नई दिल्ली (पीटीआई)। जोशीमठ में मौजूदा खतरा कितना बड़ा है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि ये शहर केवल 12 दिनों में 5.4 सेमी धंस गया। इसरो द्वारा जारी उत्तराखंड के जोशीमठ की सेटेलाइट तस्‍वीरों से पता चला है कि भू धंसाव की यह घटना 2 जनवरी से शुरु हुई थी। इसरो के नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर (एनआरएससी) की शुरुआती रिसर्च में कहा गया है कि अप्रैल से नवंबर 2022 के बीच जमीन के धंसने की प्रक्रिया काफी धीमी थी, इस दौरान सात महीने में जोशीमठ 8.9 सेमी तक धंस गया था। लेकिन 27 दिसंबर, 2022 और 8 जनवरी, 2023 के बीच, भू-धंसाव में तेजी आई और इन 12 दिनों में शहर 5.4 सेंटीमीटर धंस गया। बता दें ये तस्वीरें कार्टोसैट-2एस सैटेलाइट से ली गई हैं।

कम दिनों में बढ़ा संकट
एनआरएससी की रिपोर्ट में कहा गया है, “यह क्षेत्र कुछ दिनों के अंतराल में लगभग 5 सेमी कम हो गया और अवतलन की क्षेत्रीय सीमा भी बढ़ गई है। लेकिन यह जोशीमठ शहर के मध्य भाग तक ही सीमित है," रिपोर्ट में कहा गया है कि धंसाव का मुख्‍य क्षेत्र जोशीमठ-औली रोड के पास 2,180 मीटर की ऊंचाई पर स्थित था। तस्वीरों में सेना के हेलीपैड और नरसिंह मंदिर को जोशीमठ शहर के मध्य भाग में फैले सबसिडेंस जोन के प्रमुख स्थलों के रूप में दिखाया गया है।

परिवारों को किया जा रहा विस्‍थापित
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, आर के सिंह, भूपेंद्र यादव और गजेंद्र सिंह शेखावत और शीर्ष अधिकारियों की मौजूदगी में हुई एक बैठक में जोशीमठ की स्थिति और लोगों की कठिनाइयों को दूर करने के लिए उठाए गए कदमों का आकलन किया। 589 सदस्यों वाले कुल 169 परिवारों को अब तक राहत केंद्रों में स्थानांतरित कर दिया गया है। जोशीमठ और पीपलकोटी में राहत केंद्रों के रूप में 835 कमरे हैं, जिनमें कुल मिलाकर 3,630 लोग रह सकते हैं। अब तक 42 प्रभावित परिवारों को 1.5 लाख रुपये की अंतरिम सहायता दी जा चुकी है।

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