रांची(ब्यूरो)। रांची में धनतेरस का दिन करीब आ रहा है, बाजार की रौनक बढ़ती जा रही है। शहर में बर्तनों की खनक से धनतेरस का बाजार चमक रहा है। शहर के चर्च रोड, कर्बला चौक, अपर बाजार, डोरंडा, रातू रोड, हरमू बाजार समेत सभी बाजारों में बर्तनों की दुकानें सज गई हैं। स्थायी दुकानों के साथ सैकड़ों की संख्या में अस्थायी बर्तन दुकानें भी ग्राहकों को अपनी ओर आकर्षित कर रही हैं। तांबा-पीतल के पारंपरिक बर्तनों के साथ स्टील के हल्के और फैंसी बर्तनों की बाजार में भरमार है। चम्मच से लेकर बड़ी डेग तक से दुकानें भरी पड़ी हैं। बर्तन व्यवसायियों के अनुसार बड़ी संख्या में लोग पूछताछ के लिए आ रहे हैं। दुकानों में सबसे ज्यादा भीड़ धनतेरस के दिन होती है।
दिल्ली, मुम्बई से आया स्टॉक
रांची के व्यवसायियों के अनुसार, बाजार में तांबा, कांसा व पीतल के बर्तन उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद, मिर्जापुर, वाराणसी से मंगाया जाता है। स्टील का बर्तन कोलकाता, दिल्ली और मुंबई से आता है। हालांकि, धनतेरस पर दो साल के बाद इस साल बाजार में रौनक दिखने लगी है। लॉकडाउन के कारण मार्च के बाद लग्न का कारोबार नहीं हुआ। नतीजा लग्न का सारा माला स्टॉक में है। मेल के लिए कुछ नए बर्तन मंगाए गए हैं।
इंडक्शन चूल्हे के बर्तन की है मांग
कर्बला चौक स्थित बर्तन दुकानदार शमशाद बताते हैं कि धनतेरस बाजार में सामान्य बर्तनों के साथ इंडक्शन चूल्हे पर इस्तेमाल होनेवाले बर्तनों की डिमांड भी अधिक है। सामान्य लोटा, ग्लास, चम्मच, डेग, कुकर, बाल्टी, तसला, टिफि न, थाली, जग आदि के साथ-साथ लोग इंडक्शन के बर्तनों का सेट भी खरीद रहे हैं। इसमें भी सिंगल बर्तन के साथ-साथ इसका सेट मिल रहा है। इसकी कीमत 2000 से लेकर 6000 रुपए तक है।
पीतल का सूप व कलश उपलब्ध
महापर्व छठ को लेकर पीतल के कलश, सूप, थाली, सुराही आदि की भी मांग है। इसके अलावा धनतेरस पर चांदी व पीतल की बनी गणेश-लक्ष्मी की मूर्तियों की भी डिमांड है। तांबे का पेंट चढ़ा एल्युमीनियम निर्मित गणेश-लक्ष्मी की भी छोटी-छोटी प्रतिमाएं लोग पसंद कर रहे हैं। इसके अलावा पूजा पाठ में इस्तेमाल होनेवाली लोटनी, डलिया, कटोरी, छिपली, दीया, गणेश-लक्ष्मी का सिंहासन, हुमाददानी आदि की भी मांग है।
एल्युमीनियम की खरीदारी में कमी
बाजार में बीते सालों में एल्युमिनियम के बर्तनों की मांग में काफ गिरावट आई है। दुकानदारों का कहना है कि पहले धनतेरस में बर्तनों का क्रेज हुआ करता था। वो बाजार अब इलेक्ट्रॉनिक मार्केट की तरफ रुख कर चुका है। इस वजह से अब धनतेरस में लोग एल्युमिनियम के बर्तनों को कम खरीदते हैं। बर्तनों की श्रृंखला में सिर्फ कांसे, तांबे, पीतल या फिर स्टील के बर्तनों की ही बिक्री होती है।

बर्तन का बाजार
कांसा -700 से 1400 किलो
तांबा - 600 से 800 किलो
पीतल - 550 से 800 किलो
एल्युमीनियम - 300 से 400 किलो
(नोट: रेट रुपए प्रति केजी)

पूजा के बर्तन
पीतल डलिया - 200 से 800
पीतल कटोरी - 25 से 200
पीतल प्लेट - 50 से 250
घंटी-50 से 250
सिंहासन - 100 से 400
अखंड जोत - 100 से 400
दीया - 25 से 300
धूपदानी - 50 से 450
पंचपात्र - 50 से 150
थाली - 40 से 300
ग्लास - 40 से 150
चम्मच -10 से 45
प्लेट -20 से 90
कटोरी - 20 से 90
कुकर -550 से 3200
जग -150 से 800
(नोट: रेट रुपए प्रति पीस)