- दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के 'भारी बस्ता' कैंपेन का पैरेंट्स ने सिग्नेचर कर किया फुल सपोर्ट

-स्टूडेंट्स और उनके पैरेंट्स ने अपने दिल की बात शेयर की, बोले स्कूलों की मनमानी के आगे हैं बेबस

KANPUR : स्कूल में बच्चों के ओवरलोड बैग को लेकर शुरू किए गए दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के कैंपेन को पैरेंट्स को फुल सपोर्ट मिल रहा है। हमारे इस अभियान का असर अब स्कूलों पर पड़ने लगा है। शायद उन्हें यह बात समझ आने लगी है कि बैग का ओवरलोड बच्चों के लिए फिजिकली कितना नुकसानदायक है। हमने अपने इसी अभियान के तहत मंडे को इस मुहिम को सिग्नेचर कैंपेन के तहत जारी रखा। हमने स्कूलों के बाहर सिग्नेचर कैंपेन चलाया, जहां स्टूडेंट्स और उनके पैरेंट्स ने अपने दिल की बात हमसे शेयर की और अपने सिग्नेचर कर इस मुहिम को सपाेर्ट किया।

'रूल से ज्यादा हेल्थ्ा से प्यार'

डीजे आई-नेक्स्ट के सिग्नेचर कैंपेन का हिस्सा बनने वाले पैरेंट्स ने हमारे इस अभियान की बहुत तारीफ की। उन्होंने कहा कि कम से कम किसी ने तो इस इश्यू को उठाया, जिससे स्कूल प्रबंधन की कान में जूं रेंगी। उन्होंने स्कूलों के रूल से ज्यादा अपने बच्चों की हेल्थ से प्यार होने की बात कही। क्लास 5 में पढ़ने वाले दिव्यांश के फादर राजीव सिंह ने बताया कि जबसे यह कैंपेन शुरू किया गया है, स्कूल में बच्चों का डेली बैग चेक किया जाने लगा है। इससे बैग का बोझ कुछ कम हुआ है। लेकिन, अभी भी स्कूलों को मानक के अनुसार बैग का लोड सेट करने की जरूरत है।

पैरेंट्स वर्जन-

- स्कूल बच्चों की हेल्थ के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। उन्हें मिनिस्ट्री की गाइडलाइन का ख्याल रखना चाहिए। टीचर्स को ऐसा टाइम टेबल डिसाइड करना चाहिए, जिससे बच्चों को बैग ओवरलोड न हो सके।

- मोहित कुमार

- बच्चों का बैग ओवरलोड न हो इसके लिए पैरेंट्स को भी जागरूक होने की जरूरत है। कई बार बच्चे बैग में बिना जरूरत की भी बुक्स कॉपी भर लेते हैं। तो कई बार कोचिंग और ट्यूशन का भी ओवरलोड होता है।

- सुनीता मिश्रा

- मिनिस्ट्री की ओर से डिसाइड किया गया बैग का लोड किसी भी स्कूल में फॉलो नहीं किया है। इसके लिए जहां एक ओर स्कूल प्रबंधन जिम्मेदार है तो दूसरी ओर इसका विरोध न करने वाले पैरेंट्स भी रिस्पॉस्बिल हैं।

- आरती टंडन

- डीजे आई नेक्स्ट की इस मुहिम ने पैरेंट्स को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आखिर क्यों बच्चों की बैक कमजोर हो रही है। बैग का ओवरलोड बच्चों को इतना थका रहा है कि वो घर में पढ़ाई ही नहीं कर पाते।

- अजय गुप्ता

- पैरेंट्स ने भी अब बैग के ओवरलोड का विरोध शुरू कर दिया है। इस कारण स्कूल प्रबंधन को कोई कदम उठाना ही पड़ेगा। आखिर बच्चों की हेल्थ अच्छी होगी तो कंट्री का फ्यूचर भी अच्छा होगा।

- गौरव शर्मा

- दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने जब से यह मुहिम शुरू की है। स्कूल में बच्चों के बैग का बोझ कुछ कम कर दिया गया है। लेकिन, अभी भी मिनिस्ट्री की गाइडलाइन से दूर है। इसमें लगातार सुधार की जरूरत है।

- अजीत मेहता