-लक्जरी बसों के नाम पर पैसेंजर्स से हो रही लूट, सेफ्टी पर नहीं है ध्यान

-आग लगी तो पैसेंजर्स हो जाएंगे बेबस

- कन्नौज में भीषण बस हादसे के बाद दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने किया कानपुर में स्लीपर बसों का रियलिटी चेक, हालात बेहद शॉकिंग निकले

-अधिकतर बसों में नहीं मिले इमरजेंसी एग्जिट डोर, 90 प्रतिशत बसों में अग्निशमन यंत्र नहीं, आरटीओ में सेटिंग से सिर्फ फाइलों हो रही फिटनेस

KANPUR। कन्नौज छिबरामऊ में फ्राइडे की रात बस में आग लगने की दर्दनाक दुर्घटना में कई लोग जिंदा जल गए। लग्जरी सर्विस के नाम पर पैसेंजर्स से मोटा किराया वसूलने वाली बस में पैसेंजर्स सेफ्टी के कोई इंतजाम नहीं थे। जिसके कारण बस ही पैसेंजर के लिए काल बन गई। इस दुर्घटना के बाद सैटरडे को डीजे आई नेक्स्ट की टीम सिटी में चलने वाले टूर एंड ट्रैवल्स की लग्जरी बसों में पैसेंजर्स सेफ्टी के इंतजामों का रियेलिटी चेक करने पहुंची तो हकीकत बेहद चौकाने वाली थी। बसों में पैसेंजर्स की सेफ्टी के नहीं बल्कि उनकी मौत के पूरे इंतजाम मिले।

रोडवेज बसों से बुरी हालत

लग्जरी बसें देखने में तो काफी लुभावनी होती हैं, लेकिन सेफ्टी के मामले में वह रोडवेज बसों से भी खराब हैं। रियेलिटी चेक के दौरान फजलगंज में खड़ी एक भी प्राइवेट लग्जरी बस में फायर इस्टिंगयूसर नहीं मिले। जबकि रोडवेज बसों में आग बुझाने के लिए फायर इस्टिंग्यूसर लगे होते हैं। भले ही वो पुराने क्यों न हों, पर मुसीबत में काम आ जाते हैं।

एक भी बस में नहीं मिला हैमर

फजलगंज चौराहे से संचालित कई टूर एंड ट्रैवल्स कंपनी की बसों की जांच की गई। जिसमें एक भी बस में हैमर नहीं मिला। जोकि इमरजेंसी के दौरान बसों का शीशा तोड़ने के लिए लग्जरी बसों में लगा होना चाहिए। कन्नौज छिबरामऊ में हुई दुर्घटना में अगर बस में शीशा तोड़ने के लिए हैमर व आग को नियंत्रण करने के लिए फायर इस्टिंग्यूसर होता तो शायद इतने पैसेंजर्स की जान न जाती।

एक बर्थ के लिए करते हैं पैसेंजर्स की जिंदगी से खिलवाड़

आरटीओ में पूर्व में तैनात एक एआरटीओ ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि कानपुर में टूर एंड ट्रैवल्स संचालक अपनी सुविधा को देखते हुए बसों की बॉडी का निर्माण कराते हैं। जिससे वह निचले हिस्से में ज्यादा से ज्यादा लगेज ढो सके। स्लीपर बसों में एक बर्थ बढ़ाने के चक्कर में वह बस की बॉडी बनवाने के दौरान इमरजेंसी डोर नहीं बनवाते हैं। जोकि एमवी एक्ट के विरूद्ध है। इसके बावजूद बिना इमरजेंसी एग्जिट डोर के बसें पैसेंजर्स को ढो रही हैं।

इमरजेंसी गेट के नाम पर धोखा

रियेलिटी चेक के दौरान ज्यादातर बसों में इमरजेंसी गेट नहीं मिला। हालांकि एक-दो बसों में इमरजेंसी गेट लिखा हुआ दिखा, लेकिन ये सिर्फ पैसेंजर्स के साथ धोखा था। दरअसल ये गेट खुलने की स्थिति में नहीं थे। सिर्फ खानापूर्ति करने के लिए लिखा गया था। वहीं एक बस में इमरजेंसी गेट बना मिला, लेकिन सालों से जंग खाए इस गेट को दो लोग मिलकर भी नहीं खोल पाए।

आंकड़े पूरे करने के लिए कार्रवाई

आरटीओ का प्रवर्तन दल सिर्फ सरकारी आंकड़ों को पूरा करने के लिए एक माह में दो से तीन बसों में कार्रवाई कर देता है। कानपुर के बड़े टूर एंड ट्रैवल्स संचालकों के आरटीओ प्रवर्तन के बीच कितना पक्का गठ जोड़ होता है। यह दो वर्ष पूर्व तत्कालीन आरटीओ प्रवर्तन के घर से पकड़ी गई एक डायरी में साफ लिखा था। जिसमें करोड़ों रुपए का प्रति माह के लेन देन का विवरण था।

'प्रदेश के सीएम को इस मामले से अवगत कराऊंगा। प्रदेश सरकार पब्लिक की जान से खिलवाड़ कतई बर्दाश्त नहीं कर सकती है। अवैध टूर एंड ट्रैवल्स और जिम्मेदार आफिसर्स पर जरूर कार्रवाई होगी.'

सुरेंद्र मैथानी, भाजपा विधायक

'बस फिटनेस के लिए आरटीओ में आती हैं तो सभी मानकों को देखा जाता है। अगर इसमें किसी प्रकार की लापरवाही होती है तो इसकी जांच कराई जाएगी.'

उदयवीर सिंह, एआरटीओ प्रशासन