प्रोफेसर साहब की कक्षा  

जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में अंग्रेजी के प्रोफेसर और कवि मकरंद परांजपे ने देशद्रोह के आरोप का सामना कर रहे छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार से एक मजेदार सवाल किया है। उन्होंने पूछा है कि क्या कन्हैया ने जेल से बाहर आने के बाद अपने बहुचर्चित भाषण से पहले तथ्यों की जांच की थी। परांजपे ने विश्वविद्यालय के छात्रों को संबोधित करते हुए बताया है कि कन्हैया ने अपने भाषण में कहा की संघ के नेता गोलवरकर के मुसोलिनी से मुलाकात की थी। उन्होंने कहा कि ये तथ्य गलत है मुसोलनी से गोलवरकर ने नहीं मुंजे ने भेंट की थी। इस तरह से कन्हैया की बात सही होते हुए भी तथ्यात्मक रूप से गलत है। इसीलिए उन्होंने कन्हैया से पूछा कि क्या उन्होंने तथ्यों की जांच की थी।

कन्हैया गलत नहीं पर जानकारी गलत

परांजपे ने कहा कि वे यह नहीं कह रहे हैं कि वे फासिस्ट से प्रभावित नहीं थे, वे थे..।’ परांजपे ने ने आगे कहा कि कृपया गलत तथ्य मत बताइये और सही जानकारी के आधार पर सहमति बनाने दीजिए। परांजपे ने जवाहर लाल विश्वविद्यालय के छात्रों को संबोधन के दौरान कहा कि फासीवाद लोकतंत्र के खिलाफ है और स्टालिनवाद भी। उन्होंने ये भी कहा कि उन्हें ऐसे देश का नागरिक होने में गर्व महसूस होता है कि जहां एक तथाकथित न्यायिक हत्या ने इतना बड़ा हंगामा खड़ा कर दिया। उन्होंने ये भी सवाल उठाया क्या लोग जानते हैं कि स्टालिन के सोवियत संघ में 1920 से 1950 के दशक में कितनी न्यायिक हत्यायें हुई।

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