RANCHI: राज्य के सबसे बड़े हॉस्पिटल रिम्स में संसाधनों की कमी नहीं है। लेकिन उसका इस्तेमाल करने के बजाय उसे बर्बाद करने के लिए छोड़ दिया जाता है। कुछ ऐसी ही स्थिति ब्लड बैंक के लिए मंगाई गई वैन की भी हुई, जिसका इस्तेमाल भी ठीक से नहीं हो पाया और वो खड़े-खड़े ही कबाड़ बन गई। अब रिम्स की गवर्निग बॉडी ने ब्लड बैंक के लिए नया मोबाइल वैन खरीदने को मंजूरी दे दी है, जिससे समझा जा सकता है कि कैसे संसाधनों की खरीदारी के लिए लाखों रुपए खर्च किए जाते हैं लेकिन बर्बाद करने के लिए छोड़ दिया जाता है।

12 लाख की वैन कबाड़

रिम्स का ब्लड बैंक राज्य का मॉडल ब्लड बैंक है, जिसमें एक हजार से अधिक ब्लड यूनिट की प्रोसेसिंग कर स्टोर करने की कैपासिटी है। इसके लिए एक मोबाइल मेडिकल वैन करीब 12 लाख रुपए में खरीदी गई थी। कुछ दिनों तक कैंप में जाने के लिए इसका इस्तेमाल किया गया। इसके बाद वैन में कुछ समस्या आई और यह एक कोने में खड़ी हो गई। पड़े-पड़े इसके पा‌र्ट्स भी जवाब दे गए। आज यह चलने लायक भी नहीं है।

एंबुलेंस के लिए फंड नहीं

हॉस्पिटल में इलाज के लिए हर दिन सैकड़ों मरीज आते हैं, जो ठीक होने के बाद घर जाना चाहते हैं। ऐसे मरीजों के लिए पहले रिम्स में छोटी एंबुलेंस रखी गई थी। जिससे कि सरकारी दर पर उन्हें एंबुलेंस उपलब्ध कराई जाती थी। लेकिन एक-एक कर सभी एंबुलेंस स्टैंड बाइ में चली गई। इसके बाद मामूली मेंटेनेंस के अभाव में ये सभी एंबुलेंस बर्बाद हो गई। जबकि ये एंबुलेंस मरीजों के लिए ज्यादा जरूरी थीं। इसके लिए प्रबंधन के पास फंड नहीं है। जबकि नई वैन खरीदने के लिए जीबी ने तुरंत सहमति दे दी।

लाखों की कार्डियक एंबुलेंस भी कबाड़

नेशनल गेम्स के समय रिम्स को दो कार्डियक एंबुलेंस दी गई थीं। इसके बाद एनएचएआई और राज्यसभा सांसद परिमल नथवानी ने भी एक-एक कार्डियक एंबुलेंस दी थी। इसके संचालन के लिए तत्कालीन डायरेक्टर डॉ डीके सिंह ने रेट का निर्धारण करने की बात कही थी। लेकिन यह मामला भी ठंडे बस्ते में चला गया। अब तो ये कार्डियक एंबुलेंस भी मेंटेनेंस की गुहार लगा रहे हैं। वहीं कुछ दिनों में ये भी कबाड़ में तब्दील हो जाएंगी।