छात्र और शिक्षक के बीच भारी बवाल

जेएनयू में उपस्थिति अनिवार्य करने को लेकर छात्र संगठनों एवं जेएनयू प्रशासन के बीच भारी बवाल शुरू हो गया है। इस मामले में वहां के शिक्षकों का आरोप है कि छात्र संघ पदाधिकारियों व उनके समर्थकों ने शिक्षकों को बंधक बना लिया है। ख़बरों के मुताबिक शिक्षकों ने छात्रों पर प्रॉक्टर के साथ बदसलूकी करने और उनके लिए अपशब्दों के इस्तेमाल का आरोप लगाया है।

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छात्रों ने आरोप को बेबुनियाद बताया

छात्र संगठनों ने इस आरोप को बेबुनियाद और असत्य बताया है। बता दें कि जेएनयू में गुरुवार की रात छात्रों ने जमकर बवाल काटा। उन्होंने प्रशानिक खंड का घेराव करते हुए प्रशासनिक भवन में मौजूद चिंतामणि महापात्र और राणा प्रताप सिंह को कथित तौर पर बंधक बना लिया। जब चिंतामणि की तबीयत बागड़ी तो उन्हें छात्रों के चंगुल से छुड़ाकर उपचार के लिए रात 11 बजे अस्पताल ले जाया गया।

पिछले शनिवार से शुरू यह विवाद

जेएनयू में अटेंडेंस को लेकर पिछले शनिवार से ही विवाद शुरू हो गया था। बता दें कि शनिवार देर शाम कैंपस में विद्यार्थियों का हुजूम उमड़ पड़ा। जेएनयू छात्रसंघ के आह्वान पर सैकड़ों की संख्या में विद्यार्थियों ने मानव शृंखला बनाकर उपस्थिति से छात्रवृत्ति, छात्रावास और सेमेस्टर परीक्षाओं को जोड़ने के खिलाफ जमकर विरोध प्रदर्शन किया।

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छात्रों की ये है मांग

छात्र विश्वविद्यालय प्रशासन से छात्रवृत्ति और फेलोशिप के लिए एक अकादमिक सत्र के दौरान आवश्यक 75 फीसद की उपस्थिति अनिवार्य करने के फैसले में बदलाव की मांग कर रहे हैं। छात्रों का कहना है कि यह नया सर्कुलर छात्रों के हित में नहीं है। इसके बाद छात्र अनिश्चित काल तक के लिये रद की गई अकादमिक परिषद की बैठक आयोजित करने की मांग भी कर रहे हैं।

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