- नाबालिग लड़के-लड़कियां फर्राटे से चला रहे हैं टू व्हीलर

- खुद के साथ दूसरो को भी दे रहे हादसे की दावत

- पुलिस नहीं दे रही ध्यान

- सिर्फ लाइसेंस पर चालान कर छोड़ दिया जाता है

ड्राइविंग को लेकर एक ओर लोगों को अवेयर किया जा रहा है। पुलिस एवं निजी संस्था द्वारा समय-समय पर लोगों को ट्रैफिक रूल समझाया जा रहा है। लेकिन अब भी ऐसे लोग हैं जो ट्रैफिक वॉयोलेशन कर रहे हैं। पुलिस द्वारा चलाया जा रहा चेकिंग अभियान और फाइन भी इन लोगों में बदलाव नहीं ला रहा है। विशेष कर कच्ची उम्र के ड्राइवर जो न तो ट्रैफिक रूल फॉलो कर रहे और न ही हेलमेट पहनना पसंद है। नाबालिग सिटी की गलियों में टू व्हीलर लेकर निकल जाते हैं फर्राटे से गाड़ी से चलाते हैं। लड़के और लड़कियां दोनों ट्रैफिक नियम तोड़ रहे हैं। नाबालिग जब गाड़ी लेकर रोड पर निकलते हैं तो उनके साथ-साथ दूसरे लोग भी अनसेफ होते हैं। छोटी उम्र के बच्चे बाइक और स्कूटी लेकर रोड पर निकल रहे हैं। लेकिन उनके पेरेंट्स रोक-टोक भी नहीं करते।

पेरेंट्स के लाइसेंस रद्द करने का है प्रावधान

नाबालिग बच्चे यदि टू व्हीलर लेकर सड़क पर निकलते हैं तो उनके पेरेंट्स को सजा देने का प्रावधान है। अंडरएज बच्चों द्वारा ड्राइविंग करने पर उनके पेरेंट्स के ड्राइविंग लाइसेंस कैंसिल करने के प्रावधान हैं। साथ ही 25 हजार रुपए फाइन भी किया जा सकता है। लेकिन समस्या यह है कि पुलिस भी अंडरएज ड्राइवर पर कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। 18 साल से कम उम्र के लड़के-लड़कियां रोड पर पुलिस को देखते ही जैसे-तैसे कटिंग कर निकलने की फिराक में रहते हैं। रोड एक्सीडेंट की एक वजह यह भी है। इतना ही नहीं, हाई क्लास में पढ़ने वाले बच्चे स्कूल भी बाइक और स्कूटी में ही जा रहे हैं। जबकि स्कूल प्रबंधन को इस पर ध्यान देने को कहा गया है। लेकिन पुलिस, पेरेंट्स के साथ-साथ स्कूल मैनेजमेंट भी लापरवाह बना हुआ है। बिना हेलमेट, ट्रिपल राइडिंग और तेज रफ्तार में फर्राटे भरते स्कूली बच्चे शहर के किसी भी इलाके में दिख जाएंगे। नाबालिग स्टूडेंट्स के टू व्हीलर चलाने के मामले में बढ़ावा देने का सबसे ज्यादा आरोप स्कूलों और कोचिंग पर ही लगता है। लेकिन यह लापरवाही घर से ही शुरू हो जाती है।

हेवी व्हीकल चलाना है पसंद

6 से 18 साल के बच्चे हेवी व्हीकल जैसे 150 सीसी या इससे भी अधिक पॉवर वाले हेवी बाइक लेकर रोड पर निकलते हैं। कई बार अन बैलेंस्ड होकर रोड पर गिर भी जाते हैं और इससे दूसरे लोगों को भी परेशानी होती है। कई बार यह बड़ी घटना में बदल जाती है। लॉकडाउन से पहले अंडरएज के ड्राइविंग करने पर पुलिस ने कार्रवाई की थी। जिसके बाद स्कूलों में भी बाइक लाने पर बैन लगा दिया गया था लेकिन इधर फिर से ऐसी एक्टिविटीज देखी जा रही है। पुलिस इसके प्रति कोई गंभीरता नहीं दिखा रही। आए दिन नाबालिगों के बाइक से गिरने की घटनाएं होती रहती हैं। इसके बाद भी बच्चे फर्राटे से बाइक को सड़कों पर दौड़ा रहे हैं। यातायात नियमों से अनजान नाबालिग बच्चों को वाहन चलाने से उनके अभिभावक भी नहीं रोकते हैं। कई बार देखा जाता है कि पेरेंट्स खुद बच्चों के साथ पीछे बैठकर सफर करते हैं। नाबालिग सिर्फ टू व्हीलर ही नहीं बल्कि ऑटो, टाटा मैजिक, ई-रिक्शा समेत अन्य कॉमर्शियल वाहन भी चला रहे हैं।

सामने आती रहती हैं घटनाएं

बीते 25 फरवरी को ही एक नाबालिग ने अपनी बाइक से रिक्शे वाले को टक्कर मार दी। इसमें रिक्शा चालक को गंभीर चोट लग गई। वहीं पंडरा ओपी के पंडरा बाजार जाने के क्रम में एक नाबालिग ने एक महिला को टक्कर मार दी। बीते महीने हरमू के विद्यानगर में भी घरेलू गैस सिलेंडर लेने निकला नाबालिग अनबैलेंस्ड होकर गिर पड़ा। ऐसी कई घटनाएं आए दिन सामने आती रहती हैं। कभी ट्रैफिक नियम नहीं मानने के कारण भी बच्चे दुर्घटना के शिकार हो रहे हैं। रांची की मुख्य सडकों पर पुलिस के डर से बच्चे कम नजर आते हैं। गलियों से होकर निकलते हैं। इधर रिंग रोड में बच्चे अपनी ड्राइविंग की कलाकारी दिखाते हैं। रिंग रोड खाली होने के कारण यहां अंडरएज ड्राइवर रैश ड्राइविंग करते हैं, जिससे दुर्घटना की आशंका बनी रहती है।

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विभाग की ओर से लोगों को अवेयर किया जा रहा है। अंडरएज बच्चों को ड्राइविंग नहीं करने के लिए बोला जाता है। ऐसी गलती करने वाले बच्चों के पेरेंट्स के लाइसेंस रद्द कर दिए जाएंगे।

-प्रवीण कुमार प्रकाश, डीटीओ रांची