RANCHI: बिना रजिस्ट्रेशन के गाड़ी चलाने पर फाइन है। वहीं नए नियम के मुताबिक बिना रजिस्ट्रेशन वाली गाडि़यों की डिलीवरी शोरूम से नहीं की जाएगी। ऐसे में शोरूम से गाड़ी रजिस्ट्रेशन के साथ ही लोग निकाल रहे हैं। लेकिन कुछ वाहनों के मालिक प्राइवेट रजिस्ट्रेशन पर गाडि़यां निकालकर उसका कॉमर्शियल यूज कर रहे हैं, जिससे वे हर दिन ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट को नुकसान पहुंचा रहे हैं। इतना ही नहीं, प्राइवेट रजिस्ट्रेशन पर बंपर कमाई भी कर रहे हैं। कुछ ऐसी ही स्थिति राज्य के सबसे बड़े हॉस्पिटल रिम्स की है, जहां प्राइवेट गाडि़यों का कामर्शियल यूज किया जा रहा है।

परिवहन विभाग को नुकसान

फोर व्हीलर के रजिस्ट्रेशन में ज्यादा चार्ज नहीं लगता अगर गाड़ी प्राइवेट के लिए हो। लेकिन कॉमर्शियल का नाम आते ही रजिस्ट्रेशन चार्ज हाई हो जाता है। वहीं इंश्योरेंस के लिए भी ज्यादा चार्ज चुकाने पड़ते हैं। इससे बचने के लिए ओनर प्राइवेट रजिस्ट्रेशन कराकर गाड़ी रेंट पर चलाना शुरू कर देते हैं। जबकि परिवहन विभाग के नियम के अनुसार यह गलत है और इसके लिए जुर्माने का भी प्रावधान है। वहीं ऐसा होने से परिवहन विभाग को हर साल लाखों रुपए राजस्व का घाटा झेलना पड़ता है।

विभाग नहीं करता चेकिंग

फोर व्हीलर के मालिक खुलेआम टैक्स चोरी कर रहे हैं। हर साल ये लोग लाखों रुपए के टैक्स का नुकसान करा रहे हैं। इसके बावजूद परिवहन विभाग मामले को लेकर गंभीर नहीं है। कभी जाने अनजाने चेकिंग अभियान चल जाए तो एक दो ऐसी गाडि़यों को रोककर चेक किया जाता है। बाकी तो विभाग के लोगों को ये चीजें सामने होते हुए भी दिखाई नहीं देतीं। इसी बात का फायदा उठाकर ओनर बंपर कमाई कर लेते हैं। ऐसी ही गाडि़यां रिम्स के अलावा कई संस्थानों में चल रही हैं।

ऐसे होता है परिवहन विभाग को नुकसान

किसी ने 7 से 8 लाख रुपए की कार की खरीदारी की। रजिस्ट्रेशन के टाइम प्राइवेट बताया गया तो टैक्स कम लगा। जबकि कामर्शियल यूज के लिए उसी कार के लिए डबल चार्ज देना पड़ता। इसी एक्सट्रा चार्ज को बचाने के लिए लोग झूठ बोलकर निकल जाते हैं, जिससे कि गाड़ी जबतक चलती है उतना नुकसान परिवहन विभाग को झेलना पड़ता है।