- ट्रॉमा और न्यूरो सर्जरी में कैपिसिटी बिल्डिंग के लिए सरकारी डॉक्टर्स की ट्रेनिंग का नोडल सेंटर बनेगा जीएसवीएम

- 6 महीने के कोर्स में न्यूरो सर्जरी और ट्रॉमा मैनेजमेंट की मिलेगी ट्रेनिंग, न्यूरो साइंस डिपार्टमेंट को मिली जिम्मेदारी

KANPUR: एक्सीडेंट्स में होने वाली मौतों को कम करने के लिए सीएचसी व डिस्ट्रिक्ट हास्पिटल लेवल पर अब स्पेशिएलिटी ट्रीटमेंट मिल सकेगा। हेल्थ मिनिस्ट्री ने सीएचसी, डिस्ट्रिक्ट हास्पिटल्स में काम करने वाले सर्जन्स के लिए 6 महीने का ट्रॉमा व न्यूरो सर्जरी ट्रेनिंग प्रोग्राम शुरू किया है। यूपी में इसके लिए जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के न्यूरो साइंस सेंटर को नोडल सेंटर बनाया गया है। जहां इन सर्जन्स को ट्रॉमा मैनेजमेंट और न्यूरो सर्जरी की बेसिक ट्रेनिंग दी जाएगी। इसका फायदा एक्सीडेंट में हुए घायलों को मिलेगा, क्योंकि उन्हें सीएचसी व डिस्ट्रिक्ट हास्पिटल लेवल पर न्यूरो व ट्रॉमा का बेसिक ट्रीटमेंट मिल जाएगा।

6 महीने का प्रोग्राम होगा स्टार्ट

मेडिकल कालेज में न्यूरो सर्जरी डिपार्टमेंट के हेड डॉ। मनीष सिंह ने बताया कि हेल्थ मिनिस्ट्री ट्रॉमा केसेस से निपटने के लिए कैपिसिटी बिल्डिंग प्रोग्राम के तहत 6 महीने का कोर्स शुरू करेगी। इसके लिए जीएसवीएम के न्यूरो सर्जरी डिपार्टमेंट को चुना गया है। बीते कई सालों में घायलों की संख्या तेजी से बढ़ी है। जबकि इन केसेस को डील करने के लिए ट्रेंड डॉक्टर्स उतने नहीं हैं। टर्सरी सेंटर होने की वजह से यहां ट्रॉमा मैनेजमेंट व लाइफ सपोर्ट के लिए 6 महीने का कोर्स शुरू करने के लिए मिनिस्ट्री ने ग्रीन सिग्नल दिया है।

ट्रेनिंग सेंटर क्यों जरूरी

- एक्सीडेंटल डेथ के मामले में देश की टॉप सिटीज में शामिल कानपुर

- यूपी में सबसे ज्यादा एक्सिडेंटल डेथ

- 7000 घायल भर्ती हुए 2018 में एलएलआर हास्पिटल में

- ट्रॉमा के 80 फीसदी मामलों में हेड इंजरी मौत होने की मुख्य वजह

- बुंदेलखंड, कन्नौज, फर्रूखाबाद समेत 15 डिस्ट्रिक्ट में ट्रॉमा केयर का एकमात्र टर्सरी केयर संस्थान

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