अपना दलित उत्थान वाला राग

जानकारी के मुताबिक बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी बेगूसराय में एक पूजा समारोह में शामिल होने गए थे. जिसमें उन्होंने पूजा में हिस्सा लेने के बाद लोगों को संबोधित किया. इस दौरान जीतनराम मांझी ने अपना दलित उत्थान वाला राग अलापा. उन्होंने कहा कि आखिर समाज में ब्राहमण को इतना ऊंचा दर्जा और दलित को इतना नीचा क्यों माना जाता है. ब्राहमण किसी के साथ अत्याचार करे तो भी पूज्यनीय और दलित कुछ न करते हुए भी अपनी जगह पर बैठने को मोहताज है. यह आखिर कहां का न्याय है. ऐसे में साफ है कि दलितों को उठकर और एकता के साथ आगे आना होगा. एकता की कमी से ही समाज में दलित दासता का शिकार है.

दलित ज्ञानी नहीं हो सकता

जीतनराम मांझी यहीं नहीं रुके उन्होंने ब्राहमणों की पूजा पर भी उंगली उठाई. उन्होंने कहा आखिर पंडित को ही कथा पूजन में क्यों बुलाया जाता है. क्या कोई दलित ज्ञानी नहीं हो सकता है. अगर किसी दलित को ज्ञान हो तो उसकी पूजा और सेवा सत्कार क्यों नहीं होती है. बताते चलें कि बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी इन दिनों दलितो के उत्थान के लिए प्रयासरत हैं. इसके लिए वह सभाओं के जरिए दलितों को संबोधित कर रहे हैं. इतना ही हनीं वह दलितों को अपने हकों के लिए जागरुक भी कर रहे हैं.

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