रांची(ब्यूरो)। किसी महिला को उसकी इच्छा के विरुद्ध कोई फॉलो करता है और दोष सिद्ध हो जाता है तो उसे पांच साल जेल की सजा हो सकती है। ये बातें दिल्ली यूनिवर्सिटी के लॉ इंटर्न रंजन कुमार ने कहीं। वह डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी यूनिवर्सिटी के डिपार्टमेंट ऑफ इंग्लिश लैंग्वेज एंड लिटरेचर विभाग में पॉपुलर लेक्चर सीरिज कार्यक्रम के तहत महिला व आइपीसी में निहित अधिकारों के सेमिनार को बतौर मुख्य वक्ता संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सेक्शन 354 (बी) के तहत किसी महिला को घूरना भी अपराध की श्रेणी में आता है। इसका दोष सिद्ध होने पर आरोपी को पांच साल की सजा हो सकती है। बशर्ते की महिलाएं जागरूक होकर मामला दर्ज कराएं। उन्होंने आईपीसी कई धाराओं का जिक्र करते हुए औरतों की असल ताकत कानून की जानकारी में ही निहित है। उन्होंने कहा कि भारत में महिलाओं को सशक्त करने हेतु उस देश के कानून सतत प्रयत्नशील हैं। प्रकृति ने अगर शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी कर थोड़ा अन्याय महिलाओं की शारीरिक दुर्बलता के तौर पर किया है तो उसकी भरपाई भारत के कानून ने भी कर दी है। महिलाओं को दुर्गा स्वरूप कई सुरक्षा कानून देकर बराबर की शक्ति दी गई है।
महिलाओं को अधिकार
उन्होंने बताया कि आईपीसी के सेक्शन 354 के तहत अगर कोई सड़क से गुजर रही बहन के ऊपर फब्तियां या गलत कमेंट पास करता है तो ये ईव टीजिंग का मामला बनता है और उसे न्यूनतम 3 साल की सजा हो सकती है। वहीं, आईपीसी सेक्शन 354 (बी) के तहत अगर किसी महिला को निर्वस्त्र करने की कोशिश की जाती है , तो उसे दोषी सिद्ध होने पर 7 साल की सजा हो सकती है। आईपीसी के सेक्शन 353 (सी) के तहत यह सुनिश्चित किया गया है कि अगर किसी ने बगैर जानकारी दिए किसी महिला की तस्वीर को कैप्चर किया है और उसे लगातार वह घूर रहा है तो भी ऐसे मामले की शिकायत दर्ज होने पर दोषी को 3 से 7 साल की सजा हो सकती है। वहीं, सेक्शन 354 (बी) के तहत अगर किसी महिला के इच्छा के विरुद्ध कोई उसे फॉलो करता है तो दोष सिद्ध होने पर लगभग 5 साल की सजा हो सकती है। उन्होंने स्टूडेंट्स को अलग अलग एफिडेविट लिखने की शैली से भी परिचय कराया और इस पर प्रशिक्षण दिया। हॉल में उपस्थित लगभग 154 विद्यार्थियों ने लगातार 2 घंटे तक चले इस लीगल सेमिनार का भरपूर लाभ उठाया। मौके पर डिपार्टमेंट ऑफ ईएलएल की टीचर नम्रता झा, कर्मा कुमार, सौरव मुखर्जी और कोऑर्डिनेटर डॉ विनय भरत मौजूद थे।