PATNA : कन्हैया का बिहार दौरा कुछ इसी कहावत पर सटीक बैठता है कि 'आए थे हरिभजन को ओटन लगे कपास'। कन्हैया पटना में आ‌र्ट्स कॉलेज के छात्र आंदोलन का समर्थन करने और बिहार की शिक्षा व्यवस्था के सवाल पर निकले मार्च में शामिल होने आए थे। उम्मीद थी कि इस दौरान वे बिहार टॉपर्स घोटाले, आ‌र्ट्स कॉलेज की कुव्यवस्था और बिहार की गिरती शिक्षा व्यवस्था पर बिहार सरकार को आड़े हाथों लेंगे। लेकिन, ऐसा कुछ नहीं हुआ वे केंद्र सरकार को ही कोसते रहे। बिहार सरकार का मुखर विरोध नहीं कर सके। ऐसे में कन्हैया पर कई सवाल खड़े होने लगे हैं।

 

बुधवार को कन्हैया आर्ट कॉलेज के छात्र आंदोलन को समर्थन देने और बिहार सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करने पटना पहुंचे थे। हालांकि वे शिक्षा की थीम पर ही बोले लेकिन वे अपनी छवि बदलने में विफल रहे। उनके इस अंदाज से छात्रों को भी निराशा हाथ लगी। तय कार्यक्रम के मुताबिक छात्रों का समूह पीयू गेट से निकला लेकिन विधान सभा नहीं जा सका। सभी को जेपी गोलंबर के पास ही पुलिस ने रोक लिया। इससे पहले एआइएसएफ का जुलूस पटना कॉलेज से निकल कारगिल चौक होते हुए गांधी मैदान के उत्तर-पश्चिम स्थित जेपी गोलंबर तक पहुंचा।

 

निशाने से चूके शब्दवाण

कन्हैया की छवि भले ही एक राष्ट्रीय छात्र नेता की है लेकिन बिहार में वे अपनी छाया के बराबर भी साबित नहीं कर सके। उन्होंने अपने भाषण की शुरुआत तो बिहार के बहुचर्चित टॉपर घोटाले से की लेकिन राज्य सरकार को निशाने पर लेने की बजाय, सत्ताधारी जेडीयू के नेताओं और उनकी व्यवस्था को निशाने पर लेने की बजाय पीएम नरेंद्र मोदी और केन्द्रीय शिक्षा मंत्री स्मृति जुबेन ईरानी को कोसने लगे। कन्हैया ने स्पष्ट तौर पर सीएम नीतीश कुमार और आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद का नाम लेने से भी परहेज किया। इससे उलट उन्होंनरे कहा कि जिस देश में प्रधान मंत्री की डिग्री पर सवाल उठ रहा हो उस देश की शिक्षा की स्थिति क्या होगी। इससे स्थिति की भयावहता का अंदाजा लगाया जा सकता है।

 

पढ़ाई से होती है घबराहट

छात्र नेता कन्हैया ने कहा कि पढ़ाई से घबराहट होती है, जब हम यह सोचने लगते हैं कि जो पढ़ रहे हैं वह सही है या नहीं। जैसे इतिहास में यह जानना चाहें कि बिरसा मुंडा ने कैसे अंग्रेजों से लोहा लिया लेकिन ऐसी जानकारी नहीं मिले। आज गंभीर चुनौती है शिक्षा को बचाना। उन्होंने बाबा साहब भीम राव अंबेडकर की बात दोहराई। 'संघर्ष करो, शिक्षित बनो'।

 

एक ही कोख से होने पर भी भेद

लड़के और लड़की एक ही कोख से पैदा होते हैं फिर भी उनके साथ भेद-भाव होता है। आखिर अमीरों और गरीबों के लिए अलग-अलग शिक्षा क्यो? एक बच्चा शीशे में (एसी)और दूसरा बोरा पर (साधनहीन) पढ़ाई करता है। कन्हैया ने आगे कहा कि गैर-बराबरी, जातिवाद को खत्म करना है तो समान शिक्षा प्रणाली को लागू करना होगा। शिक्षा का सवाल रोजगार से जुड़ा है। बुधवार की शाम कन्हैया ने आर्ट कॉलेज में भी छात्रों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि यह मायने नहीं रखता कि मैं बिहार से हूं या बंगाल से। छात्र कहेंगे तो उनकी बात सरकार के सामने जरूर रखूंगा। बड़ी संख्या में छात्र एवं छात्र संगठन के प्रतिनिधि उपस्थित थे।

 

छात्र की जगह जेल में नहीं

यदि कन्हैया की बात पर छात्रों में थोड़ा जोश दिखा तो इसी बात पर। जब कन्हैया ने कहा छात्रों की जगह लाइब्रेरी में है न कि जेल में। जो फर्जी मामले में बंद हैं, उन्हें रिहा किया जाए। छात्र प्रिंसिपल को हटाने की मांग कर रहे हैं तो इसे सुना जाना चाहिए। आर्ट कॉलेज में किसान, मजदूर और पिछड़े के बच्चे पढ़ते हैं। लेकिन उन्हें शिक्षा से वंचित किया जा रहा है।

 

पूछा, कहां है आरक्षण विरोधी

वहीं जेएनयू छात्र संघ की उपाध्यक्ष शेहला राशिद शोरा ने कहा कि आरक्षण का विरोध करने वाले कहां हैं, जो टॉपर घोटाले पर बात नहीं करते हैं। आरक्षण कभी गरीबी का हल नहीं हो सकता लेकिन शिक्षा को ठीक कर हल पाया जा सकता है। उन्होंने राज्य सरकार को कोसा कि एससी, एससी को मिलने वाली स्कालरशिप कम कर दी गई है।

 

घोटालेबाजों को सामने लाएं

उपाध्यक्ष शेहला ने कहा कि यह गलत है कि रूबी राय को जेल में डाल दिया जाता है, लेकिन हम पूछना चाहते हैं कि जो घोटाले में संलिप्त और है, उनका नाम हाईलाइट किया जाना चाहिए। उन्होंने इसे छात्रों के साथ छल करार दिया। हालांकि शेहला भी अपने भाषण के दौरान केन्द्र सरकार को की कोसती रही। मार्च के बाद सभा गांधी मैदान में की गई। शेहला मार्च में शुरू से शामिल रहीं, लेकिन कन्हैया मार्च में सीधे जेपी गोलंबर पर शामिल हुए।

अनहोनी होने का था डर

 

बुधवार की सुबह कन्हैया को अपना संबोधन संक्षिप्त करना पड़ा। साथ ही कई अन्य छात्र नेता भी संबोधित करने से वंचित रह गए। मौके पर मौजूद छात्रों ने इस बताया कि लाठीचार्ज या कन्हैया पर हमला होने का डर था, इस कारण बहुत सावधानी बरती गई। हालांकि ऐसा कुछ नहीं हुआ। इस अवसर पर एआइएसएफ, आइसा, बुद्धिजीवी, संकृतिकर्मी समेत काफी संख्या में स्टूडेंट उपस्थित थे।