रांची: यदि आप भी बस का सफर करने वाले हैं तो अलर्ट हो जाइए। बस के पेपर्स की चेकिंग कर लें। क्योंकि राजधानी से खुलनेवाली ज्यादातर बसें बिना परमिट के ही सड़कों पर दौड़ रही हैं। यह खुलासा रांची जिला परिवहन पदाधिकारी प्रवीण प्रकाश द्वारा पिछले दिनों खेलगांव में बसों की चेकिंग के दौरान हुआ है। ऐसे में बिना परमिट सड़कों पर फर्राटा भर रही इन बसों की चेकिंग कभी भी, कहीं भी हो सकती है, जिसके बाद आपको परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। डीटीओ द्वारा चलाए गए चेकिंग अभियान के दौरान कई बसों को फाइन किया गया। वहीं, सभी को बस की परमिट बनाने की हिदायत भी दी गई।

300 से अधिक बसें बिना परमिट वाली

राज्य में उधार की परमिट या सेल एग्रीमेंट के आधार पर 300 से ज्यादा यात्री बसें चल रही हैं। ये बसें न सिर्फ झारखंड में, बल्कि दूसरे राज्यों में भी चल रही हैं। कुछ बस संचालकों ने विभागीय व पुलिस अधिकारियों से इसकी शिकायत की है। शिकायतकर्ता बस संचालकों का कहना है कि परिवहन एक्ट के अनुसार, इंटरस्टेट रूटों पर चलनेवाली बसों को संबंधित राज्यों से काउंटर साइन कराना पड़ता है। ऐसा तभी संभव है, जब बस उस राज्य का रोड टैक्स चुकाए। रोड टैक्स नहीं देने पर काउंटर साइन नहीं हो सकता है। बिना नियम के बसों के परिचालन से सरकार को लाखों रुपए के राजस्व का नुकसान हो रहा है। वहीं, बिना परमिट की बस अगर दुर्घटनाग्रस्त हो जाती है, तो यात्रियों को बीमा का लाभ भी नहीं मिलेगा, जिस रूट पर बसों को परमिट दिया जाता है, उस रूट पर बसों को समय का ख्याल रखना होता है, लेकिन इस नियम का उल्लंघन भी रोज देखने को मिल रहा है। विलंब से खुलनेवाली बसों का समय कवर करने के लिए चालक सड़कों पर निर्धारित स्पीड की जगह काफी रफ्तार से बसें चलाते हैं। इस वजह से आए दिन हादसे होते रहते हैं।

बिना पॉल्यूशन सर्टिफिकेट के भी बसें

प्रदेश में चलने वाली अधिकतर बसों का फिटनेस सर्टिफिकेट नहीं है, लेकिन इसकी जांच करने वाले जवाबदेह डीटीओ और एमवीआइ और उनके आलाधिकारी को कोई फर्क नहीं पड़ता। यही वजह है कि नियम को ताक पर रखकर धड़ल्ले से बसों का परिचालन किया जा रहा है। कई बसें बिना फिटनेस व प्रदूषण जांच प्रमाण पत्र के भी चल रही हैं। अनियंत्रित गति से चलने वाले ये वाहन यात्रियों के लिए भी काफी खतरनाक साबित हो रहे हैं। यात्रियों के बार-बार कहने के बावजूद भी चालक काफी तेज गति में बसें दौड़ा रहे हैं, जिससे एक्सीडेंट भी लगातार हो रहे हैं।

शादी व टूर के नाम पर अस्थायी परमिट

अधिकतर यात्री बसों का अस्थायी परमिट शादी और टूर के नाम पर लिया जाता है, क्योंकि इसमें टैक्स कम लगता है। उसी परमिट पर आराम से बसें चलायी जाती हैं। इस खेल से न तो विभाग के अफसर अनजान हैं और न बस के संचालक और एसोसिएशन के लोग। लेकिन फायदा सबको हो रहा है, इस वजह से यह खेल जारी है।

कहते हैं बस ओनर्स

बस ओनर्स का कहना है कि 6 महीने तक सभी बसें खड़ी रहीं, इसदौरान कई के परमिट फेल हो गए हैं। अब प्रशासन द्वारा हम लोगों को परमिट बनाने के लिए समय भी नहीं दिया जा रहा है और हमारी बसों को फाइन किया जा रहा है। जबकि परिवहन विभाग के नियमानुसार कोई भी परमिट एक्सपायर होने के बाद उसका रिन्यूवल किया जाता है। हम लोगों ने आवेदन भी दिया है। इसके बावजूद प्रशासन द्वारा हमारी बसों को पकड़कर फाइन किया जा रहा है।