RANCHI: पांच अप्रैल को रात नौ बजे देश भर के लोग प्रधानमंत्री के आह्वान पर घरों में प्रकाश फैलाएंगे। इसके लिए पहले अपने घर की बिजली बंद करेंगे, फिर मोमबत्ती, दीया, टॉर्च या मोबाइल आदि की रोशनी से कोरोना के अंधकार को दूर करेंगे। इसके लिए रांची भी तैयार है। सिटी के यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स और टीचर्स ने इस मौके को खास बनाने के सिए पहले से इंतजाम भी कर लिया है। किसी ने दिवाली में खरीदे गए डिजायनर दीयों में पेंटिंग की है, तो कोई रंग-विरंगे कैंडल्स जलाने की तैयारी में है। प्रधानमंत्री के आह्वान पर क्या कहते हैं स्टूडेंट्स और टीचर्स, यहां पढ़ें कुछ लोगों के विचार:

हमारा देश इस वक्त ऐसी आपदा का सामना कर रहा है जिसका एक मात्र उपाय घर पर रहना ही है। ऐसे वक्त में जहां पूरा देश एक साथ है, वहीं इससे लोगो में हताशा और निराशा का होना भी लाजमी है। 5 अप्रैल को प्रधानमंत्री ने 9 बजे दीया, मोम्मबत्ती आदि जलाकर अपनी एकता का प्रदर्शन करने को कहा है। मेरी राय में यह एक अलग और अनोखा कदम है। इस कदम से यह एहसास होगा की हम अकेले नहीं हैं।

शुभम मोहंतो

इसे लेकर मैं काफी एक्साइटेड हूं। अपने-अपने घरों पर दीये, कैंडल या अन्य स्त्रोत से रोशनी करने की बात वैज्ञानिक भी है और आध्यात्मिकता से जुड़ी भी है.अगर विज्ञान की मानें तो घी के दीये से हानिकारक बैक्टीरिया मरते हैं और वातारण शुद्ध होता है। वहीं धर्म की मानें तो रोशनी बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। कल के लिए हमारे यहां तैयारी भी हुई है। हमने दीये को पेंट भी किया है, ताकि इसे एक उत्सव की तरह मना सकें।

आशना गुप्ता

पीएम ने फिर एक बार फिर 'वसुधैव कुटुम्बकम' का परिचय देते हुए हम सभी को एक सूत्र में पिरोने की कोशिश की है। यह एक अच्छा प्रयास है। मैंने डिजाइनर कैंडल और दीये के साथ प्रधानमंत्री के आह्वान को मूर्त रूप देने की तैयारी की है। मेरी अपील है कि सभी लोग किसी भी मोमबत्ती को जलाने से पहले सेनिटाइजर का इस्तेमाल नहीं करें। यह हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। हम इससे घायल भी हो सकते हैं।

सुष्मिता राज

हम अपने घरों को दीये और मोमबत्ती के माधयम से रोशन करेंगे। यह विज्ञान और धर्म दोनों की मान्यता है कि दीपक जलाने से हर प्रकार के रोग दूर होते हैं। इसका एक मकसद यह भी है कि हमारा पूरा देश एकजुट होकर इस लड़ाई में साथ दे। यह एक बहुत उचित निर्णय है और मैं आप सभी को सलाह देती हूं कि आप इस कार्य में अपना पूरा सहयोग करें। पीएम के आह्वान को सफल बनाने के लिए मेरा पूरा परिवार एक साथ रहेगा।

कंचन श्रीवास्तव

प्रधानमंत्री के संदेश को हर किसी को स्वीकार करना चाहिए। यह लोगों को एकजुट रहने का समय है। इस समय देश में मोदी को छोड़ कोई एक अकेला सख्श नहीं है, जो देश के अधिसंख्य लोगों को एकजुट रखने का माद्दा रखता हो। नरेंद्र मोदी की राजनीति की आलोचना होती रहेगी। फिलहाल उनकी बातों का इसलिए महत्व है, क्योंकि वे सर्वाधिक लोगों को प्रेरित करने की क्षमता रखते हैं। यह पहल हमें एकता के सूत्र में पिरोएगा।

तुहिना

प्रधानमंत्री की बातों को सकारात्मक तौर पर लें। इसके मनोवैज्ञानिक पक्ष को समझें। वर्तमान में लोग मानसिक तनाव से गुजर रहे हैं, ऐसे में प्रकाश फैला कर मानसिक तनाव कम कर सकते हैं। महात्मा गांधी भी इस तरह के प्रयोग, राष्ट्रीय आंदोलन के दौरान लोगों को मनोवैज्ञानिक रूप से जोड़ने के लिए करते थे। प्रकाश फैलाना यहां पर प्रतीकात्मक है, जिससे लोग स्वयं और दूसरे को कोरोना से लड़ने के लिए प्रेरित कर सकते हैं।

डॉ अमिय आनंद

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 अप्रैल के रात 9 बजे देश भर के लोगों से अपने-अपने घरों में रोशनी फैलाने की बात कही है। इस प्रतीकात्मक पहल के कई मायने हैं। मेरी नजर में यह हमें एक अच्छे काउज में इनवॉल्व करने का तरीका है। इसे आत्मसात करते हुए मैंने स्पेशल कैंडल तैयार कर लिया है। पूरे परिवार के साथ कल रात को नौ मिनट तक घर की बालकोनी में खड़े होकर रोशनी फैलाऊंगी। यह बहुत ही अच्छी अपील है, जिसे मानना चाहिए।

आंचल गुप्ता

यह बहुत ही अच्छा तरीका है हमारे देश को फिर से एकजुट करने का। साथ ही हमें कोरोना से भी लड़ने और जीतने को लेकर हिम्मत देने में भी यह कारगर साबित होगा। इस कोरोना रूपी अंधरे को हमारी ज़िन्दगी से दूर करने में हमें उनका साथ देना चाहिए। प्रधानमंत्री की पहल केवल एक वर्ग के लिए नहीं है, बल्कि 130 करोड़ भारतीयों के लिए है। हमें समझना होगा कि हम सब इस महामारी से साथ मिलकर ही लड़ सकते हैं।

श्रुति कश्यप

अंधेरे के खिलाफ जब पूरा देश एक साथ खड़ा होगा, तो यह एक अद्भुत उत्सव जैसा होगा। भले ही यह हमारी एकजुटता के लिए किया जा रहा हो, लेकिन इसके और भी कई मायने हैं। भारत ने नरेंद्र मोदी के रूप में एक पथ प्रदर्शक प्रधानमंत्री पाया है। ऐसे में यह जरूरी है कि उनकी तमाम अच्छी बातों को आत्मसात किया जाए। मेरी फैमिली भी उनके अपील का सम्मान करती है और कल हम सभी मिलकर दीया जलाएंगे।

श्रेया दामिनी