रांची: रांची को राजधानी तो बना दिया। बड़े-बड़े शोरूम भी खुल गए, मार्केट भी गुलजार हो गए। जिससे कि हमेशा ही चहल-पहल रहती है। लेकिन सिटी के बड़े-बड़े मार्केटिंग कांप्लेक्स में महिलाओं के लिए एक सेपरेट टॉयलेट तक नहीं है। और जहां पर कॉमन टॉयलेट है वहां तो जाने से पहले भी कई बार महिलाओं को सोचना पड़ता है। कुछ ऐसी ही स्थिति सिटी के प्रमुख बाजारों की है, जहां महिलाओं के लिए सेपरेट टॉयलेट नहीं होने से उन्हे हर दिन नई समस्या से दो चार होना पड़ता है। वहीं जाने-अनजाने वे कई तरह की बीमारियों को भी दावत दे रही हैं।

पंचवटी प्लाजा

एक ऐसा मार्केट जहां एक ही छत के नीचे हर तरह की सुविधाएं उपलब्ध हैं। खाने-पीने की चीजों से लेकर शोरूम और डॉक्टर्स के क्लीनिक भी हैं। इसके अलावा बैंक और एटीएम की भी फैसिलिटी है, जहां पर लोगों का आना जाना लगा रहता है। सबसे ज्यादा इस मार्केट में महिलाएं आती हैं। चूंकि वहां पर बुटीक के आउटलेट और एक्सपोर्ट हाउस भी हैं। अब इस कांप्लेक्स में सबकुछ तो है, लेकिन एक अच्छा टॉयलेट नहीं है। हाइजीन का ध्यान भी नहीं रखा गया है, जिससे कि टॉयलेट यूज करने वाला बीमार हो जाएगा।

सैनिक मार्केट

हेरीटेज कांप्लेक्स के रूप में फेमस इस मार्केट में इलेक्ट्रानिक्स, मेडिसीन के अलावा कपड़े की दुकानें भी हैं। जहां पर हर तरह के प्रोडक्ट्स अवेलेबल हैं। ऐसे में जाहिर है कि लोग खरीदारी के लिए पहुंचेंगे। वहां पर हर दिन भीड़ भी काफी होती है। लेकिन टॉयलेट ऐसी जगह पर है जहां पर महिलाएं जाने से पहले कई बार सोचती हैं। चूंकि मार्केट से किनारे कैंपस में ही पे एंड यूज टॉयलेट है। लेकिन सुरक्षा के लिहाज से महिलाएं जाने में संकोच करती हैं।

अंजुमन प्लाजा

कपड़ों के अलावा इलेक्ट्रानिक्स का सबसे बड़ा बाजार है। हर दिन हजारों की संख्या में लोग यहां पर आते हैं। कई बार तो लोगों का काफी समय मार्केट में ही गुजर जाता है। ऐसे में जाहिर है कि नेचुरल कॉल भी आएगी। अब इस कांप्लेक्स में लोगों के लिए कहीं ढंग का टॉयलेट नहीं है तो महिलाओं की बात तो दूर है। महिलाओं को ऐसी स्थिति में थोड़ी दूरी पर कम्युनिटी टॉयलेट में जाना पड़ता है।

क्या कहती हैं महिलाएं

कांप्लेक्स में वाशरूम तो है लेकिन वहां पर अव्यवस्था का आलम है। महिलाओं और पुरुषों के लिए एक ही वाशरूम है। कहीं भी सेपरेट वॉशरूम महिलाओं के लिए नहीं है। अब कॉमन वॉशरूम है जहां मुझे तो जाने में बहुत खराब लगता है। सेफ्टी का भी कोई इंतजाम नहीं है। कभी-कभी तो वॉशरूम जाने में भी शर्म आती है कि कहीं पुरुष तो अंदर नहीं गया हुआ है, जिससे न चाहते हुए भी नेचुरल कॉल को रोकना पड़ता है।

डुर्सी कच्छप

अगर मुझे वाशरूम जाना होता है तो खुद के शॉप का वॉशरूम यूज करती हूं। यहां महिला और पुरुष का अलग-अलग वॉशरूम नहीं है। अभी कुछ दिन पहले पुरुष वॉशरूम में ही एक रूम महिलाओं के लिए भी बनाया गया है। बनाया क्या गया, बस एक गेट लगा कर छोड़ दिया गया है। लेकिन ये कहीं से भी अच्छी बात नहीं है। अपना एक्सपीरियंस बताऊं तो महिलाएं यहां आने में भी डरती हैं। वॉशरूम की स्थिति भी बहुत खराब है और सेफ्टी का कोई इंतजाम नहीं है।

नंदनी शर्मा

मैं यहां बाहर से आई हूं और एक टूरिस्ट होने के नाते जो अनुभव हुआ कि कहीं भी शॉपिंग कांप्लेक्स में वाशरूम हो ताकि हमें जब भी नेचुरल कॉल आए तो परेशानी का सामना ना करना पड़े। महिलाओं की सेफ्टी को ध्यान में रखते हुए महिलाओं के लिए अलग वॉशरूम होना चाहिए। चूंकि जब भी कॉमन टॉयलेट देखती हूं तो एक डर सा लगा रहता है। आखिर इतने बड़े कांप्लेक्स में सेपरेट टॉयलेट क्यों नहीं बनाया गया।

जगीता महता, टूरिस्ट

क्या कहते है मार्केट एसोसिएशन के लोग

परेशानी तो होती है। यहां जो हमारा मार्केट है वहां जितने भी ग्राहक आते हैं उनके लिए एक अलग टॉयलेट नहीं है। इस कारण से वे हमारे संस्था में जो टॉयलेट है उसका इस्तेमाल करते हैं। मार्केट एसोसिएशन के पदाधिकारियों को इस ओर ध्यान देना चाहिए और शौचालय का निर्माण करवाना चाहिए। जिससे कि बाहर से आने वाले लोगों के अलावा यहां के लोगों को भी परेशानी न हो। खासकर महिलाओं के लिए टॉयलेट तो जरूरी है। चूंकि उनके लिए कहीं भी जा पाना संभव नहीं होता।

-मो जावेद, इंचार्ज, अंजुमन प्लाजा