विनोद कांबली ने 1996 विश्व कप सेमी फ़ाइनल मैच पर संदेह व्यक्त किया था। वर्ष 1996 विश्व कप का सेमीफ़ाइनल भारत और श्रीलंका के बीच खेला गया था। जीत के लिए 252 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए भारतीय टीम 120 रन पर आठ विकेट गंवा चुकी थी।

इसके बाद नाराज़ दर्शकों ने मैदान पर बोतल फेंकना शुरू कर दिया था। इस मैच को यहीं पर रोक दिया गया था और श्रीलंका को विजेता घोषित किया गया था।

एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में विनेद कांबली ने कहा कि उन्हें इस बात से बेहद हैरानी हुई कि उस मैच में भारत ने टॉस जीतकर पहले गेंदबाज़ी करने का फ़ैसला किया। इस मैच में कप्तानी मोहम्मद अज़हरूद्दीन कर रहे थे।

बेबुनियाद

कांबली के आरोपों को अज़हर ने ख़ारिज करते हए कहा, "कांबली जो भी कह रहे हैं बेकार है। यह पूरी टीम का फ़ैसला था कि टॉस जीतकर पहले गेंदबाज़ी करेंगे। जब हम टीम मीटिंग कर रहे थे तब शायद वो सो रहे थे."

वहीं वरिष्ठ खेल पत्रकार प्रदीप मैगज़ीन मैगज़ीन यह पूछते हैं कि 15 साल तक कांबली चुप क्यों रहे। लेकिन उनका यह भी कहना है कि अगर टीम का कोई खिलाड़ी ऐसे आरोप लगाता है तो उसे एक बार ज़रूर सुनना चाहिए।

वो कहते हैं, "शक ज़रूर होता है कि कांबली इतने दिनों तक चुप क्यों थे। लेकिन अगर हाल ही में आईसीसी के एंटी करप्शन यूनिट के पूर्व अध्यक्ष पॉल कॉन्डन के बयान को देखें, जिसमें उन्होंने कहा कि 90 के दशक उनकी नज़र कई देशों पर बनी हुई थी और ऐसा लग रहा था कि कुछ मैच फिक्स हो रहे हैं जिनमें विश्व कप के मैच भी शामिल थे, तो कांबली के कथन से शक ज़रूर बढ़ जाता है कि उन दिनों मैच फ़िक्स हो रहे होंगे."

मैगज़ीन यह भी कहते हैं कि कोलकाता के इडेन गार्डन के पिच पर उदघाटन समारोह हुआ था और शायद उससे पिच पर भी खराब असर पड़ा था। वो कहते हैं कि तब पिच के क्यूरेटर ने कहा था कि पहले बल्लेबाज़ी करना ही ठीक रहेगा।

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