रांची(ब्यूरो)। राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में अव्यवस्थाओं का आलम किसी से छिपा नहीं है। हर बार यहां व्यवस्था सुधारने के कसीदे गढ़े जाते हैं लेकिन हालत जस की तस ही बनी रहती है। इन दिनों भीषण गर्मी पड़ रही है, जिससे लोगों के बीमार पडऩे का ग्राफ भी बढ़ गया है। लेकिन अव्यवस्थाओं की वजह से समय से रोगियों से का इलाज नहीं हो पा रहा है। सबसे खराब हालत न्यूरो वार्ड की है। यहां भर्ती होने वाले मरीजों को वेंटिलेटर की जरूरत पड़ती है। लेकिन रिम्स में सिर्फ एक ही वेंटिलेटर सही स्थिति में है बाकी सभी वेंटिलेटर खराब हालत में पड़ी हुई हैं। रिम्स में मरीजों की संख्या बेड से भी अधिक है। नतीजन, न्यूरो सर्जरी के अति गंभीर मरीजों को भी फर्श पर ही इलाज कराना पड़ रहा है। इस भीषण गर्मी में भी मरीज आग जैसे तप रहे फर्श पर लेट कर इलाज कराने को विवश हैं। इससे उनकी सेहत में सुधार होने की जगह और बिगड़ती जा रही है। लोगों ने अब इस मुद्दे को सोशल मीडिया पर भी उठाना शुरू कर दिया है।

रुक गया इलाज

न्यूरो सर्जरी विभाग में वेंटिलीेटर यानी की लाइफ सपोर्ट सिस्टम नहीं होने की वजह से 58 गंभीर मरीजों का इलाज रुका हुआ है। इनमें 28 मरीज विभागाध्यक्ष सीबी सहाय की यूनिट में एडमिट हैं। जबकि 30 मरीज डॉ अनिल कुमार की यूनिट में इलाज करा रहे हैं। इस विभाग में सिर्फ एक ही वेंटिलेटर काम कर रहा है। शेष दो वेंटिलेटर आंशिक रूप से काम कर रहे हैं। जिस पर सर्जरी के बाद मरीजों को रखने का जोखिम नहीं लिया जा सकता है। मरीज और उनके परिजनों का कहना है कि सर्जरी के लिए एक महीने की वेटिंग चल रही है। हालत यह है कि स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता से पैरवी करने वाले मरीज की सर्जरी भी रुकी हुई है। ऐसे में रिम्स में प्रशासन के अधिकारी और डॉक्टर दूसरे विभागों से वेंटिलेटर मांग कर सर्जरी की योजना बना रहे हैं।

3 में दो वेंटिलेटर खराब

रिम्स के न्यूरो सर्जरी विभाग में 29 बेड की आईसीयू है। इस हिसाब से यहां 29 वेंटिलेटर की जरूरत है। लेकिन मौजूदा वक्त में यहां सिर्फ तीन ही वेंटिलेटर उपलब्ध हैं। इनमें से भी एक ही वेंटिलेटर ठीक अवस्था में है। दो को रिपेयरिंग की जरूरत है। इसकी मरम्मत होने के बाद भी इस विभाग में 26 और वेंटिलेटर की जरूरत है। रिम्स प्रबंधन का कहना है कि इस विषय में कई बार विभाग से पत्राचार किया गया है। लेकिन अबतक कोई सुनवाई नहीं हुई है। वेंटिलेटर होने पर मरीजों के इलाज में भी सुविधा होती है, और ज्यादा से ज्यादा मरीजों का इलाज संभव हो पाता है। अभी जो वेटिंग वाली स्थिति है, ऐसी स्थिति उत्पन्न नहीं होती।

डायनेमिक बेड मैनेजमेंट सिस्टम नहीं

मरीजों की संख्या ज्यादा होने के कारण न्यूरो वार्ड के मरीज को नेत्र विभाग में शिफ्ट करने का आदेश दिया गया था। लेकिन इस पर कोई काम नहीं है। वहीं हॉस्पिटल में डायनेमिक बेड मैनेजमेंट सिस्टम भी आज तक लागू नहीं हो सका। इस सिस्टम के लागू होने पर न्यूरो सर्जरी विभाग के अंतर्गत वैसे मरीज जिनके लिए वार्ड में बेड की सुविधा नहीं है और फर्श पर इलाज कराने को विवश हैं, उन्हें नेत्र विभाग के ए वन वार्ड में उपलब्ध बेड दिया जाना था। लेकिन वास्तविकता कुछ और ही है। आज भी दर्जनों मरीज फर्श पर ही इलाज करा रहे है। दरअसल, अबतक नेत्र विभाग बन कर तैयार ही नहीं हुआ है।

न्यूरो वार्ड में ज्यादा परेशानी

रिम्स में सबसे ज्यादा परेशानी न्यूरो वार्ड के मरीजों को हो रही है। यहां हर वक्त क्षमता से अधिक मरीज इलाज कराते रहते हैं, जिस कारण बेड हमेशा फुल रहते हैं। दूसरे मरीजों को विवश होकर फर्श पर ही इलाज कराना पड़ता है। न्यूरो वार्ड में करीब 150 मरीजों को भर्ती करने की क्षमता है, जबकि अमूमन यहां 300 से ज्यादा मरीज भर्ती रहते हैं। इसके अलावा मेडिसीन, सर्जरी और हड्डी विभाग में भी यही हाल है। यहां भी बेड नहीं मिलने के करण मरीज फर्श पर ही पड़े रहते हैं।

डेली 1000 मरीज

रिम्स में हर दिन करीब 1000 मरीज ओपीडी में इलाज कराते हैं। वहीं वार्ड में हमेशा 1500-1600 मरीज एडमिट रहते हैं, जिस कारण रिम्स में प्राय: बेड फुल की समस्या बनी रहती है। यहां करीब 150 से 200 मरीजों को इलाज फर्श पर ही कराना पड़ता है। हालांकि, रिम्स में बेड बढ़ाने को लेकर भी योजना बनाई गई है। करीब 1700 बेड बढ़ाने का प्रस्ताव तैयार किया गया है। पहले चरण में 777 बेड बढ़ाए जाएंगे। बहरहाल ये योजना कब तक धरातल पर उतरेगी, इसका जवाब रिम्स प्रबंधन के पास भी नहीं है।

हालात सुधारने को मिले 300 करोड़

रिम्स में जांच व्यवस्था सुधारने के लिए राज्य सरकार ने करीब 300 करोड़ रुपए का फंड उपलब्ध कराया है। जिससे ठप हो चुकी जांच व्यवस्था में अब सुधार की उम्मीद भी जगी है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में राज्य स्कीम अंतर्गत रिम्स के विकास कार्य तथा मुख्यमंत्री नि:शुल्क डायग्नोस्टिक एवं रेडियोलॉजी जांच योजना, मुख्यमंत्री नि:शुल्क सर्वाइकल कैंसर एवं ब्रेस्ट कैंसर स्क्रीनिंग योजना के लिए सहायता अनुदान के रूप में तीन सौ करोड़ की राशि आवंटित की गई है।