रांची: टेंप्रेचर ने अभी अपना रूप दिखाना शुरू ही किया है। इधर सिटी में बोरिंग जवाब देने लगे हैं। कुछ इलाकों की बोरिंग सूख चुकी है। कई इलाके ऐसे भी हैं जहां लोगों को सिर्फ सप्लाई पर ही डिपेंड रहना पड़ रहा है। लेकिन उसकी भी स्थिति ठीक नहीं है। सप्लाई पानी आने का कोई फिक्स टाइम नहीं होने की वजह से आम पब्लिक को काफी कठिनाई हो रही है। लोगों का कहना है कि कभी-कभी दो दिन तक सप्लाई नहीं आती है। बोरिंग सूखने की वजह से अब सिर्फ खरीदकर पानी पीने का ही एकमात्र ऑप्शन बचा है। राजधानी रांची में अमूमन अप्रैल या मई महीने से पानी की मुसीबत शुरू होती है। लेकिन इस बार मार्च से ही हलक सूखने लगा है। मोरहाबादी, कांके, हरमू, बरियातू एवं कोकर की हालत सबसे ज्यादा खराब है। इलाकों की बोरिंग सूखनी शुरू हो चुकी है। अभी सिटी का मैक्सीमम टेम्प्रेचर 34 डिग्री ही गया है। 40 पहुंचने पर शहर की क्या स्थिति होगी, इसकी कल्पना मात्र से लोगों की सांसें फूलने लगी है। राजधानी रांची के कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां ग्राउंड वाटर की स्थिति बहुत खराब हो गई है। सिटी के कई इलाके पहले से ही ड्राई जोन घोषित हैं, जिसमें सबसे ज्यादा खराब स्थिति कांके और मोरहाबादी की है। इन इलाकों में एक हजार फीट की गहराई में भी लोगों को पानी नहीं मिल रहा है।

पानी बचाने का नहीं मैकेनिज्म

सिटी में पानी के स्रोत को बचाने का कोई मैकेनिज्म डेवलप नहीं हुआ है। बारिश के पानी को स्टोर करने के लिए हार्वेस्टिंग सिस्टम लागू तो किया गया था। लेकिन पांच परसेंट लोगों ने भी इसका पालन नहीं किया। जिम्मेदार अथॉरिटी की नींद भी तब खुलती है जब पानी सिर से ऊपर जा चुका होता है। शहर में पानी के लिए हाहाकार मचना शुरू हो चुका है लेकिन न तो नगर निगम जागा है और न ही पीएचईडी डिपार्टमेंट हरकत में आया है। वाटर हार्वेस्टिंग तो दूर की बात खराब चापानलों को भी अबतक ठीक नहीं किया गया है। जब सड़क से लेकर सदन तक इस मुद्दे पर बहस हो चुकी है। फिर भी संबंधित विभाग की ओर से अबतक कोई हरकत नहीं हुई है। बीते दिनों नगर निगम पीएचईडी के इंजीनियर ने बैठक जरूर की लेकिन उस बैठक में किसी प्रकार का कोई ठोस निर्णय नहीं लिया जा सका। सिर्फ नई जगह पर बोरिंग के बजाय वहां तालाब निर्माण कराने की सहमति बनी, जिसे लागू होने तक में यह गर्मी निकल जाएगी। तब तक राजधानी की प्यास कैसे बुझेगी, इस विषय पर कोई चर्चा नहीं हो रही है।

