- बदलेगा कानपुराइट्स के ट्रांसर्पोटेशन का चेहरा

- ईवी के लिए बजट में सरकार ने दिखाया रास्ता, कानपुर में शुरू हो चुका इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने का काम

- ईवी चार्जिग स्टेशंस बनाने के लिए प्राइवेट सेक्टर आया आगे, आईआईटी कानपुर में एक्सप‌र्ट्स की टीम भी जुटी

KANPUR: कानपुर के माथे पर लगे पॉल्यूशन के कलंक को मिटाने में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स अहम रोल निभाएंगे। सबसे अच्छी बात ये है कि इन ई व्हीकल्स के कोई कार्बन फुटप्रिंट्स नहीं होंगे। इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा करने का काम पहले ही कानपुर में शुरू हो चुका है। नगर निगम और ईईएसएल के बीच ई कारों को लेकर लगभग सहमति भी बन चुकी है। यूपी सरकार की पहल पर प्राइवेट सेक्टर की कई कंपनियां कानपुर में ईवी चार्जिग स्टेशन बनाने के लिए आगे आई हैं। इधर, जनरल बजट में सेंट्रल गवर्नमेंट ने इलेक्ट्रिक व्हीकल्स को खूब रियायतें दी हैं। जिससे अब इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के मार्केट में तेजी आने की संभावना है। इनवॉयरमेंट कंजर्वेशन को देखते हुए इलेक्ट्रिक व्हीकल्स ही ट्रांसपोर्टेशन का फ्यूचर है। जिसको देखते हुए यूपीपीसीएल इलेक्ट्रिक व्हीकल्स चार्जिग स्टेशन के लिए टैरिफ भी घोषित कर चुका है।

चार्जिग स्टेशन बनाने में प्राइवेट सेक्टर की दिलचस्पी

यूपी के बड़े शहरों में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के लिए चार्जिग स्टेशन बनाने को लेकर यूपी सरकार ने प्राइवेट सेक्टर की तरफ हाथ बढ़ाया तो कई कंपनियों ने इसको लेकर दिलचस्पी दिखाई खास तौर से एस्सेल गु्रप ने 20 शहरों में ईवी चार्जिग स्टेशन बनाने को लेकर सहमति जताई है, जिसमें कानपुर भी शामिल है।

चार्जिग स्टेशन की जिम्मेदारी आईअाईटी को

केंद्र सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी ने आईआईटी को पॉवर ग्रिड, सोलर एनर्जी और चार्जिग स्टेशनों के लिए टेक्नोलॉजी विकसित करने की जिम्मेदारी आईआईटी कानपुर को सौंपी है। आईआईटी के एक्सप‌र्ट्स ने चार्जर के प्रोटोटाइप भी तैयार किए हैं, जिनका अभी ट्रायल चल रहा है। आईआईटी कानपुर के साथ इस प्रोजेक्ट में आईआईटी खड़गपुर, बीएचयू व कई फारेन यूनिवर्सिटीज के एक्सप‌र्ट्स भी मिल कर काम कर रहे हैं। इसमें एक अहम काम पॉवर ग्रिड से इलेक्ट्रिकल व्हीकल्स को चार्जिग करने के लिए डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क बनाने का भी है। इस प्रोजेक्ट पर आईआईटी कानपुर के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के प्रोफेसर शांतनु कुमार मिश्रा अपनी टीम के साथ काम कर रहे हैं।

ई कारों से चलेंगे नगर निगम आफिसर्स

ई व्हीकल्स को रोजमर्रा के ट्रांसपोर्टेशन में यूज करने के लिए नगर निगम आगे आया है। नगर निगम और ईईएसएल कानपुर में अपने अधिकारियों के लिए ई कार इस्तेमाल करने का फैसला किया है। इसके लिए दरें भी घोषित कर दी गई हैं। अभी नगर निगम अधिकारियों के लिए 125 वाहनों पर सालाना 5 करोड़ रुपए का डीजल खर्च आता है। ई व्हीकल्स के इस्तेमाल में इसमें काफी कमी आएगी।

आटोमोबाइल कंपनीज का ईवी पर फोकस

पेट्रोल डीजल वाहनों की वजह से पर्यावरण पर पड़ रहे प्रतिकूल प्रभाव के अलावा इन पर लगने वाली डयूटी और बढ़ते दामों को देखते हुए अब आटोमोबाइल कंपनियां भी इलेक्ट्रिक व्हीकल्स पर काम कर रही हैं। मारूति सुजुकी जहां स्मार्ट हाईब्रिड टेक्नोलॉजी को अपनी छोटी कारों में भी लेकर आई है। वहीं होंडा, टोयोटा, टाटा, जगुआर, हुंडई, मर्सिडीज, बीएमडब्लू और ऑडी जैसी कंपनियों के भी हाईब्रिड मॉडल अब मार्केट में मौजूद हैं। आटोमोबाइल सेक्टर में इलेक्ट्रिक कारों के मार्केट को देखते हुए। महिंद्रा और टाटा ने इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की लांचिंग भी शुरू हो गई है। ज्यादातर कार कंपनियां इलेक्ट्रिक व्हीकल्स बनाने पर फोकस कर रहे हैं।

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इलेक्ट्रिक व्हीकल्स फैक्ट फाइल-

1200- इलेक्ट्रिक टू व्हीलर्स रजिस्टर्ड

9000- ई रिक्शा रजिस्टर्ड

इलेक्ट्रिक व्हीकल्स पर खर्च-

इलेक्ट्रिसिटी कंजम्प्शन- 126.5वॉट

चार्जिग एफिशिएंसी- 90परसेंट

इलेक्ट्रिसिटी कॉस्ट -7 रुपए प्रति यूनिट

ड्राइविंग कॉस्ट - 89 पैसे प्रति किमी

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