रांची (ब्यूरो)। पंडरा कृषि बाजार में पीने के पानी के लिए लोग तरस रहे हैं। बाजार में लगे 12 चापाकल वर्षों से खराब हैं, लेकिन पंडरा बाजार समिति इन चापाकलों की मरम्मत नहीं करा रही है। ये सभी चापाकल वर्ष 1982 में लगाए गए थे। इसके बाद इनकी मरम्मत नहीं हुई। बाजार में सिर्फ एक चापाकल प्रतिदिन बाजार में आनेवाले 15-20 हजार व्यवसायियों और मजदूरों की प्यास बुझा रहा है। एक चापाकल रहने से बाजार आनेवाले व्यवसायियों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। मालूम हो कि राज्य में प्रमुख रूप से 23 बाजार समितियां हैं, जिसमें सबसे बड़ा पंडरा बाजार समिति ही है।
मजदूरों ने लगाया चापाकल
बाजार में एकमात्र चापाकल चालू हालत में है, जिसे हाल ही में बाजार के मोटिया-मजदूरों ने लगवाया है। बाजार आनेवाले व्यवसायियों को पानी पीने के लिए बाहर जाना पड़ता है।
सफाई व लाइट की समस्या
पंडरा बाजार समिति में साफ-सफाई की भी मुकम्मल व्यवस्था नहीं है। चारों ओर कूड़ा बिखरा नजर आता है। बाजार समिति परिसर में पर्याप्त रोशनी की भी व्यवस्था नहीं है। शाम होते ही पूरे बाजार समिति परिसर में अंधेरा पसर जाता है। हालांकि, बाजार में लाइट्स लगी हैं, लेकिन अधिकतर लाइट्स कई दिनों से खराब हैं, जिसे बाजार समिति की ओर से ठीक नहीं कराया गया।
परिसर में केवल दो शौचालय
पंडरा बाजार परिसर में केवल दो ही शौचालय हैं। इनमें भी एक शौचालय की स्थिति ही बेहतर है। दूसरे शौचालय की हालत अच्छी नहीं है। इस कारण लोगों को भारी परेशानियां हो रही हैं।
खस्ताहाल सड़क
बाजार परिसर में सड़क की स्थिति भी अच्छी नहीं है। बाजार में वर्ष 2017-18 में सड़क बनाई गई थी। इसके बाद दोबारा न सड़क बनी और न मरम्मत ही कराई गई।
टूटी है चहारदिवारी
पंडरा बाजार परिसर की चहारदिवारी भी पिछले कई माह से टूटी हुई है, जिसकी मरम्मत बाजार समिति की ओर से नहीं कराई गई। चहारदिवारी टूटने से व्यवसायियों को हमेशा भय के साये में रहना पड़ता है। हालांकि बाजार के पास ही थाना है। बावजूद इसके हाल ही में एक मोटिया मजदूर की हत्या कर दी गई थी।
63 एकड़ में फैला है बाजार
पंडरा बाजार समिति का परिसर काफी बड़े इलाके में फैला है। यह बाजार 63.48 एकड़ इलाके में फैला है, जिसमें दो बाजार टर्मिनल मार्के ट और मुख्य बाजार है। टर्मिनल बाजार में आलू और प्याज के बाजार और गोदाम हैं, जबकि मुख्य बाजार में आटा, मैदा, खाद्य तेल समेत अन्य खाद्य पदार्थों की बिक्री होती है।
कहां-कहां से आते हैं व्यवसायी
पंडरा कृषि बाजार की मंडी राज्य की सबसे बड़ी मंडी है। यहां रोजाना रामगढ़, गुमला, सिसई, सोस, बेड़ो, मदरसा समेत कई जगहों से हजारों की संख्या में आते हैं और आलू-प्याज समेत किराना सामान की खरीदारी करते हैं।

बाजार परिसर में पीने के पानी की भारी किल्लत है। हम सभी को पानी घर से लेकर आना पड़ता है, लेकिन मजदूरों को काफी दिक्कत होती है। बाजार समिति का ध्यान बाजार की मूलभूत सुविधाओं पर नहीं है।
-संजय मोहरी, व्यवसायी, पंडरा बाजार

पंडरा बाजार में पानी, साफ-सफाई और रोशनी समेत कोई भी मूलभूत सुविधा नहीं है। बाजार समिति का हम व्यवसायियों की समस्याओं पर कोई ध्यान नहीं है।
-मदन प्रसाद, अध्यक्ष, आलू-प्याज संघ, पंडरा बाजार समिति

पंडरा बाजार में व्यवसायी और मजदूरों को पानी के लिए भटकना दुखद है। बाजार समिति ने यहां की समस्याओं के प्रति कभी गंभीरता नहीं दिखाई।
-रोहित, आलू प्याज संघ के सचिव, पंडरा बाजार समिति

बाजार समिति पंडरा बाजार में पेयजल समेत अन्य सुविधाओं की बहाली को लेकर गंभीर है। बाजार में 3-4 चापाकल लगाने का प्रस्ताव विपणन बोर्ड को भेजा गया है। साथ ही बाजार में एक जलमीनार बनाने का भी प्रस्ताव भेजा गया है। जल्द ही सभी समस्याओं का समाधान हो जाएगा।
उत्त्तम कुमार, सचिव, पंडरा कृषि बाजार समिति