-सात साल बाद बनारस में लौटा कालाजार का बुखार, स्वास्थ्य विभाग में मचा हड़कंप
-सेवापुरी में एक साथ 46 संदिग्ध मरीजों की हुई जांच, एक महिला में कालाजार की हुई पुष्टि
-दिल्ली स्वास्थ्य मंत्रालय की टीम जल्द पहुंचेगी गांव, बीमारी के वजहों की करेगी तलाश
करीब सात साल बाद बनारस में कालाजार का बुखार लोगों को निशाना बना रहा है। सेवापुरी ब्लॉक के अर्जुनपुर गांव में कालाजार के एक दो नहीं एक साथ 46 लोग इस बीमारी की चपेट में आए हैं। एक ही गांव में एक साथ इतने लोगों में कालाजार का बुखार चढ़ने से स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मचा हुआ है। यही नहीं अब कालाजार के बुखार की गर्मी दिल्ली तक पहुंच चुकी है। जल्द ही स्वास्थ्य मंत्रालय की टीम इस गांव का दौरा करेगी। कालाजार पर काम करने वाली यह टीम गांव में बीमारी के वजह की तलाश कर, अपनी रिपार्ट मंत्रालय को सौंपेगी।
बीएचयू में चल रहा इलाज
स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक तीन दिन पहले सभी मरीजों की जांच कराई गई थी, जिसमें उसी गांव की 40 वर्षीय मीरा देवी में कालाजार बुखार होने की पुष्टि की गई। उनका इलाज बीएचयू के एसएस हॉस्पिटल में इलाज चल रहा है। अन्य 45 मरीज संदिग्ध श्रेणी में हैं। फिलहाल मलेरिया विभाग की ओर से गांव में बचाव व राहत कार्य कराया जा रहा है।
388 घरों की हुई जांच
मीरा देवी में कालाजार की पुष्टि होने के बाद मलेरिया डिपार्टमेंट की ओर से बनाई गई टीम ने गांव में सभी 388 घरों का सर्वे कराया है। टीम में शामिल आशा वर्कर, एनएनएम और ब्लॉक हेल्थ वर्कर्स ने डोर टू डोर जाकर रैपिड किट से वहां मिले बुखार पीडि़तों की जांच की। अधिकारियों की मानें तो 1500 की आबादी वाले इस गांव में सभी घरों का सर्वे करा लिया गया है। लेकिन अब यह जानना जरूरी हो गया है कि 2011 के बाद अचानक यहां कालाजार लौटा कैसे है। इससे यहां के लोगों में अभी भी यह डर बना हुआ है कि कोई और भी इसकी चपेट में न आ जाए।
कहां होता है खतरा?
मिट्टी और क्रेक जमीन, सीलन वाले घरों और गोबर की अधिकता वाले क्षेत्रों में कालाजार का खतरा अधिक होता है। ऐसे में ऐसी जगहों पर एहतियातन बचाव कार्य व दवा का छिड़काव होना जरूरी है।
गंभीर रोग है कालाजार
कालाजार को काला ज्वर भी कहा जाता है। यह एक गंभीर रोग है जो कि परजीवी (मक्खियों जो सिर्फ खून चूसती हैं) से फैलता है। इसे धीमी गति से फैलने वाला स्थानीय रोग भी कहते है। इसका वायरस सीधे हमारे शरीर के इम्यून सिस्टम को कमजोर करने के साथ लीवर को भी क्षति पहुंचाता है।
इसके लक्षण
-बार बार बुखार का आना या हल्का बुखार हमेशा बने रहना।
-भूख और वजन में लगातार कमी होना।
-लीवर का आकर सामान्य से बड़ा हो जाना।
-त्वचा में खुजली, जलन या फिर सूखापन का होना।
-इसके लक्षण दिखाई देने में 6 से 12 माह तक लग जाते हैं।
-कुछ रोगियों को कई बार इस बीमारी के साथ कोई अन्य बीमारी भी हो जाती है जिससे इसके लक्षणों को पहचानना मुश्किल हो जाता है।
क्या है कारण?
यह बीमारी मुख्य रूप से परजीवी लिश्मैनिया डोनोवानी के कारण होता है। यह बालू मक्खी में ही जीवित रहता है।
कालाजार से बचाव
-कालाजार एक संक्रामक रोग भी है, जो परजीवी के माध्यम से दूसरे इंसान में आसानी से फैलता है।
-इसके बचाव के लिए मिलने वाले कीटनाशक का पूरे घर में छिड़काव किया जाता है।
यहां है इलाज
कालाजार का इलाज सिर्फ जिला हॉस्पिटल व बीएचयू में ही है। यहां कालाजार के लिए एमबी सैम इंजेक्शन का स्टॉक किया गया है।
वर्जन
विभाग गांव में इस बीमारी को लेकर रोकथाम व बचाव कार्य कर रहा है। पीडि़त महिला का बीएचयू में इलाज चल रहा है। अगले सप्ताह दिल्ली की टीम गांव का दौरा करने आ रही है।
शरत चंद्र पांडेय, डीटीओ, मलेरिया विभाग