लखनऊ (आईएएनएस)। विकास दुबे और उसके गैंग से बीती 3 जुलाई शुक्रवार तक हर कोई इतना वाकिफ नही था लेकिन शुक्रवार को सूरज ढलते ही दुबे देश का सबसे खूंखार नाम बन गया था। हत्या के प्रयास के एक मामले में उसे गिरफ्तार करने के लिए पुलिस टीम शुक्रवार की तड़के विकास दुबे के घर गई थी। इस दाैरान उसने और उसके गुर्गों ने चौबेपुर पुलिस सर्किल के अंतर्गत बिकरू गांव में आठ पुलिस कर्मियों को माैत के घाट उतार दिया था। दुबे को उसके घर छापेमारी की सूचना पुलिस स्टेशन से मिली थी। इसके बाद उसने पुलिस टीम पर हमला करने के लिए अपना पूरा गिरोह सक्रिय कर लिया था। जैसे ही पुलिस टीम पहुंची उसने पुलिस कर्मियों पर बिना सोचे समझे गोलियां चला दीं। इसके बाद भाग गया।

ढहाया विकास दुबे का किला

यह घटना उत्तर प्रदेश में अपनी तरह की पहली घटना थी, जिसने देशव्यापी आक्रोश और योगी आदित्यनाथ सरकार और राज्य पुलिस बल पर आक्षेप को जन्म दिया। कानपुर पुलिस ने घटना के चार घंटे के भीतर दो संदिग्धों प्रेम प्रकाश पांडे और अतुल दुबे की गोली मारकर हत्या कर दी। इसके बाद पुलिस ने एक और कदम उठाया। पुलिस ने हत्याकांड के एक दिन बाद बिकरू गांव में दुबे के घर को ध्वस्त कर दिया और उनके दो वाहनों को ध्वस्त कर दिया। इस कार्रवाई ने पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद जैसे राजनीतिक नेताओं ने कार्रवाई की वैधता पर सवाल उठाया और उनके परिवार पर कार्रवाई ने उन्हें ब्राह्मण समुदाय से समर्थन प्राप्त किया।

पुलिस अधिकारियों को भी निलंबित किया गया

वहीं थाना प्रभारी विनय तिवारी और निरीक्षक केके शर्मा को गैंगस्टर के साथ उनकी बातचीत की पुष्टि के बाद निलंबित कर दिया गया। इस मामले में जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ी विकास दुबे के राजनीतिक संबंधों ने सुर्खियां बटोरीं। राजनीतिक स्पेक्ट्रम के शीर्ष नेताओं के साथ उसकी तस्वीरें आने से मामला और गर्मा गया। सत्ता और विपक्ष के चेहरे इसमें जुड़े। इस दाैरान जांच में पता चला कि विकास ने रियल एस्टेट, शराब के कारोबार और ठेके में सौदों के जरिए धन और संपत्ति अर्जित की थी। राजनीतिक दलों ने भी कीचड़ उछालने का काम किया जब एसटीएफ ने विकास दुबे के बेहद करीबी अमर दुबे को बुधवार को हमीरपुर में हुई मुठभेड़ में मार गिराया।

विकास के करीबी बउअन को एनकाउंटर में ढेर

इसके साथ ही गुरुवार को इटावा में विकास का एक और करीबी बउअन एक एनकाउंटर में मार दिया गया। इसके अलावा बुधवार को फरीदाबाद से गिरफ्तार किए गए प्रभात मिश्रा गुरुवार को कानपुर लाते समय हुई मुठभेड़ में ढेर हो गया। विडंबना यह है कि वहीं पर विकास दुबे को बाद में शुक्रवार को मार दिया गया। आठ पुलिस कर्मियों की हत्या के आठ दिन बाद तक चले इस पूरे घटनाक्रम विकास दुबे पुलिस के लिए मायावी बने रहे। उत्तर प्रदेश पुलिस और स्पेशल टास्क फोर्स की पचास टीमों ने उसके सभी ठिकानों पर छापा मारा और गैंगस्टर पर दबाव बनाने की कोशिश में उसके रिश्तेदारों को उठा लिया।

गैंगस्टर एक रात में खूंखार डॉन में बदल गया

इतना ही नहीं विकास पर पांच लाख का इनाम रखा गया। राज्य की सीमाओं को सील कर दिया गया और राजमार्गों तलाशी अभियान चलाया गया जबकि विकास दो दिनों के लिए कानपुर में एक रिश्तेदार के घर में रुका रहा। इसके बाद वह फरीदाबाद पहुंच गया, जहां वह एक होटल में लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गया।उसके जाने के बाद पुलिस पहुंची। विकास दुबे की हर हरकत को मीडिया ने बड़ी ही चालाकी से भुनाया, गैंगस्टर को एक रात में खूंखार डॉन में बदल दिया। यहां तक ​​कि जब पुलिस ने गैंगस्टर को गिरफ्तार करने का प्रयास जारी रखा, तब तक विकास चुपचाप मध्य प्रदेश और फिर उज्जैन पहुंचने में सफल रहा।

पुलिस मुठभेड़ में मारा गया गैंगस्टर विकास दुबे

गुरुवार सुबह वह प्रसिद्ध महाकाल मंदिर गया और वहां अपनी पहचान बताई और खुद को गिरफ्तार करा लिया। मध्य प्रदेश पुलिस ने उसकी गिरफ्तारी का श्रेय लिया और विकास को गुरुवार रात यूपी एसटीएफ को सौंप दिया। यूपी एसटीएफ शुक्रवार सुबह उसे लेकर कानपुर पहुंची थी और भाैती के पास उसकी गाड़ी पलट गई। इस दाैरान उसने पुलिसकर्मियों से हथियार लेकर भागने की कोशिश की। पुलिस ने विकास दुबे का पीछा किया तो वह फायरिंग करने लगा। पुलिस की ओर से की गई जबाबी फायरिंग और वह इस मुठभेड़ में घायल हो गया। उसे तुरंत उपचार हेतु अस्पताल ले जाया गया जहां उसकी माैत हो गई है।

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