- कानपुर के होटलों में धधक रही लापरवाही की आग

-कानपुर के 75 परसेंट होटलों के पास नहीं है फायर डिपार्टमेंट की एनओसी, शहर में 1,000 से अधिक होटल चल रहे, कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा

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KANPUR : ट्यूजडे को दिल्ली के होटल में लगी भीषण आग से हुई मौतों को देखकर कानपुर के लोग भी सहम गए हैं। एक बार फिर से यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या कानपुर के होटल आग लगने पर सेफ हैं ? तो जवाब है नहीं फायर डिपार्टमेंट के आंकड़े बयां कर रहे हैं कि शहर में 75 परसेंट होटल आग के 'साये' में हैं। अगर, इनमें आग लगी तो जान-माल का कितना नुकसान होगा, बयां करना मुश्किल होगा। घंटाघर, फजलगंज, कानपुर-लखनऊ हाईवे के किनारे, मोतीझील चौराहा और जीटी रोड पर दर्जनों ऐसे होटल और बडे़ रेस्टोरेंट हैं।

ऐसे जारी की जाती है एनओसी

चीफ फायर ऑफिसर एमपी सिंह के अनुसार 2005 से पहले बने होटल्स और बिल्डिंग्स को सेट बैक में छूट का प्रावधान है। इसके बाद जो भी निर्माण हुए है, उन्हें मानकों को पूरा करना जरूरी है। समय-समय पर इनकी जांच कर नोटिस दिया जाता है। सीएफओ के मुताबिक फायर विभाग की एनओसी लेने के लिए ऑनलाइन आवेदन करना पड़ता है। इसके बाद आवेदन रसीद के साथ चार प्रतियों में फायर प्लान के साथ सारे प्रमाणपत्र देने पड़ते हैं। यह प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद फाइल उनके पास पहुंचती है। वह अपने स्तर से एप्लीकेंट के दावों और प्रतिष्ठानों एवं घरों की गहन जांच करते हैं। पड़ताल में मानक पूरे होने के बाद फायर विभाग की एनओसी जारी की जाती है।

ये हैं जरूरी मानक

- सेट बैक (होटल के चोरों ओर खुला स्थान होना जरूरी)

- होटल में कम से कम दो चौड़ी और ढलान युक्त सीढि़यां।

- फायर स्केप, होटल में इमरजेंसी बाहरी सीढ़ी जरूरी।

- आग लगने पर बजने वाला अलार्म जरूरी।

- होजरिल (यह इंस्ट्रूमेंट आग बुझाने में सहायक होता है)।

- होटल परिसर में या आसपास फायर हाइड्रेंट जरूरी।

- फायररोधी यंत्रों की जांच का होना चाहिए प्रमाणपत्र।

- होटलों के कमरों में एयर पासिंग व खिड़की का इंतजाम।

- दिन और रात के वक्त होटल में सुरक्षा गार्डो की उपस्थिति।

- होटल तक फायर गाड़ी पहुंचने का सुगम मार्ग जरूरी।

नोट: फायर विभाग के मुताबिक।

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यह भी जान लीजिए

- 75 परसेंट होटल के पास नहीं है फायर सेफ्टी एनओसी।

- 1000 से अधिक होटल्स हैं कानपुर शहर के अंदर।

- 500 वर्ग मीटर से ज्यादा और 15 मीटर की हाइट की बिल्डिंग को एनओसी जरूरी।

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शहर के अधिकांश होटल फायर डिपार्टमेंट के मानकों को पूरा नहीं करते हैं। घंटाघर जैसी जगह पर तो लगभग सभी होटल्स में सेटबैक नहीं है। जांच का अधिकार हमारे पास नहीं है। होटल पर कार्रवाई के लिए जिला प्रशासन को भेज दिया जाता है।

- एमपी सिंह, सीएफओ, कानपुर नगर