रांची(ब्यूरो)। रांची नगर निगम एक ओर बार-बार आदेश जारी करता है और दूसरी ओर नियमों को तोडऩे और अवैध काम करने वालों पर इसका कोई असर नहीं होता। जी हां, कुछ ऐसा ही हाल इन दिनों सिटी में चल रहे अवैध लॉज और हॉस्टल का भी है। निगम हर महीने दो महीने में लॉज-हॉस्टल संचालकों को लाइसेंस लेने के लिए नोटिस जारी करता है। लेकिन इस आदेश का अवैध रूप से लॉज-हॉस्टल संचालन कर रहे लोगों पर कोई असर नहीं होता। दरअसल, निगम अपने आदेश कुछ दिनों बाद खुद भूल जाता है, जिसका फायदा अवैध हॉस्टल लॉज संचालक उठाते हैं। अबतक निगम की ओर से ऐसे लोगों के खिलाफ किसी तरह की कठोर कार्रवाई नहीं की गई है, जिसका नतीजा सिटी में अवैध लॉज-हॉस्टल की संख्या दिनोंदिन बढ़ती जा रही है। एक बार फिर से नगर निगम की ओर अवैध रूप से लॉज-हॉस्टल संचालन करने वाले लोगों को नोटिस दिया गया है, जिसमें दस अक्टूबर तक हर हाल में लाइसेंस लेने को कहा गया है। ऐसा नहीं करने वालों के भवन सील करन की भी बात निगम की ओर से कही गई है। बहरहाल नगर निगम अपने इस आदेश को कितना पूरा करता है, यह तो वक्त ही बताएगा।

हजारों अवैध लॉज-हॉस्टल

सिटी मेें लॉज और हॉस्टल की भरमार हो गई है। हर गली-मुहल्ले में लॉज हॉस्टल भरे पड़े हैं। एक अनुमान के अनुसार, राजधानी रांची में पांच हजार से अधिक लॉज और हॉस्टल हैं। इसमें महज करीब 200 लॉज-हॉस्टल ही ऐसे हैं जो वैध हैं। जिन्होंने नगर निगम से लाइसेंस ले रखा है। बाकी लगभग 4800 लॉज-हॉस्टल अवैध रूप से ही संचालित हो रहे हैं। एक फायदेमंद बिजनेस के रूप में देखते हुए अधिकतर लोग इसी में अपना पैसा इन्वेस्ट करना चाह रहे हैं। कुछ जमीन खरीद कर या जिनके पास पहले से जमीन है वे लॉज या हॉस्टल बना कर महीनों का लाखों रुपए कमा रहे हैं। लेकिन वहीं सरकारी खजाने में इससे कोई फायदा नहीं हो रहा है। उल्टे नगर निगम को रेवेन्यू लॉस हो रहा है।

क्यों नहीं लेते लाइसेंस

सिटी में संचालित होने वाले अवैध लॉज-हॉस्टल नगर निगम के किसी भी मानक को पूरा नहीं करते हैं। यही वजह है कि ये लोग अपने लाइसेंस के लिए निगम में आवेदन तक नहीं डालते। इन हॉस्टल और लॉज में रहनेवाले स्टूडेंट्स की सेफ्टी का भी ध्यान नहीं रखा जाता है। वहीं, लॉज और हॉस्टल वाले इन भवनों का नक्शा भी पास नहीं है। लॉज-हॉस्टल संचालन के लिए वहां सिक्यूरिटी गार्ड, सीसीटीवी कैमरा, फायर फाइटिंग सिस्टम, पार्किंग और पर्याप्त ओपन स्पेस होना अनिवार्य है। इसके अलावा जिस बिल्डिंग में लॉज-हॉस्टल संचालित होना है उसका निगम द्वारा नक्शा पास भी होना चाहिए। लेकिन संचालक किसी भी मानक को पूरा नहीं करते हैं, जिस कारण वे लोग लाइसेंस के लिए आवेदन तक नहीं देते हैं।

लाइसेंस की जटिल प्रकिया

संचालकों का कहना है कि लाइसेंस लेने की प्रक्रिया जटिल है, इसी वजह से कोई आवेदन करना नहीं चाहता है। यदि कोई लॉज संचालक लाइसेंस के लिए आवेदन देता भी है तो उसके आवेदन को यह कहकर रिजेक्ट कर दिया जाता है कि संबंधित भवन का नक्शा ही पास नहीं है। या किसी न किसी पेपर की कमी बताकर आवेदन रद्द कर दिया जाता है। यदि नियमों में सरलीकरण किया जाए तो अधिकतर संचालक लाइसेंस जरूर लेंगे।

बिना लाइसेंस के चल रहे लॉज-हॉस्टल को दस अक्टूबर तक का समय दिया गया है। इस दौरान लाइसेंस नहीं लेने वालों पर पहले फाइन किया जाएगा। इसके बाद भी लाइसेंस नहीं लेने वालों के भवन को सील कर दिया जाएगा।

-कुंवरसिंह पाहन, डीएमसी, रांची