वैकल्पिक हेडिंग: शिमला मिर्च व बिन की डबल सेंचुरी, टमाटर भी शतक पार

---सावन में दूर हुई थाली की हरियाली

---सब्जियों के दाम छू रहे आसमान, शिमला मिर्च व बीन 200 रुपए किलो

---तीखी हुई शिमला मिर्च, टमाटर लाल

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- सब्जियां महंगी होने से परेशान हैं खरीदार

- किलो की जगह पाव में हो रही सब्जियों की खरीदारी

- राज्य में सबसे अच्छी किस्म का मटर और टमाटर उपजता है

Figures speak

37 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा सब्जियां हर साल उगाई जाती हैं झारखंड में

30 लाख मीट्रिक टन की खपत राज्य में, बाकी बाहर भेजी जाती हैं

dayanand.roy@inext.co.in

RANCHI (29 July): सावन की बारिश ने सब्जियों में महंगाई की आग लगा दी है। खेतों में बारिश के पानी में सड़ जाने के कारण सब्जियों के भाव आसमान छू रहे हैं। राजधानी की सब्जी मंडियों में फ्रेंचबीन और शिमला मिर्च जहां 200 रुपए किलो बिक रहे हैं। वहीं टमाटर 120 और गाजर 80 रुपए किलो मिल रहा है। नतीजन, लोग किलो की जगह पाव भर सब्जी खरीद कर काम चला रहे हैं।

500 रुपए में भी नहीं भर रहा झोला

हरमू में रहनेवाली हाउस वाइफ जया श्रीवास्तव ने बताया कि बारिश से पहले 200 रुपए की सब्जी में झोला भर जाता था। अब 500 रुपए में भी झोला नहीं भर रहा है। टमाटर 120 रुपए है और बीन 200 रुपए। ऐसे में पावभर सब्जी खरीदकर काम चला रहे हैं। अधिकतर सब्जियों के रेट 50 रुपए किलो के पार हैं। ऐसे में घर के बजट पर असर पड़ रहा है। वहीं, मोरहाबादी के श्रीकांत वर्मा ने बताया कि सब्जियों के रेट सुनकर खरीदने की हिम्मत नहीं हो रही। एक समय जो टमाटर 10 रुपए किलो था, वो आज 100 से 120 रुपए किलो है। फ्रेचबीन और शिमला मिर्च तो हमने खाना ही छोड़ दिया है। बैंगन भी 50 रुपए है और भिंडी भी 60 रुपए किलो है। ऐसे में बजट गड़बड़ा रहा है।

खेत में सड़ गई सब्जियां

बोड़ेया की सब्जी विक्रेता लीलावती देवी ने बताया कि बारिश के पानी से सब्जियां खेतों में ही सड़ गई हैं। सब्जियां मार्केट में कम हैं और डिमांड ज्यादा। इसलिए रेट बढ़ गए हैं। जनवरी तक इनका रेट लगभग ऐसा ही रहेगा। वहीं, पिठौरिया के रतन कुमार ने बताया कि सब्जियां महंगी होने से विक्रेताओं को अधिक फायदा नहीं हो रहा है। पहले जो लोग एक किलो सब्जी खरीदते थे, वे पाव भर खरीद रहे हैं। ऐसे में हमारी आमदनी भी कम हो गई है।

.बॉक्स

लंगड़ा आम 220 रुपए किलो

बारिश का असर फलों के रेट पर भी पड़ा है। पहले जो लंगड़ा आम 60 रुपए किलो था, वो अब 220 रुपए किलो बिक रहा है। वहीं, फजली आम 60 रुपए किलो बिक रहा है। अनार 100 रुपए तो सेब वेरायटी के अनुसार 80 से 160 रुपए किलो तक मिल रहा है। मौसम्मी और नाशपाती 40 रुपए किलो बिक रहे हैं।

सब्जियों का बाजार भाव

सब्जी रेट

लाल आलू 10-15 रुपए किलो

सफेद आलू 10-12 रुपए किलो

प्याज 18-20 रुपए किलो

बैंगन 45-50 रुपए किलो

नेनुआ 35-40 रुपए किलो

टमाटर 100-120 रुपए किलो

भिंडी 50-60 रुपए किलो

खेक्सा 35-40 रुपए किलो

झिंगी 50-60 रुपए किलो

खीरा 38-40 रुपए किलो

फ्रेंचबीन 180-200 रुपए किलो

शिमला मिर्च 170-200 रुपए किलो

गाजर 70-80 रुपए किलो

कद्दू 35-40 रुपए किलो

टोटी 50-60 रुपए किलो

कच्चा केला 35-40 रुपए किलो

बीट 50-60 रुपए किलो

कुन्दरी 35-40 रुपए किलो

हरी मिर्च 100-120 रुपए किलो

फूल गोभी 55-60 रुपए किलो

बंधागोभी 45-50 रुपए किलो

मद्रासी ओल 50-60 रुपए किलो

कुछ प्रमुख फलों के रेट

लंगड़ा आम 220 रुपए किलो

फजली आम 60 रुपए किलो

सेब 80 से 160 रुपए किलो

अनार 100 रुपए किलो

मौसम्मी 40 रुपए किलो

नाशपाती 40 रुपए किलो

क्या कहते हैं विक्रेता

बारिश में सब्जियां खेतों में सड़ गई हैं, इसलिए महंगी हो गई हैं। मार्केट में सब्जियां कम आ रही हैं, इसलिए रेट ज्यादा हैं। जनवरी तक इनके रेट कम हो जाएंगे।

लीलावती देवी, सब्जी विक्रेता

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सब्जियों के रेट बढ़ जाने से हमारी बिक्री भी कम हो गई है। ग्राहक भी अब किलो की बजाय पाव में सब्जियां ले रहे हैं। हम महंगी सब्जियां किसान से खरीद रहे हैं, इसलिए महंगी बेच भी रहे हैं।

रतन सब्जी विक्रेता, पिठौरिया

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People connect

महंगी सब्जियों ने घर का बजट गड़बड़ा दिया है। अधिकतर सब्जियां पचास के पार चली गई हैं। इससे दिक्कत हो रही है। पर बारिश के मौसम तक सब्जियों की महंगाई झेलने के सिवा कोई चारा नहीं है।

रमेश कुमार, हरमू

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सब्जियों का रेट सुनकर झटका लग रहा है। बीन और शिमला मिर्च ख्00 रुपए किलो होने के बाद अब मैंने मिक्स वेज बनाना छोड़ दिया है। जो सब्जियां कम महंगी हैं, उन्हें ही खरीद रहा हूं

उपेन्द्र, हिनू