- ड्राइवर्स को आंखों से ठीक से दिखता नहीं फिर भी रोड्स पर दौड़ा रहे बसें, अफसरों की लापरवाही बन सकती है बड़े हादसे की वजह

- आरटीओ के आई चेकअप कैंप में 40 फीसदी ड्राइवर्स की आई साइट वीक मिली, कई ड्राइवर्स की आंखों में पाया गया मोतियाबिंद

KANPUR। अगर आप भी रोडवेज बसों पर सफर करते हैं तो यह खबर आपको सावधान कर रही है। रोडवेज बसों के ड्राइवर्स में 40 फीसदी ड्राइवर्स को आई प्राब्लम (दृष्टि दोष) है। इसका खुलासा फ्राइडे स्पेशल रोड सेफ्टी वीक प्रोग्राम में आरटीओ की ओर से लगाए गए आई चेकअप कैंप के दौरान हुआ। चेकअप करने वाले शहर के नामी डॉक्टर्स भी हैरत में हैं कि ऐसे दृष्टि दोष वाले ड्राइवर्स से रोडवेज बसें चलवा रहा है। इन हालात में रोज हजारों पैसेन्जर्स खतरे के बीच सफर कर रहे हैं।

दूर का कुछ धुंधला दिखता

आई कैंप में जब ड्राइवर्स को उनकी आंख में परेशानी बताई गई तो वह खुद नहीं समझ पाए कि अब तक वे बस किस तरह चला रहे थे। कई ड्राइवर्स ने डॉक्टर्स को बताया कि उन्हें दूर का कुछ धुंधला दिखता था, लेकिन यह सोच कर कि नींद न पूरी होने से ऐसा हो रहा है। यही कारण है कभी डॉक्टर से चेकअप कराया ही नहीं।

अफसर सवाल टाल गए

आई कैंप में रोडवेज के 49 ड्राइवर्स का चेकअप किया गया। यह सभी ड्राइवर्स कानपुर से रोज विभिन्न रूटों पर बसें लेकर जाते हैं। चेकअप रिपोर्ट के मुताबिक जांच कराने वाले ड्राइवर्स में 30 फीसदी ऐसे थे। जिनकी आंख बेहद कमजोर हो चुकी है और उन्हें तत्काल चश्मा लगाने की जरूरत है। डॉक्टर्स ने सलाह दी है कि बिना चश्मा लगाए ड्राइविंग न करें। जबकि 10 प्रतिशत ड्राइवर्स को मोतियाबिन्द की प्राब्लम है, जिसका आपरेशन किया जाना चाहिए। रोडवेज बस के ड्राइवर्स की आंख कमजोर होने के मामले में जब रोडवेज के अफसर से पूछा गया तो वे सवाल टाल गए।

रूल्स के हिसाब से

ड्राइवर्स की आंख कमजोर है फिर भी वे बस चला रहे हैं। रोडवेज को इसकी परवाह भी नहीं है। इस बाबत यूपी रोडवेज इंप्लाइज यूनियन के प्रान्तीय अध्यक्ष रामजी त्रिपाठी ने बताया कि रूल्स के मुताबिक, हर महीने रोडवेज ड्राइवर्स का हेल्थ व आई चेकअप होना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं होता है। अधिकारी जानबूझ कर ड्राइवर व पैसेंजर्स की जान खतरे में डालते हैं। यही कारण है कि रोडवेज बस से दुर्घटनाओं में बढ़ोत्तरी हो रही है।

डॉक्टर की पोस्ट वर्षो से खाली

पैसेंजर्स की जिंदगी रोडवेज किस कदर सस्ती समझता है कि बिना ड्राइवर्स की हेल्थ, आई जांच किए बिना ही सड़क पर बसें दौड़वा रहा है। सबसे खास बात यह है कि रोडवेज के मेडिकल विभाग में डॉक्टर की पोस्ट कई साल से खाली पड़ी है। जिसकी वजह से की ड्राइवर्स का मेडिकल चेकअप नहीं हो पाता। रोडवेज के एक अफसर ने बताया कि ड्राइवर्स को दो से तीन साल में एक बार मुख्यालय मेडिकल चेकअप के लिए भेजा जाता है। जहां से फिटनेस जारी की जाती है। जबकि नियमानुसार हर महीने चेकअप होना चाहिए।

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आई चेकअप कैंप का रिजल्ट

59 कर्मचारियों ने आई चेकअप कराया

49 ड्राइवर थे चेकअप कराने वालों में

30 प्रतिशत ड्राइवर्स को चश्मा लगाने की सलाह

10 प्रतिशत ड्राइवर की आंखों में मोतियाबिंद मिला