रांची (ब्यूरो)। ट्रैफिक सिग्नल चलते-चलते किसी भी वक्त अचानक बंद हो जाते हैं, जिससे लोगों को भारी परेशानी हो रही है। कचहरी चौक के पास का सिग्नल बार-बार ऐसी परेशानी खड़ा कर रहा है। यहां पर सिग्नल अचानक जल उठता है। इसके अलावा ग्रीन सिग्नल होने के बाद फिर से रेड हो जाता है, जिससे ट्रैफिक पर खड़े लोग समझ नहीं पाते जाना है या रुकना है। इसके अलावा सुजाता चौक के पास एक साथ ग्रीन और रेड जलने की समस्या अब भी बनी हुई है। हालांकि, लोग अब समझकर खुद से ही ठहरने और जाने लगे हैं। फिर भी चालान कटने का डर हर वक्त उनके मन में बना ही रहता है।

मनमानी टाइमिंग से भी परेशानी

राजधानी के ट्रैफिक पोस्ट पर जिस प्रकार मनमाने ढंग से सिग्नल लाइट का समय निर्धारित किया गया है। वो भी लोगों के लिए परेशानी की वजह बन रहा है। बेवजह कुछ चौराहों पर लोगों को तीन मिनट का इंतजार करना पड़ता है। गड़बड़ी ठीक करने के लिए कुछ लोगों ने पहले भी लिखित आवेदन दिया था। लेकिन अब तक इसे ठीक नहीं किया गया है। गड़बड़ी के कारण वाहन चालकों में असमंजस की स्थिति पैदा हो रही है। लालपुर चौक, जेल चौक और सुजाता चौक सहित कई प्रमुख चौक-चौराहों का यही हाल है

लेफ्ट साइन नहीं, मिट गया जेब्रा क्रॉसिंग

कई ट्रैफिक पोस्ट ऐसे हैं जहां लेफ्ट जाने के लिए साइन ही नहीं जलता है। ट्रैफिक सिग्नल लंबे समय से एक ही सिस्टम पर चल रहा है। कई जगहों पर सिग्नल एक साथ चार रास्तों के लिए खुलते हैं। इस तरह ट्रैफिक सिग्नल के अव्यवस्थित रहने से हादसों का हमेशा खतरा बना है। वहीं इन दिनों कई जगहों पर सड़कों की स्टॉप लाइन व जेब्रा क्रॉसिंग तक मिट चुकी है। इसके अलावा सिग्नल भी पेड़ की शाखाओं से ढक गया है। इससे भी राहगीरों को परेशानी हो रही है।

हाईटेक करने दावा फेल

राजधानी रांची की ट्रैफिक व्यवस्था को हाईटेक करने का दावा किया गया था। स्मार्ट सिटी के तहत रांची में 60 चौराहों को स्मार्ट जंक्शन बनाने और 81 स्थानों पर स्मार्ट ट्रैफिक सिग्नल लगाने की घोषणा की गई थी। लेकिन अबतक ऐसा कुछ हुआ नहीं। ट्रैफिक सिग्नल तो लगाए गए लेकिन जैसा दावा किया गया था सिग्नल वैसा काम नहीं कर रहा। स्मार्ट सिग्नल के तहत सड़क की भीड़ और दबाव के अनुसार सिग्नल ऑटोमेटिक चेंज होता। लेकिन पूर्व की तरह ही यह सिग्नल भी टाइमिंग बेस पर चलने वाला बन कर रह गया है। सिटी में ट्रैफिक सिग्नल में सुधार और ट्रैफिक के अन्य साधनों पर खर्च करने के लिए 164 करोड रुपए की योजना बनी, इसके अंतर्गत अगले चौराहे पर हादसा या दूसरी किसी बाधा होने की स्थिति में भी सिग्नल रूट डायवर्ट कर देगा। अगले चौराहे से लौटने की नौबत नहीं आए, इसके लिए स्मार्ट जंक्शन पर एडेप्टिव ट्रैफिक कंट्रोल सिस्टम लगाया जाना था। वह भी सिर्फ हवा हवाई बन कर रह गया।