फ्लैट से सरकारी क्वार्टर तक वाले परेशान

जैसे-जैसे गर्मी बढ़ती जा रही है वैसे-वैसे पेयजल की समस्या भी बढ़ती जा रही है। अपार्टमेंट के फ्लैट से लेकर सरकारी आवास में रहने वाले लोगों को पानी के लिए भटकना पड़ रहा है। लोग एक ओर कोरोना की मार झेल रहे हैं तो दूसरी ओर पीने के पानी के लिए भी उन्हें मशक्कत करनी पड़ रही है। कांके से लेकर मेन रोड, रातू रोड से हटिया समेत शहर की आधी आबादी सप्लाई वाटर पर निर्भर है। लेकिन पानी सप्लाई की टाइमिंग सही नहीं है। जिससे आम पब्लिक को भारी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। पानी की सप्लाई कभी रात के 12 बजे तो कभी सुबह चार बजे, कभी दोपहर में ही शुरू कर दी जाती है। अधिकतर लोगों को मालूम नहीं होने के कारण वे पानी भर नहीं पाते। रातू रोड, कोकर, पिस्का मोड़, डोरंडा, चुटिया इलाके में पानी सप्लाई का कोई निश्चित समय ही नहीं है। फिक्स टाइम नहीं होने का नतीजा यह भी है कि लोग घर के नल खोल कर छोड़ देते हैं, जब सप्लाई शुरू होती है पानी रोड पर बहने लगता है। इसके अलावा कई इलाकों में पाइप फटने से भी हजारों गैलन पानी बर्बाद होता है जिससे सैकड़ों घरों को पानी मिल ही नहीं पाता। पानी की आपूर्ति के लिए नगर निगम टैंकर की मदद लेता है। लेकिन फिलहाल सभी मोहल्लाें में टैंकर नहीं भेजा जा रहा। स्थिति इतनी ज्यादा खराब होने लगी है कि नगर निगम द्वारा कराई गई डीप बोरिंग भी सूखने लगी है, जिस बोरिंग को एक टैंकर भरने में 20 से 25 मिनट का समय लगता था उसे अब 45 मिनट से ज्यादा समय लग रहा है।

क्या कहते हैं लोग

बोरिंग सूख चुकी है। जलस्तर नीचे जाने के कारण मोटर भी जल गया। बनवाने के लिए कोई दुकान नहीं खुली है। पानी की समस्या बढ़ने लगी है। सप्लाई का भी कोई निश्चित समय नहीं होने से परेशानी हो रही है।

-दीपक वर्मा

घर में बिना पानी कोई काम नहीं हो सकता। नहाने, कपड़ा धोने से लेकर खाना पकाने में पानी की जरूरत होती है। बोरिंग खराब हो चुकी है। सप्लाई का भी कोई समय नहीं है। भारी समस्या हो रही है।

-सोनी देवी

गर्मी की शुरुआत हो चुकी है। गर्मी आते ही चापानल और कुएं सूखने लगे हैं। सप्लाई एक निश्चित समय पर हो तो काफी सहूलियत मिल सकेगी।

-अंजलि देवी

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डैम का भी घटने लगा वाटर लेवल

बढ़ती गर्मी का प्रकोप कुछ इस कदर है कि राजधानी के डैम का भी जलस्तर अब घटने लगा है। सबसे प्रमुख जलाशय गेतलसूद में सिर्फ 19 फीट ही पानी बचा है। जबकि इसकी क्षमता 34 फीट है। तेजी से घट रहे जल स्तर को देखते हुए इंजीनियरों का कहना है कि मई तक ही पानी की सप्लाई सही से हो सकेगी। इंजीनियर संजय मुंडा ने बताया कि गेतलसूद डैम का जलस्तर काफी तेजी से घट रहा है। अभी डैम से रोज 30 मिलियन गैलन पानी की आपूर्ति शहर को होती है। गेतलसूद डैम से शहर के आधे से अधिक इलाकों में पानी सप्लाई की जाती है।

किस इलाके में क्या है ग्राउंड वाटर लेवल

बरियातू जोन 300 से 550 फीट

कांके जोन 500 से 700 फीट

हरमू जोन 400 से 700 फीट

धुर्वा जोन 500 से 700 फीट

तुपुदाना जोन 600 से 700 फीट

रातू रोड जोन 300 से 400 फीट

मोरहाबादी 500 से 1000 फीट