रांची (ब्यूरो)। पहले चरण में सभी विश्वविद्यालय और कॉलेजों के होम साइंस, सीएनडी, न्यूट्रिशन और फूड से संबंधित कोर्सेस पढऩेवाले स्टूडेंट्स सरकारी स्कूलों में चलनेवाले एमडीएम योजना की निगरानी करेंगे। विश्वविद्यालयों के स्टूडेंट्स स्कूलों में जाकर देखेंगे कि मिड डे मील के तहत जो खाद्य सामग्री सरकार मुहैया कराती है, उसमें पोषण की सही मात्रा है या नहीं।

प्रैक्टिकल में जुड़ेगा माक्र्स

एमडीएम की निगरानी के लिए स्टूडेंट्स को स्कूलों में जाना होगा। स्टूडेंट्स का यह काम प्रैक्टिकल के तहत फील्ड वर्क में जुटेगा और इसके लिए उन्हें निर्धारित माक्र्स दिए जाएंगे। निगरानी के दौरान स्टूडेंट्स यह देखेंगे कि एमडीएम की व्यवस्था से बच्चों के स्वास्थ्य पर क्या असर पड़ रहा है। खाने बनाने के लिए उपयोग में लाया जानेवाला सामान और भोजन की क्वालिटी कैसी है। सरकार द्वारा निर्धारित मापदंड और मेन्यू का पालन हो रहा है या नहीं। साथ ही स्टूडेंट्स सरकार की ओर से निर्धारित मापदंड और मेन्यु का पालन किया जा रहा है या नहीं, यह भी देखेंगे। इससे संबंधित रिपोर्ट भी तैयार करेंगे, जिसके आधार पर उन्हें माक्र्स मिलेंगे।

यूजीसी ने भेजा है फॉर्मेट

इस संबंध में यूजीसी ने बकायदा फॉर्मेट तैयार कर के विश्वविद्यालयों को भेजा है। इस फॉर्मेट के आधार पर ही विद्यार्थियों को स्कूलों का विजिट करना होगा। इस विजिट के दौरान स्टूडेंट्स रिपोर्ट भी तैयार करेंगे, जिसके आधार पर ही उन्हें माक्र्स दिए जाएंगे।