सिडनी (एएफपी)। विकीलीक्स के संस्थापक जूलियन असांजे के पिता जॉन शिप्टन अपने बेटे को घर वापस लाना चाहते हैं। इसके लिए उन्होंने रविवार को ऑस्ट्रेलियाई सरकार से गुहार लगाई है। उनका कहना है कि पिछले हफ्ते लंदन में गिरफ्तारी के बाद अपने बेटे की हालत देखकर वह हैरान हैं। विकीलिक्स पार्टी के सचिव रहे जॉन शिप्टन 2012 में शरण लेने के बाद लंदन में स्थित इक्वाडोर दूतावास में कथित तौर पर हर क्रिसमस पर असांज से मिलने जाते थे। शिप्टन ने रविवार को कहा, 'विदेश मंत्रालय और प्रधानमंत्री को गंभीरता से इस मामले में कुछ करना चाहिए। सभी की संतुष्टि के साथ इस मामले को हल किया जा सकता है। जूलियन को ऑस्ट्रेलिया वापस लाने के लिए एक सीनेटर और विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी के बीच बैठक में कुछ बात हुई है।

हाई सिक्योरिटी में असांज को रखा गया

शिप्टन ने कहा कि जब गुरुवार को लंदन में असांज को गिरफ्तार किया गया तब वह अपने बेटे की स्थिति को देखकर परेशान थे। उन्होंने कहा, 'मैंने उसे देखा, जिस तरह से वह उसे  खींचकर ले जा रहे थे, वह अच्छा नहीं लग रहा था। मैं 74 का हूं और मैं उससे बेहतर दिख रहा हूं और वह तो सिर्फ 47 का है। मैं इन सब से बहुत परेशान हूं। महीनों-महीनों तक वह एक हाई-सिक्योरिटी कैदी की तरह रह रहा है, वह टॉयलेट भी नहीं जा सकता। उसके हर कदम पर कैमरे लगे हैं।' बता दें कि 47 वर्षीय ऑस्ट्रेलियाई नागरिक जूलियन पिछले सात वर्षों से इक्वाडोर के दूतावास में अमेरिका के डर से छिपे थे, जहां उन्हें सरकार के सीक्रेट का खुलासा करने के लिए मौत की सजा या यातनाओं का सामना करना पड़ता। कोर्ट में सरेंडर नहीं किये जाने के चलते लंदन के वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट कोर्ट ने 29 जून, 2012 को उनके खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी किया था। इसी मामले में असांज को गिरफ्तार किया गया है।

लंदन में विकीलीक्स के सह संथापक जूलियन असांज गिरफ्तार, सात साल से छिपे थे इक्वाडोर के दूतावास में

दुष्कर्म मामले में स्वीडिश अधिकारियों का करेंगे सहयोग

इसके अलावा जूलियन असांज की वकील ने रविवार को बताया कि स्वीडिश अधिकारियों के साथ वह दुष्कर्म के मामले सहयोग करने के लिए तैयार हैं लेकिन अमेरिका में प्रत्यर्पित करने के लिए किसी भी बात का वह अपना विरोध करना जारी रखेंगे। वकील जेनिफर रॉबिन्सन ने स्काई न्यूज को बताया, 'हम स्वीडिश अधिकारियों के सवालों का जवाब देने में पूरी तरह से खुश हैं। इस समय प्रमुख मुद्दा अमेरिकी प्रत्यर्पण है, जिसका हम विरोध करेंगे।'

 

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