब्लैकियर की बातों से यह साफ जाहिर होता है कि टिकट की कालाबाजारी का खेल स्टेडियम के अंदर से ही खेला जा रहा है। स्टेडियम प्रबंधन की ओर से सुरक्षा के लाख दावे किए जाते है, लेकिन इस तरह की वारदात सुरक्षा और ईमानदारी के सारे पोल खोल रही है।

काउंटर पर टिकट खत्म, लोग परेशान

टिकट लेने दूर-दूर से आए लोगों को घंटों लाइन में खड़े होने के बाद भी टिकट नहीं मिला। एक हजार रुपए वाला टिकट पहले ही दिन बारह बजे तक खत्म हो गया। जबकि बिचौलियों के पास नौ से लेकर 1800 तक के सभी टिकट मौजूद थे। रामगढ़ से अनिल कुमार ने बताया कि दस बजे से ही लाइन में लगे हंै। काउंटर तक पहुंचने में बारह बज गया। पहुंचने पर बताया गया एक हजार वाला टिकट खत्म हो गया। मुझे 1300 वाला टिकट लेना पड़ा। टिकट की बिक्री के लिए स्टेडियम की बाईं ओर काउंटर बनाया गया है। पहले ही दिन टिकट खत्म होने की बात सुन कई लोग नाराज भी हुए। कांउटर के बाहर ही कहा-सुनी भी हुई। लोगों ने सवाल खड़े किए कि पहले ही दिन टिकट कैसे खत्म हो सकता है। दरअसल, यह पूरा खेल टिकट की ब्लैक मार्केटिंग के लिए ही खेला जा रहा है। कम दाम वाले टिकट पहले ही हटा लिए गए, ताकि बाद में इसे आसानी से ऊंची कीमत पर बेचा जा सके।