- आद्री का सिल्वर जुबली सेलिबे्रशन का तीसरा दिन

- ह्यूमन डेवलपमेंट और डेवलपमेंट के अनुभवों पर हुई चर्चा

PATNA : 'मानव विकास के लिए जिन प्राथमिकताओं पर काम किया जाना चाहिए था। उसे दरकिनार कर बार-बार नई और अपूर्ण योजनाएं बनाई गई। यही वजह है कि मानव विकास के लिए स्थापित पैरामीटर को हम नहीं प्राप्त कर सके हैं.' ये बातें यूनिसेफ इंडिया में कंसल्टेंट एके शिवा कुमार ने कहा। वे आद्री के सिल्वर जुबली सेलिबे्रशन के अवसर पर आयोजित इंटरनेशनल लेक्चर सीरीज में बोल रहे थे। उन्होंने बताया कि कोठारी कमीशन ने हेल्थ में कम से कम दस सालों तक जीडीपी का छह प्रतिशत खर्च किया जाना था। लेकिन क्980 के दशक में इतनी राशि न तो शिक्षा और न ही स्वास्थ्य पर खर्च किया गया।

केवल आर्थिक विकास से ह्यूमन डेवलपमेंट नहीं

केवल आर्थिक विकास से ह्यूमन डेवलपमेंट हासिल नहीं किया जा सकता है। इसके लिए उन बिंदुओं पर काम करने की जरूरत है जिससे उनके जीवन में बौद्धिक तौर पर सकारात्मक बदलाव हो। इसमें शिक्षा और स्वास्थ्य प्रमुख रूप से शामिल हैं। उन्होंने कहा कि भारत ने ख्0ख्0 तक यूए के द्वारा रखे गए मिलेनियम डेवलपमेंट गोल को हासिल करने का लक्ष्य रखा है। लेकिन इसके लिए कई मानकों पर भारत बहुत पीछे है। यहां तक कि स्वास्थ्य के कई पहलुओं पर पाकिस्तान और बांग्लादेश, भारत से बेहतर स्थिति में हैं।

हेल्थ इंश्योरेंस का सच है बुरा

हेल्थ इंश्योरेंस का सच कितना बुरा है इस बात को एके शिवा कुमार ने अपने प्रजेंटेशन में स्पष्ट किया। वे ग्रोथ, मार्केट एंड द स्टेट: लेसन फोर ह्यूमन डेवलपमेंट - टॉपिक पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि भारत में हेल्थ सर्विसेज का 80 प्रतिशत हिस्सेदारी प्राइवेट सेक्टर का है। लेकिन इसके जहां एक ओर सभी के लिए स्वास्थ्य सुनिश्चित कराना संभव नहीं है तो दूसरी ओर इंश्योरेंस कंपनियां और हॉस्पिटलों की मिली भगत से पेशेंट का हॉस्पिटल स्टे बढ़ रहा है और अनावश्यक रूप से दवाएं भी लेनी पड़ रही हैं।

खेती में शोध और सर्पोट से बिहार का होगा भला

'बिहार में कृषि योग्य भूमि की कमी नहीं है लेकिन दक्षिण एवं पश्चिम के राज्यों की तुलना में प्रोडक्टिविटी बहुत ही कम है। दूसरी बात, यहां प्रति व्यक्ति खेती की भूमि भी कम है। ऐसी स्थिति में यह जरूरी है कि बिहार में एग्रीकल्चर रिसर्च और मार्केट सर्पोट से इसका कायाकल्प हो सकता है.' ये बातें आईजीसी, इंडिया सेंट्रल के इकोनामिस्ट विकास दिम्बले ने कही। उन्होंने कहा कि इन दोनों पक्षों पर यदि काम किया जाए तो बिहार एक बेहतर लक्ष्य हासिल कर सकता है। इस अवसर पर टोक्यो यूनिवर्सिटी के के। फूजिता, यूनिसेफ बिहार में फिल्ड आफिसर यामीन मजूमदार, आईजीसी इंडिया- बिहार के कंट्री डायरेक्टर अंजन मुखर्जी, आद्री के डायरेक्टर पी। घोष, सदस्य सचिव शैबाल गुप्ता व अन्य उपस्थित थे।

निष्कर्ष

- केवल आर्थिक विकास से ह्यूमन डेवलपमेंट का लक्ष्य हासिल नहीं होगा

-भारत मिलेनियम डेवलपमेंट गोल पाने में है बहुत पीछे

- शिक्षा और स्वास्थ्य पर जरूरत के मुताबिक कभी भी ध्यान नहीं दिया गया

- मूलभूत संसाधनों की सुविधा पर अधिकारियों ने की मौज, बढ़ाया भ्रष्टाचार

-हेल्थ में प्राइवेटाइजेशन के बावजूद सभी के लिए स्वास्थ्य का लक्ष्य दूर की कौड़ी

- परिवार और संस्थागत तौर पर लैंगिक भेदभाव अब भी कायम