रांची(ब्यूरो)। राजधानी रांची में ठंड बढऩे लगी है। हाड़-मांस कंपाने वाली ठंड पड़ रही है। मौसम विशेषज्ञों की मानें तो सिटी का पारा आठ पर पहुंच चुका है। अगले चार-पांच दिनों में ठंड और बढऩे वाली है। ऐसे में ठंड से बचने के लिए लोग तमाम तरह की कोशिशें कर रहे हैं। इन्हीं में शामिल आग जलाकर उसके आसपास बैठना भी। जी हां, ठंड से बचने के लिए लोग आग से सेकाई करते हैं। लेकिन यह कुछ देर की सुविधा के साथ-साथ काफी मुश्किलें खड़ी कर सकता है। सर्दी में जब कोहरा तेजी से पड़ता है तो लोग ठंड से बचने के लिए घर, दुकान, चौक-चौराहे या कहीं भी आग जलाकर ठंड से बचने का प्रयास करते हैं। बता दें कि आग तापने से भले ही आपको ठंडक से आराम मिले, मगर आगे यह आपके लिए मुसीबत खड़ी कर सकती है। इससे सिर्फ आग लगने की ही समस्या नहीं, बल्कि हेल्थ से जुड़े मुसीबतें भी खड़ी हो जाती हैं।

अगलगी का है खतरा

ठंड से बचने के लिए लोग कहीं भी, कुछ भी जलाकर आग तापने लगते हैं। लेकिन यह खतरनाक है। इससे आग भी लग सकती है। कई बार लोग आग जलाकर छोड़ देते हैं, जो बाद में भीषण रूप ले लेती है। इसका ताजा उदाहरण डेली मार्केट है। यहां कुछ दिनों पहले ठंड से ही बचने के लिए लोग आग ताप रहे थे। लेकिन जब सभी लोग यहां से चले गए तो आग ने भीषण रूप ले लिया और पूरा बाजार जलकर स्वाहा हो गया।

इसे जलाने से बचिए

डॉ राजेश प्रसाद बताते हैं कि लोग थोड़ी देर के लिए खुद को ठंड से तो बचा लेते हैं, लेकिन आगे खुद को बीमार करने का रास्ता भी बना लेते हैं। लोग कूड़े-करकट के साथ टायर, ट्यूब, पॉलीथीन सब जलाते हैं, ये सभी कार्बन डेरिवेटिव होते हैं। इससे पर्यावरण में कार्बन डेरिवेटिव कंटेंट कार्बन मोनोऑक्साइड, जो पूरी तरह से जल नहीं पाते हैं। इससे एयर पॉल्यूशन भी होता है, जिससे हृदय रोग, सांस लेने में तकलीफ जैसी बीमारियों का खतरा रहता है।

बंद कमरे में हीटर ना जलाना

अक्सर ठंड से बचने के लिए लोग कोयला, अलाव, हीटर या ब्लोअर कमरों में जलाते हैं। जिससे कमरा गर्म रहे। खिड़की दरवाजे बंद रहने के कारण इससे निकलने वाला कार्बन मोनो ऑक्साइड कमरे में फैल जाता है। यह सेहत के लिए काफी नुकसान दायक है। रूम हीटर भी खतरनाक हो सकता है। यह कमरे की नमी सोख लेता है, जिससे आंखों में खुजली और त्वचा रूखी हो जाती है। आंखों में संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। इससे दम घुटने की भी समस्या आ सकती है।

क्या करें

- आग जलाने के लिए सिर्फ सुखी लकड़ी का ही इस्तेमाल करें

- रूम की खिड़की खोलकर हीटर या कोयला जलाएं

- रूम हीटर की जांच करते रहें

- सोने से पहले आग बुझा दें, हीटर बंद कर दें

क्या न करें

- आग जलाने के लिए पॉलीथिन, ट्यूब-टायर का इस्तेमाल न करें

- पूरी रात रूम हीटर या ब्लोअर न जलाएं

- कमरे के खिड़की-दरवाजे बंद कर हीटर या ब्लोअर न जलाएं

क्या हो सकता है नुकसान

- सर्दियों में लगातार लकड़ी, कोयले आदि को जलाने से इससे निकलने वाले धुएं आंखों को नुकसान पहुंचाते हैं।

- अंगीठी या जलती आग के सामने बैठने से स्किन भी प्रभावित होती है। आंच स्किन की नमी को सोखने लगती है और इससे स्किन में रूखापन आता है।

- बंद कमरे में लकड़ी या कोयले की अंगीठी जलाने से ऑक्सीजन का स्तर घटता है। इसके साथ ही कमरे में मोनोऑक्साइड का स्तर बढ़ जाता है, जो सीधे मनुष्य के दिमाग पर असर डालता है।

- बंद कमरे में अंगीठी को रखा जाता है तो कार्बन मोनोऑक्साइड सांस के जरिए फेफड़ों तक पहुंचती है। मोनोऑक्साइड के फेफड़ों तक पहुंचने के बाद ये सीधा खून में मिल जाता है, जिससे हीमोग्लोबिन का लेवल घट जाता है।

- लगातार आग के सामने बैठने से सांस लेने में समस्या और हृदय से जुड़ी बीमारी हो सकती है।