रांची(ब्यूरो)। 3 जनवरी 2023 से प्रारंभ हुए संकाय संवर्धन कार्यक्रम में एचआरटीसी के डायरेक्टर प्रोफेसर डॉक्टर सुदेश कुमार साहू ने विद्वान वक्ताओं का स्वागत किया। तीन सत्रों के विद्वान वक्ताओं में सर्वप्रथम केरल के प्रसिद्ध विचारक और चिंतक डॉ अ'युतानंद मिश्र जो कि श्री शंकराचार्य संस्कृत विश्वविद्यालय कालड़ी में प्राध्यापक हैं ने शिक्षा और शिक्षण के संबंध में बीसवीं सदी के विचार विषय पर अपने विचार प्रस्तुत किए। उन्होंने कहा कि सदी के दौरान राजनीतिक मुद्दों और उन पर संघर्षों के बारे में कैसे सोचा गया। बीसवीं सदी में दो लोगों गांधी एवं माक्र्स ने दुनिया को सर्वाधिक प्रभावित किया है। इन्होंने राजनीति, अर्थशास्त्र, शिक्षा, समाज, धर्म, न्याय, सभी विषयों पर नए सिरे से विचार करने को मजबूर किया।
समस्याओं का समाधान
डीएसपीएमयू रांची में संस्कृत विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ धनंजय वासुदेव द्विवेदी ने शोध का महत्व विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि शोध मानव ज्ञान को दिशा प्रदान करता है तथा ज्ञान भण्डार को विकसित एवं परिमार्जित करता है। शोध जिज्ञासा मूल प्रवृत्ति की संतुष्टि करता है। शोध से व्यावहारिक समस्याओं का समाधान होता है। शोध पूर्वाग्रहों के निदान और निवारण में सहायक है। तीसरे सत्र में रांची विश्वविद्यालय रांची के हिंदी विभाग की प्राध्यापिका डॉ सुनीता गुप्ता ने शोध व्यावसायिक विकास और शैक्षिक नेतृत्व विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि व्यापक अर्थ में अनुसन्धान किसी भी क्षेत्र में ज्ञान की खोज करना या विधिवत गवेषणा करना होता है। वैज्ञानिक अनुसन्धान में वैज्ञानिक विधि का सहारा लेते हुए जिज्ञासा का समाधान करने की कोशिश की जाती है। नवीन वस्तुओं की खोज और पुरानी वस्तुओं एवं सिद्धान्तों का पुन: परीक्षण करना, जिससे कि नए तथ्य प्राप्त हो सकें, उसे शोध कहते हैं.चौथे और अंतिम सत्र में श्री जीवनाथ डोले, श्री अमित बारा, डॉ मिथिलेश रंजन, श्री भावेंद्र डोले, डॉ अर्कप्रतिम चांगदर ने अनु शिक्षण प्रस्तुत किया।